होली का फाग : होली है भाई होली है – महथा ब्रज भूषण सिन्हा
होली है भाई होली हैहोली बोली मत कर ठिठोली, मेरे नाम सब कहते हो.मैं हूँ उल्लास पर्व, मेरे नाम को क्यूँ बदनाम करते हो.देख लो एक तुम्हारे बड़े भाई हैं.देश में घूम-घूम कर कई चपातियाँ खायी हैं.अभी भी यह क्रम जारी है. लगता है यह उनकी क्रोनिक बीमारी है.पटना में पंगत पे पंगत लगाई है. पता नहीं किसको कितनी चटनी चटाई है.परेशान बिहारी ने कर दी विदाई है. पटना से दिल्ली पहुंचाई है.डॉक्टर भी हो रहे हैरान-परेशान, सबकी हाजिरी लगवाई है.मुफ्त के जांच व इलाज और मुफ्त की दवाई बंटवाई है.पता नहीं यह बुढापा है या सेवा की तरुणाई है? एक हमारे और दिग्गज, अध्यक्षीय कुर्सी पर अपने को इस तरह चिपकाई है.खीँच-खीँच हार रहे सब, पता नहीं किस चक्की की आंटे खाई है.नचा रहे अपने अँगुलियों पर सबको, जैसे डंके पर मदारी की खेल रचाई है.सुरमा भोपाली बन कर अपने, जेलर की शानदार किरदार निभायी है. उधर हमारे मथुरा भैया, ताल ठोक ले ली अब अंगडाई है.बहुत हो गया अब ना होगी, 100 फिट ऊपर मटकी टंगवाई है.दम है तो फोड़ो इसको, उलट-पुलट कर खाया बहुत मलाई है.एक वर्ष की खिरनी-वीरनी, लाओ सामने इसी में छुपी भलाई है. पारिया पारी खेल रहे है, मनपुरीया बैट मंगवाई है.कटहल, गोभी, आलू, बैंगन मिल खिचड़ी खूब पकाई है.गोलू गप्पू पप्पू कायस्थ, आओ अब मथुरा की शामत आई है.भाभी- भैया, कुल-बुल, चुल-बुल सब मिल करो चढ़ाई है. वैद्य जी ने जड़ी-बूटी का लम्बा आर्डर भेजा है.देखूंगा मैं अब सबको, कितना बड़ा कलेजा है.करता रहा विकास सभी का, दावा मेरा अकेला है.होश में आओ बबलू-चपलू, फैलाओ नहीं झमेला है. वर्मा जी ने ताल ठोंक कर, सब नेता को ललकारा है.घुस लिया तो खैर नहीं, कायस्थ नहीं बेचारा है.केवल कायस्थ जीतेगा अब, यूपी का यह नारा हैमेरा बैनर सबसे अच्छा, कायस्थों का प्यारा है. संभव जी का असंभव दल, छिपे कहाँ हो बाहर निकलो.बोतल-सोतल भांग–धतुरा, संग है अपने सुनलो सुनलो.छोटा परिषद, महा परिषद् अभी तुम्हे समझायेंगे.होली - टोली गीत सभी से, भोजपुरिया तान गवाएंगे.. छुट भैये सब छुट गए हैं, बिखरे गाँव-शहर के कोने में.सावधान रहना सब बंधु, भला रहेगा अब एक होने में,नहीं चलेगा अफली डफली, युवको ने शोर मचाई है.चाचा, दादा नाना सुन लो, अब बारी मेरी आई है. महथा का माथा ठनक गया है, देख के इस जूतम-पैजार.नहीं रुकेगा नहीं छुपेगा, रोज लगेगी कड़ी फटकार. बुरा न मानो होली है, यह कायस्थों को टोली है.-महथा ब्रज भूषण सिन्हा, रांची, झारखण्ड.