
असर: क्या कायस्थ एकता पर आर के सिन्हा की कोशिश रंग ला रही हैं ?
यू तो बरसो से कई कायस्थ संगठनो ने कायस्थ एकता और उनके उत्थान का बीड़ा उठाया हुआ था और कई लोगो ने इस सिलसिले मे गाहे बगाहे अपने वर्षो के अनुभवों के गुणगान भी किये है I मगर वो सब बातें थी बातों तक ही सीमित रही और समाज इन नेताओं से कटता भी रहा और एकाकी भी हुआ I पिछले 6 महीनो से श्री आर के सिन्हा के खुल कर कायस्थों के सीधे संपर्क और संवाद करने की अद्भुद शैली ने कायस्थ समाज मे बड़ा परिवर्तन आ रहा है Iकल तक कायस्थ संगठनो और उनके लोगो से दूर भागने वाले लोग आज एक दुसरे के साथ मिल रहे है उनके लिए काम कर रहे है I कायस्थ एकता की बातें अब सार्थक होने लगी है कायस्थ खबर को ऐसे कई उदाहरण मिल रहे हैं जहाँ लोग सिर्फ कायस्थ होने के नाते दुसरे कायस्थ की मदद कर रहे हैबिहार के अभिषेक श्रीवास्तव का उदाहरण ही ले वो लिखते है की किसी कांट्रेक्ट मे योग्यता के साथ साथ उनका कायस्थ होना भी उनके फेवर मे गया और उन्हें वो कांट्रेक्ट आसानी से मिल गया Iवस्तुत ये श्री आर के सिन्हा कर्मशील नेत्रत्त्व की भी सफलता है जिसको लोग आत्मसात भी कर रहे है श्री सिन्हा से मिलने वाला हर व्यक्ति उनसे प्रभावित होकर दुसरे कायस्थ के हित की बात सोचने लगता है I समाज के हित के लिए काम करने लगता है Iनॉएडा के श्री राजन श्रीवास्तव भी इसी क्रम मे कायस्थों के हित के लिए कई कामो मे लगे है कायस्थ खबर को उन्होंने बताया की श्री सिन्हा का व्यक्तित्व लोगो को ऐसे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है वो नॉएडा मे भगवान् श्री चित्रगुप्त के मूर्ति स्थापना के समय हुए अनुभव को बताते हुए कहते है की श्री सिन्हा से आशीर्वाद ले उन्होंने जब ये काम शुरू किया तो शुरू मे कुछ कठिनाई ज़रूर आयी मगर श्री सिन्हा के हौसले और भगवान् चित्रगुप्त के आशीर्वाद से सब कुछ आसानी से हो गया Iइसी क्रम मे जब आर के सिन्हा ने संगत और पंगत करने का फैसला किया तो शुरू मे लोगो ये सिर्फ एक मिलने जुलने का कार्यक्रम भर लगा मगर सिर्फ 2 ही संगत और पंगत के बाद इससे जुड़े लोगो ने जिस तरह से कायस्थ समाज के जरुरत मंद लोगो के लिए आगे बढ़ कर काम किये वो अपने आप मे मिसाल हो गयी है Iकायस्थ खबर खुद इन सभी घटनाओं और उनके परिणामो का साक्षी रहा की आर के सिन्हा की पहल पर किस तरह लोग अनजान बीमार कायस्थ भाइयो के इलाज लिए जुड़े और उनको ना केवल बेहतर इलाज की वयवस्था की बल्कि उनके लिए पैसो के भी इंतजाम किये I स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को निर्देशित कर रही डा रेनू वर्मा और उनके पति डा अतुल वर्मा श्री सिन्हा की तारीफ़ करते हुए कहते है की वो पिछले २० सालो से कायस्थ संगठनो के काम काज को देख रही थी मगर किसी को भी देख कर उनमे उनके साथ जुड़ने की इच्छा नहीं हुई I मगर संगत और पंगत के माध्यम से श्री सिन्हा से मिलने के बाद उन्होंने जो सकारात्मक उर्जा महसूस हुई उसी के कारण वो इन सब कार्यो को सफलता से अंजाम दे सकी Iस्वतंत्र लेखन से जुड़े श्री रोहित श्रीवास्तव इन्ही बातो को आगे बढाते हुए कहते है की श्री सिन्हा का मार्गदर्शन और अमूल्य अभुभवरूपी ज्ञान हम सभी को इसी तरह मिलता रहे यही कामना है। वास्तव में जब भी आप कोई सन्देश देते हैं तो मन अपने आप में 'जीवित' हो उठता है।श्री सिन्हा खुद इन सारी बातो का श्रेय भगवान् चित्रगुप्त को देते हुए कहते है कि उनकी हमेशा से एक ही सोच रही की अगर एक सक्षम कायस्थ एक अक्षम कायस्थ का हाथ पकड़ ले तो समाज को किसी के सहारे की ज़रूरत नहीं रह जायेगी I बस इसी बात को प्रतिदिन वो याद रखते है और कोशिश करते है किसी भी तरह से वो हर रोज एक कायस्थ को आगे बढ़ा सके