Home » गीत/कविता » हमें गर्व है कि सभी सम-विषम स्थिति -परिस्थितियों के बीच हमने कुछ खोया नहीं, पाया है एक…… “लौह पुरुष “……डॉ ज्योति श्रीवास्तव

हमें गर्व है कि सभी सम-विषम स्थिति -परिस्थितियों के बीच हमने कुछ खोया नहीं, पाया है एक…… “लौह पुरुष “……डॉ ज्योति श्रीवास्तव

"अतर्क एक पंथ पर सतर्क हो बढ़ो सभी " व्यर्थ, निरर्थक, मायने ही बदल गए | कहने को सर्व प्रबुद्ध समाज पर इतनी नफरत ऐसी घृणा? अपने ही समाज से,अपने ही एक बंधु से? समाज को विघटित और विचलित करके किस का भला करने चले हैं? सभी किसी न किसी संगठन से जुड़े हैं और दावा है कायस्थ एकता लाने का...... एकता का ये स्वरूप यदि पहले परिभाषित होता तो आज देश गुलाम ही होता ..... मैं हतप्रभ थी... चिंतित और कुछ व्यथित भी... किंतु अभी एक तारा चमका... तो खयाल आया.. चलो बधाई देने का समय आया है... वो हितैषी हैं या नहीं समाज के, खुद तय करें.. किंतु जाने अनजाने सोने को कुंदन तो कर गए | नमन है अपने भगवान को और बधाइयाँ देती हूँ कायस्थ परिवार को.... हमें गर्व है कि सभी सम-विषम स्थिति -परिस्थितियों के बीच हमने कुछ खोया नहीं, पाया है एक...... "लौह पुरुष "...... "कायस्थ गौरव धीरेन्द्र श्रीवास्तव " मेरी शुभकामनाएँ जय चित्रांश डॉ ज्योति श्रीवास्तवा

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