भारत मे जिस प्रकार मौसम का सन्तुलन बिगडा है वह चिन्ताजनक है।विद्वजन इसके लिये कतिपय निहित स्वार्थो के कारण प्रकृति से छेडछाड विशेषतया वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई को जिम्मेदार मानते है जिसे रोकने मे भ्रष्टाचार इत्यादि कारणो से सरकारी तन्त्र और उदासीन होने के कारण देश की जनता विफल है। आइये, हम सब प्रत्येक कायस्थ पीपल,नीम,जैसे छायादार एवं आंवला ,पपीता जैसे औषधीय गुणो वाले एक-एक का वृक्षारोपण कर प्रकृति को संतुलित करने मे अपना योगदान देते हुये शेष समाज को फिर से बता दे कि हम एक बार फिर संकटमोचक की भूमिका मे आ गये है।
कायस्थ जगा ! देश बढा !! धीरेन्द्र श्रीवास्तव
जब-जब देश अथवा विश्व पर कोई भी समस्या आयी कायस्थ समाज से जुडे लोगों ने सदैव उससे निपटने मे बिना स्वार्थ अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस तथ्य को विश्व भी मानता है।