शायद आपने ने भी इस पर गौर किया होगा यदि नहीं किया है तो एक बार गौर करने की कोशिश करे तो शायद आप को भी कुछ परिवर्तन नजर आएगा! कांफेरेंस के बाद बहुत से अनेक ग्रुप और संस्थाए आपस में एक दुसरे से जुड़ने का और उनको अपने नजरिये से देखने और समझने लगी है!आपसी प्रतिस्पर्धा से दूर अपने अहम को दर किनार करते हुए आज हर व्यक्ति संस्था एक दुसरे को जोड़ने के मुहीम में शामिल हो रहे है एक दुसरे को समझते हुए आगे बढ़ रहे था चाहे वो समाज के किसी भी कार्य में सहयोग कर रहे हो अपने उपस्थी दर्ज करा रहे है और समाज के बिभिन्न लोगो का अपने तरीके से सहयोग कर रहे है! ये समाज के उन संगठनो और वय्क्तिओं की मेहनत का परिणाम है वे इस कार्य के लिए शुभकामना के पात्र है ! वर्त्तमान समय में अनेक संस्थाए और व्यक्ति जो इस कार्य को चाहे वो दृश्य रूप में या अदृश्य रूप में कर रहे है उनके प्रति हमारा दायित्वा बनता है की हम उनका परोक्ष रूप से अथवा अपरोक्ष रूप से तन मन धन से उत्साहवर्धन करे हो सकता है हमारे एक सहयोग से वो उस कार्य को और प्रगति दे सके इस तरह हमारा समाज के प्रति लगाव और एकजुट होने की मिसाल दे सके संजय श्रीवास्तव नाटी
उम्मीद की एक किरण – संजय श्रीवास्तव नाटी
कोई माने या माने पर एक बात तो सत्य होती प्रतीत होती है की दिल्ली मैं हुए दुसरे वर्ल्ड कायस्थ कांफ्रेंस के पहले और बाद में अनेक संस्थाओ और व्यक्तियों ने आलोचना भी की और उसकी सराहना भी की I पर जहा तक उसके बाद देखने में जो एक सवाल उठता रहा है की कायस्थ कभी एक नहीं हो सकते है उस भ्रम को कुछ धुंधली करते हुई तस्वीरे सामने आने लगी है!