1- हमारा समाज भी अपनी भावनाओ व पीडाओ से सबको अवगत कराने का प्रयास कर सकता है जो अभी तक असम्भव सा था.
2- परस्पर विरोधाभास हमेशा की भॉति विद्यमान रहा परन्तु दृढ इच्छाशक्ति से आयोजकगणो ने इन पर विजय प्राप्त किया.
3-यद्यपि "बिटिया को इन्साफ" मिलना अभी कोसो दूर है पर इतना तय है कि "इन्साफ"करने/करानेे के जिम्मेदार लोग बौद्धिक समाज की उपेक्छा कर निश्चित ही चैन से नही रह पायेंगे.
4-शीर्ष पर बैठे हमारे समाज के "खास" लोगो ने सदैव "आम लोगो" की गहरी उपेक्छा की है.परन्तु आज की घटना ने इस तथ्य को बहुत हल्का ही सही,रोक तो लगायी है.आदरणीय रवीन्द्र किशोर सिन्हा के रूप मे हमारे समाज को "पिता " सरीखा पथप्रदर्शक एवम संरक्छक प्राप्त हो गया.आशा किया जाना चाहिये कि शीर्ष पर बैठे अन्य "खास" लोग भी अपने बेड़ियो से ऊपर उठ कर बिटिया को इन्साफ दिलाने व अपने समाज की एकता व विकास हेतु आवश्यक पहल करेंगे.
हम पुन: "बिटिया"के साथ इन्साफ किये जाने की हाकिमो से पुरजोर मॉग करते है.
आपका अपना
धीरेन्द्र श्रीवास्तव
मुख्य समन्वयक
"कायस्थवृन्द" एवम
"जय चित्रॉश आन्दोलन"
रवीन्द्र किशोर सिन्हा के रूप मे हमारे समाज को “पिता ” सरीखा पथप्रदर्शक एवम संरक्छक प्राप्त हो गया
बढती आयु, अस्वस्थ शरीर,पैरो मे फैक्चर,व्यवसायिक व राजनीतिक व्यस्तता इन सबके बावजूद राज्य सभा सॉसद आदरणीय रवीन्द्र किशोर सिन्हा एवम उनके अतिरिक्त विख्यात समाजसेविका श्रीमती नीरा शास्त्री (भारत के अब तक के सर्वाधिक आदर्श प्रधानमंत्री स्व० लाल बहादुर शास्त्री की पुत्रवधु) की जन्तर-मन्तर,दिल्ली पर "आम कायस्थ" जैसे उपस्थित होकर " बिटिया " को इन्साफ दिलाने के लिये सर्वश्री आशु भटनागर,संजय श्रीवास्तव एवम मनोज श्रीवास्तव के महती परिश्रम से आयोजित प्रतीकात्मक "कैंडिल मार्च"में सहभागिता प्रदान करना कई संकेत दे गया.
1- हमारा समाज भी अपनी भावनाओ व पीडाओ से सबको अवगत कराने का प्रयास कर सकता है जो अभी तक असम्भव सा था.
2- परस्पर विरोधाभास हमेशा की भॉति विद्यमान रहा परन्तु दृढ इच्छाशक्ति से आयोजकगणो ने इन पर विजय प्राप्त किया.
3-यद्यपि "बिटिया को इन्साफ" मिलना अभी कोसो दूर है पर इतना तय है कि "इन्साफ"करने/करानेे के जिम्मेदार लोग बौद्धिक समाज की उपेक्छा कर निश्चित ही चैन से नही रह पायेंगे.
4-शीर्ष पर बैठे हमारे समाज के "खास" लोगो ने सदैव "आम लोगो" की गहरी उपेक्छा की है.परन्तु आज की घटना ने इस तथ्य को बहुत हल्का ही सही,रोक तो लगायी है.आदरणीय रवीन्द्र किशोर सिन्हा के रूप मे हमारे समाज को "पिता " सरीखा पथप्रदर्शक एवम संरक्छक प्राप्त हो गया.आशा किया जाना चाहिये कि शीर्ष पर बैठे अन्य "खास" लोग भी अपने बेड़ियो से ऊपर उठ कर बिटिया को इन्साफ दिलाने व अपने समाज की एकता व विकास हेतु आवश्यक पहल करेंगे.
हम पुन: "बिटिया"के साथ इन्साफ किये जाने की हाकिमो से पुरजोर मॉग करते है.
आपका अपना
धीरेन्द्र श्रीवास्तव
मुख्य समन्वयक
"कायस्थवृन्द" एवम
"जय चित्रॉश आन्दोलन"
1- हमारा समाज भी अपनी भावनाओ व पीडाओ से सबको अवगत कराने का प्रयास कर सकता है जो अभी तक असम्भव सा था.
2- परस्पर विरोधाभास हमेशा की भॉति विद्यमान रहा परन्तु दृढ इच्छाशक्ति से आयोजकगणो ने इन पर विजय प्राप्त किया.
3-यद्यपि "बिटिया को इन्साफ" मिलना अभी कोसो दूर है पर इतना तय है कि "इन्साफ"करने/करानेे के जिम्मेदार लोग बौद्धिक समाज की उपेक्छा कर निश्चित ही चैन से नही रह पायेंगे.
4-शीर्ष पर बैठे हमारे समाज के "खास" लोगो ने सदैव "आम लोगो" की गहरी उपेक्छा की है.परन्तु आज की घटना ने इस तथ्य को बहुत हल्का ही सही,रोक तो लगायी है.आदरणीय रवीन्द्र किशोर सिन्हा के रूप मे हमारे समाज को "पिता " सरीखा पथप्रदर्शक एवम संरक्छक प्राप्त हो गया.आशा किया जाना चाहिये कि शीर्ष पर बैठे अन्य "खास" लोग भी अपने बेड़ियो से ऊपर उठ कर बिटिया को इन्साफ दिलाने व अपने समाज की एकता व विकास हेतु आवश्यक पहल करेंगे.
हम पुन: "बिटिया"के साथ इन्साफ किये जाने की हाकिमो से पुरजोर मॉग करते है.
आपका अपना
धीरेन्द्र श्रीवास्तव
मुख्य समन्वयक
"कायस्थवृन्द" एवम
"जय चित्रॉश आन्दोलन"
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