कहते है सफलता मिलना मुश्किल कभी नहीं होता है मगर उसे सहेज कर लगातार नये कीर्तिमान स्थापित करने का कार्य विरले ही कर पाते है I देश मे ऐसे सफल लोगो की अगर बात करे तो चंद ही नाम आज के दौर मे दिखाई देते है I उनमे जो नाम आज हमें सबसे पहले दिखाई देता है वो हैं बीजेपी से राज्य सभा सांसद और एस आई एस ग्रुप के चेयरमैन श्री रवीन्द्र किशोर सिन्हा I कभी मात्र २५० रूपए की नौकरी करने वाले रवीन्द्र किशोर सिन्हा आज ४५०० करोड़ रूपए की संपत्ति के साथ देश मे सफल उद्योगपति , राजनेता और सोशल आन्ट्रप्रनर के तोर पर जाने जाते है
बिहार के बक्सर मे एक कायस्थ परिवार मे जन्मे रवीन्द्र किशोर सिन्हा की पारिवारिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी I सात भाई-बहन थे । इसलिए बचपन में काफी दिक्कतें हुईं । मगर आर्थिक परेशानियो ने कभी उनका हौसला नहीं टूटने दिया, सिन्हा बताते है की अपनी मेहनत से पदाई करना भी उनकी पिता की शिक्षाओं की ही देन है I उन्होंने कहा अगर स्कालरशिप हासिल कर सको तभी आगे पढ़ना I और इसलिए उनके परिवार के हर बेटे ने अपनी प्रतिभा के बल पर उच्च शिक्षा प्राप्त की I एक आम कायस्थ पिता की भाँती रवीन्द्र किशोर के पिता भी यही चाहते थे कि वो सरकारी नौकरी मे लगे I
मगर वो जेपी का दौर था युवा रवीन्द्र किशोर का मन कुछ और ही सोच रहा था I रवीन्द्र किशोर एक समाचार पत्र मे नौकरी कर रहे थे कि आपातकाल के उस दौर मे अचानक एक दिन उन्हें सरकारी विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार को लेकर बेबाक लेखन के कारण वहां से हटा दिया गया I वहां से घर आकर उन्होंने अपनी धर्म पत्नी से कहा की अब मैं अपनी शर्तो पर जिंदगी जीना चाहता हूं वो अब नौकरी नहीं करेंगे और कुछ अपना ही कोशिश करेंगे I और तब मात्र १४ सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को नौकरी देने के साथ उनके प्रयासों से देश की पहली सिक्योरिटी कम्पनी सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (SIS) इंडिया प्रा. लि की स्थापना हुई I सिन्हा उन दिनों को याद करते हुए कहते है वो बड़ा कठिन दौर था I कई बार कोई ना कोई गार्ड किसी दिन छुट्टी पर चला जाता था तो खुद रवीन्द्र किशोर सिन्हा को गार्ड बनना पड़ता था दौर कठिन था पर मेहनत भी जबरदस्त थी जिसके चलते आज उनकी कंपनी का ४५०० करोड़ का टर्न ओवर है I १ लाख से ज्यदा लोगो को स्थायी रोजगार उनकी कम्पनी देती है I जो अपने आप मे एक रिकार्ड बन गया है सिन्हा बताते है की मैंने हमेशा यह चीज सुनिश्चित की कि मेरे कर्मचारियों को अच्छा कामकाजी माहौल मिले। क्योंकि यही लोग आपके व्यवसाय के असली ब्रांड अम्बेसडर होते है I
एस आई एस अब बहुराष्ट्रीय समूह कम्पनी बन चुकी है आज उनके बेटे ऋतुराज इसका प्रबंधन देखते है I ऋतुराज बताते है की एस आई एस देश की पहली ऐसी कम्पनी है जिसमे ५०००० से ज्यदा लोगो को झारखंड मे स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चला कर तैयार किया और नौकरी भी दी है I
उन्होंने द इंडियन स्कुल के नाम से देहरादून मे १०० एकड़ मे 12वी तक के लिए स्कुल की स्थापना भी की है जिसमे गुरुकुल की परम्परा और आधुनिक शिक्षा को समाहित करने का प्रयास किया है I स्कुल के बच्चों को शुद्ध दूध मिले इसके लिए बाकायदा वहां गौशाला भी बनायी गयी है I एक जबाब मे सिन्हा कहते है अब मुझे देश और समाज के लिए जीवन जीना अच्छा लगता है I इसी लिए मैंने अब समाज के लोगो को आगे लाने के लिए शिक्षा के माध्यम को चुना I
बिजनेस मे सफलता के बाद जहा लोग एकाकी होते है रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने अपने समाज के लिए दिल के दरवाज़े खोल दिए I जिसकी शुरूवात उन्होंने पटना के आदिमंदिर से की I नौजर घाट पर स्थित इस मदिर मे भगवान् चित्रगुप्त की सदियों पुरानी मूर्ति के चोरी होने और फिर बिहार सरकार द्वारा उनके दुबारा वापस करने को लेकर मांगी गयी ३०० करोड़ की व्यक्तिगत बैंक गारंटी देने के लिए जब कायस्थ समाज मे कोई और नहीं दिखाई दिया तो आर के सिन्हा ने अपनी सारी निजी सम्पति का मूल्यांकन करवा कर सरकार को व्यक्तिगत बैंक गारंटी दी I
