
सुनो गौर से चित्रवंशियों, मत अपना इतिहास दोहराओ – संजीव सिन्हा ‘प्रशांत’
सुनो गौर से चित्रवंशियों,
मत अपना इतिहास दोहराओ।
अपनो पर तलवार भांजकर,
क्या पाया है ये तो बताओ।
रहा सदा इतिहास हमारा,
अपनो पर तलवार उठाया।
आया दुश्मन बाहरी जब भी,
हमने अपना मुंह छिपाया।
नहीं लडे अपनो की खातिर,
बने रहे दुश्मन के दोस्त।
और दुश्मन ने मतलब साधा
फिर तेरी भी गर्दन काट।
निकल पडा फिर सेवो दुश्मन,
तेरे जैसे मिले अपार।
बन बैठे मीरजाफर, जयचंद,
करके दुश्मन की जय-जयकार।
वो दुष्ट कवि तुझे प्यारा है,
यही संदेश तुम देते हो।
उसे बख्श अपनों से लडोगे,
यही संदेश तुम कहते हो।
धोकर पी गये शर्म हया को,
सबको धता बताते हो।
तुमने किया जहां में कुछ भी
उसपर कुछ नहीं सुनते हो।
कह रहा है तुमसे,समय ये पुकार,
छोडकर आपसी द्वेष,
मिलकर करो दुश्मन पर वार।
प्रेम से बोलिए भगवान चित्रगुप्त की जय ।
संजीव सिन्हा 'प्रशांत'
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