

खुला पत्र – संगत और पंगत
आदरनीय आयोजक टीम
संगत और पंगतपिछले कई दिनों से संगत और पंगत मे हो रहे सवालों और विवादों पर मैं कुछ सुझाव रखना चाहता हूँ , इनके पुरे होने , मानने ना मानने के सारे अधिकार आपके पास ही है , हमें उसमे कोई आपत्ति नहीं है I१) महिला शाश्क्तिकरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है , इसीलिए इसको इस बार सिर्फ महिलाओं के साथ किया जा सकता है क्योंकि पुरुषो को उनकी महिलाओं को लेकर आने से महिला शाश्क्तिकरण नहीं होता
2) मनोज जी भी से सहमत हूँ इसे परिवार कहे अगर इसे परिवार की उपस्तिति के तोर पर रखा जा रहा है तो इस बार इसे परिवार महोत्सव करे , ताकि जो पुरुष है उनको अपनी अर्धान्ग्नियो को लाना जरुरी हो , और जो महिला है उनको अपने पतिओ को लाना ज़रूरी हो , नियम सबके लिए बराबर हो
3) कार्यक्रम जो भी हो चाहे सिर्फ महिलाओं का हो या परिवार का हो , उसकी रुपरेखा अभी से घोषित करे ताकि लोग उसमे अपनी रूचि के अनुसार तैयारी कर के आ सके , उदाहरन के तोर पर अगर महिला शाश्क्तिकरण है तो क्या इसमें महिलाओं को कुछ मुद्दों पर बोलना है या उनको कुछ सान्स्क्रक्ति कार्यक्रम मे भाग लेना है , नहीं तो इसमें आने वाले कुछ लोग तो कार्य्रकम मे भाग लेते नजर आयेगे ,और बाकी पिछली बार की तरह मन मसोस कर घर जायेंगे की हम आये भी और हमें बोलने या अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला
4) जनता के लिए अशोक जी की एक बात सही है की अगर आप को इस बार निमंत्रण या यहाँ आने का मौका नहीं मिला है तो इसे सम्मान का मुद्दा ना बनाए , ये हमेशा जरुरी नहीं की आपको हर बार संगत और पंगत मे स्थान मिले चाहे आप कितने भी प्रभावशाली हो या आम आदमी , अगर आपको आने का निमंत्र्ण नहीं है तो इसे सिन्हा सर की इच्छा मानकर अगले कार्यक्रम के लिए तैयारी करे क्योंकि २०० लोगो के स्थान मे हर किसी को ला पाना संभव नहीं पर आयोजक अगर आने वाले लोगो की लिस्ट ग्रुप मे पब्लिक कर दें तो सब कुछ वयवस्था ट्रांसपेरेंट होने से सारे विवाद भी ख़तम हो जायेंगे और लोगो के भ्रम भीआशा है आप लोग इन पर ध्यान देंगे और इसे किसी भी प्रकार की बदतमीजी या कार्यक्रम मे व्यवधान ना मानते हुए मुझे माफ़ कर देंगे , संगत और पंगत हम आमकायस्थों का सिन्हा सर के यहाँ मिलन का कार्यक्रम है इसीलिए मैंने सिर्फ अपनी बात रख दी है
जय चित्रांश