आज भी रवीन्द्र किशोर सिन्हा का कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब वो किसी जरुरतमंद कायस्थ की मदद ना करते हो I सिन्हा खुद बताते है की अगर किसी दिन वो ऐसा करने मे असमर्थ रहते है तो भगवान् चित्रगुप्त खुद उसके इंतजाम कर देते है I सिन्हा आज भी पहली थाली भगवान् चित्रगुप्त के नाम से निकालते है और उसके जुड़े पैसे को सेवा मे खर्च करते है सिन्हा इसे दैनिक समर्पण निधि का नाम देते है I आज सिन्हा अपनी व्यक्तिगत आय का ७०% समाज सेवा के कार्यो मे खर्च करते है I
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बरसो से आर एस एस से जुड़े रहे रवीन्द्र किशोर सिन्हा आज बीजेपी से भारत के सबसे अमीर सांसद है I राजनीती मे बदली हुई भूमिका मे भी वो कायस्थों को एक करने की मुहीम मे लगे है I कायस्थ समाज के बिखरे हुए लोगो को एक करने के लिए उन्होंने अपने आवास पर हर महीने के आखरी रविवार को "संगत और पंगत" कार्यक्रम की शुरुआत की I जिसमे देश भर के सक्रीय कायस्थों को एक बार मिलने और समाज के लिए आगे की रणनीति पर विचार होता है I
कायस्थ समाज के ऐसे ही एक कार्यक्रम “कायस्थ खबर : परिचर्चा और संवाद २०१५” मे समाज के युवको को व्यापार करने के लिए समझाते हुए सिन्हा कहते है की व्यापार करने के लिए हर समय सही होता है लेकिन उसके लिए आपके पास उसका अनुभव, और पूंजी को खुद ना खा जाना भी महत्वपूर्ण होता है I अधिकाँश लोग लाभ की जगह पूंजी को दांव पर लगा देते है जिससे व्यापार मे घाटा होता है I
रवीन्द्र किशोर सिन्हा वास्तव मे एक कर्मयोगी हैं जिन्होंने कायस्थ नवजागरण आन्दोलन को आकार और गति दी है - कुमार अनुपम (सम्पादक - आदि मंदिर सन्देश )
रवीन्द्र किशोर सिन्हा के रूप मे कायस्थ समाज को पिता सरीखा एक सक्षम संरक्षक मिल गया है –धीरेन्द्र श्रीवास्तव (कायस्थ चिन्तक, इलाहाबाद )रवीन्द्र किशोर सिन्हा जी से मिलता हूँ तो एक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है और वही ऊर्जा लोगो को उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित करती है – डा अतुल वर्मा (एडीशनल डायरेक्टर- न्यूकिलर कार्डियोलोजी विभाग फोर्टिस एस्कार्ट हॉस्पिटल दिल्ली )
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सामाजिक राजनैतिक परिद्रश्य मे तेजी से उभरे कायस्थों के नेता के रूप मे भी उनकी भूमिका मजबूत हो रही है चाहे वो बिहार के चुनावों मे उनकी भूमिका को लेकर रही हो या यूपी के हमीरपुर काण्ड को लेकर अखिलेश याद्व सरकार को सीधा पत्र लिखना रहा हो I कायस्थ समाज के लिए सरकार को कहे अपने पत्र के अनुसार पैर मे फ्रैक्चर के बाबजूद वो जंतर मंतर पर आयोजित कैंडल मार्च प्रदर्शन मे पहुँच जाते है I उनके आदेश पर कायस्थ समाज की एक प्रतिनिधि मंडल यूपी के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलता है I जिसके बाद केस की सीबीआई जांच का एलान होता है I पीड़ित परिवार को १५ लाख रूपए की मदद मिलती है I
बिहार चुनावों से पहले कायस्थ समाज की ताकत दिखाने के लिए वो कायस्थ समागम का आयोजन करते है I बिहार चुनावों मे प्रत्याशियों के लिए ५० से ज्यदा रैलियां करते है I कायस्थ प्रत्याशियो को चुनाव लड़ने के लिए तन मन और धन से मदद भी करते है I बीजेपी के बिहार चुनाव अभियान के स्पॉन्सर भी हैं पटना मे बीजेपी का वार रूम भी उनके कार्यालय मे बनाया गया है जिसका समस्त कार्य उनके बेटे ऋतुराज देख रहे है
ऐसे मे रवीन्द्र किशोर सिन्हा निश्चित तौर पर 21 वी सदी मे कायस्थ समाज के एक ऐसे निर्विवाद सर्वमान्य नेता के तोर पर आगे आये है जिनका आज सामाजिक , व्यापारिक और राजनैतिक तीनो क्षेत्रो मे पकड़ मजबूत है I और जिनकी तरफ कायस्थ समाज एक नयी आशा से भी देख रहा है
आशु भटनागर आप की राय
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