एक अच्छी सोच के साथ विश्व कायस्थ सम्मलेन जिस पर लाखो खर्च हो रहे है और इस इवेंट में तमाम कायस्थ रत्नों को सम्मिलित किया जा रहा है और आयोजन दिल्ली में होने जा रहा है. इसपर तमाम कायस्थ जन के अपने अपने विचार आ रहे है, जो नकरात्मक और सकरात्मक दोनों है.
इसमें कुछ संघ और संघठन को आमंत्रित किया गया है वह भी सोशल मीडिया के माध्यम से जिसमे कुछ स्थापित और सक्रीय संघठन को नजर अंदाज कर दिया गया है. हमें पहले देश में आपसी सामजस्य स्थापित करना चाहिए, फिर परदेश की सोचना चाहिए.
इतने बड़े आयोजन के पीछे मुद्दे खोजेंगे तो वही बुनियादी मुद्दे मिलेंगे जो आजादी से पूर्व कायस्थों के थे.
जैसे
कायस्थ एकता
कायस्थ बेटियो की शादी
और
कायस्थ जन में बेरोजगारी
इन मुद्दों में जायेंगे तो यही आप यही पाएंगे की कायस्थ कभी बिखंडित हुए ही नहीं बल्कि उन्हें जान बुझकर तमाम ग्रुप, संघ, संघठन और कमेटियो में बाटा गया जो अभी तक चल रहा है, जो उन्हें सही नेतृत्व नहीं मिला.
कायस्थ बेटियो की शादी की बात बार बार की जाती है लेकिन कभी कोई यह नहीं कहता है की मेरा भी एक बेटा है जिसके लिए मैं लड़की खोज रहा हूँ! बेटियो की जानकारी सभी साझा करते है लेकिन बेटो की जानकारी कोई नहीं क्योंकि यदि वह साझा कर देंगे तो उनका रकम मर जायेगा.
मेरे हिसाब से हर जिले वाइज एक मेट्रीमोनियल केंद्र हो जहाँ लड़के और लडकियों के सूचनाओ एकत्र किया जाये और जहाँ लोग अपने बेटे और बेटियो की सुचनाये दे.
और रही बात रोजगार की
बाते बड़ी बड़ी होती है लेकिन काम कुछ नहीं. यदि कायस्थ परिवार के कुछ उद्योगपति और संपन्न लोग आगे आये और अपना कुछ सहयोग व अंशदान दे तो इसका समाधान निकल सकता है.
इसके लिए एक जिम्मेदार संस्था को स्थापित करना होगा जो ईमानदारी से यह कार्य कर सके.
कायस्थ उत्थान के लिए सभी संघ और संघठनो को एक होना होगा तभी कुछ हो पायेगा.
साथ आये मजबूती बनायेकायस्थ विकास परिषद् लखनऊ
हमें पहले देश में आपसी सामजस्य स्थापित करना चाहिए, फिर परदेश की सोचना चाहिए-कायस्थ विकास परिषद्
एक अच्छी सोच के साथ विश्व कायस्थ सम्मलेन जिस पर लाखो खर्च हो रहे है और इस इवेंट में तमाम कायस्थ रत्नों को सम्मिलित किया जा रहा है और आयोजन दिल्ली में होने जा रहा है. इसपर तमाम कायस्थ जन के अपने अपने विचार आ रहे है, जो नकरात्मक और सकरात्मक दोनों है.
इसमें कुछ संघ और संघठन को आमंत्रित किया गया है वह भी सोशल मीडिया के माध्यम से जिसमे कुछ स्थापित और सक्रीय संघठन को नजर अंदाज कर दिया गया है. हमें पहले देश में आपसी सामजस्य स्थापित करना चाहिए, फिर परदेश की सोचना चाहिए.
इतने बड़े आयोजन के पीछे मुद्दे खोजेंगे तो वही बुनियादी मुद्दे मिलेंगे जो आजादी से पूर्व कायस्थों के थे.
जैसे
कायस्थ एकता
कायस्थ बेटियो की शादी
और
कायस्थ जन में बेरोजगारी
इन मुद्दों में जायेंगे तो यही आप यही पाएंगे की कायस्थ कभी बिखंडित हुए ही नहीं बल्कि उन्हें जान बुझकर तमाम ग्रुप, संघ, संघठन और कमेटियो में बाटा गया जो अभी तक चल रहा है, जो उन्हें सही नेतृत्व नहीं मिला.
कायस्थ बेटियो की शादी की बात बार बार की जाती है लेकिन कभी कोई यह नहीं कहता है की मेरा भी एक बेटा है जिसके लिए मैं लड़की खोज रहा हूँ! बेटियो की जानकारी सभी साझा करते है लेकिन बेटो की जानकारी कोई नहीं क्योंकि यदि वह साझा कर देंगे तो उनका रकम मर जायेगा.
मेरे हिसाब से हर जिले वाइज एक मेट्रीमोनियल केंद्र हो जहाँ लड़के और लडकियों के सूचनाओ एकत्र किया जाये और जहाँ लोग अपने बेटे और बेटियो की सुचनाये दे.
और रही बात रोजगार की
बाते बड़ी बड़ी होती है लेकिन काम कुछ नहीं. यदि कायस्थ परिवार के कुछ उद्योगपति और संपन्न लोग आगे आये और अपना कुछ सहयोग व अंशदान दे तो इसका समाधान निकल सकता है.
इसके लिए एक जिम्मेदार संस्था को स्थापित करना होगा जो ईमानदारी से यह कार्य कर सके.
कायस्थ उत्थान के लिए सभी संघ और संघठनो को एक होना होगा तभी कुछ हो पायेगा.
साथ आये मजबूती बनायेकायस्थ विकास परिषद् लखनऊ
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ajj ke time me kaisth bhe suport nahi karte kaisth ko