भाई लोगो आप कलम के पुजारी कब से बहकावे में आने लगे , ये कविता १५ साल पुरानी है , टीवी चैनलों और यु ट्यूब पर भी रही , २४ को abp news सवेरे और शाम को ये प्रोग दिखाता है देर रात तक किसी की भावनाए नहीं भड़कती , अचानक सुबह से भावनाए भड़कनि शुरू होती है आपको समझा गया तो आप समझ गये मेरे भाई लोगो अगर मैं कमजोर मानसिकता या मौके का लाभ उठाने वाला प्राणी होता तो सौ बार इस विवाद को खुद फैला देता पर अन्त्वोग्त्वा मैं अंतिम रूप से सिर्फ एक इंसान हूँ आपको बुरा लगा मैं आपके साथ हूँ (कोई दूसरा होता तो वो पचास सिटिंग किसी भी चैनेल पर मांगता ) भाई लोगो हास्य में स्वाग के स्टार देवताओं के अलावा किनको याद करता आपके समाज के कई लोगो ने मेरी बात को समझा है पर हद तो तब हो गई की हर फोन से ये आवाज आने लगी ये हमारे प्रेसिडेंट है इनसे माफ़ी मांगिये ये हमारे सचिव है इनसे माफ़ी मांगिये ये हमारे फलां है अरे भाई लोगो तुम खुद १५ सालो बाद जगे हो वो भी सुनयोजित वाट्स एप पर आम मुझे समूचा पढ़ लीजिये अगर कभी किसी की पक्षधरता की हो तो यार लोगो ऐसा ना करो मैं इंसान हूँ और आप लोगो के बीच से हूँ हाँ नेता होता तो जेब से पैसे देकर अपने पुतले फूंकवाताज़रूर पढ़े :भगवान् चित्रगुप्त के अपमान मुद्दे पर आपसी विद्वेष और टांग खिचाई में उलझे कायस्थ समाज को आर के सिन्हा की फटकार

