

चित्रान्शोत्सव और प्रकटोत्सव के बीच गुमराह होता कायस्थ : भगवान चित्रगुप्त की जयंती को लेकर सामाजिक संगठनो की खीचातानी
कायस्थ खबर डेस्क I कायस्थ समाज एक बार फिर से दोराहे पर है , और उन्ही सवालों से २-४ हो रहा है जिसकी नीव सामाजिक संगठनों की आपसी खीचतान के जरिये रक्खी है Iकायस्थ खबर को मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान , छत्तीसगढ़ , और मध्यप्रदेश के कायस्थ संगठनों के द्वारा काफी समय से ही गंगा सप्तमी के दिन भगवान् चित्रगुप्त की जयंती मनाई जाती है I और उस दिन कायस्थ समाज से जुड़े विभिन्न संगठन कई तरह के कार्यक्रम करते है I वहीं उत्तर भारत में अब तक दूज के दिन होने वाली कलम दवात का ही प्रचालन था I कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान् चित्रगुप्त ने हज़ारो वर्षो की तपस्या के बाद यम पूरी में कार्यभार संभाला था I
लेकिन पिछले कुछ समय से उत्तर भारत ख़ास तोर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ संगठनों ने प्रकटोत्सव के नाम पर चैत्र पूर्णिमा के दिन एक नया दावा किया जिसके अनुसार भगवान् चित्रगुप्त की जयंती (या प्रकट होने का दिन ) ये है I हालांकि पिछले २ सालो से अभी तक कायस्थ समाज के विद्वान् इस बारे में एक राय नहीं हो सके की आखिर सच क्या है और उन्हें किस दिन इसको मनाना चाह्यीमध्यप्रदेश के विभिन्न संस्थाओं के मीडिया प्रभारी के तोर पर जुड़े जबलपुर के डा आदर्श श्रीवास्तव से जब कायस्थ खबर ने इस विवाद के बारे में बात की तो उन्होंने भी इसको लेकर गुमराह होते समाज पर चिंता जताई I आदर्श कहते है की कायस्थ समाज के विद्वानों को विवाद को जल्द ही साथ बैठ कर सुलझा लेना चाहए , चाहे गंगा सप्तमी हो या चैत्र पूर्णिमा कोई भी हो मगर एक दिन हो ताकि बाकी समाज के सामने कायस्थ समाज अपने कुल देवता के महीने भर में ही २ बार जयंती होने के सवालों से शर्मिंदा ना हो Iऐसे में बड़ा सवाल ये है की आखिर कायस्थ समाज के विद्वान् इस पर कब साथ बैठेंगे और कब कायस्थ समाज एक होगाकायस्थ समाज इस विवाद पर अपनी राय हमें वोट के माध्यम से दे सकता है[yop_poll id="20"]
