आशा किया जाना चाहिये कि "आगरा बैठक" में दो सौ से अधिक संगठनो/संस्थाओ/सक्रियो की सहभागिता सुनिश्चित होगी.यह भी आशा किया जा सकता है कि इस बैठक में सक्रिय युवा भी बडी संख्या मे अपना योगदान प्रदान करेंगे.हम यह आश्वासन अवश्य दे सकते है कि अगर आप सभी का प्यार,स्नेह एवम दुलार ऐसे ही मिलता रहा तो जल्द ही "कायस्थ" को भ्रम मे रखकर बरगलाने वाले लोग जिनमें अनेक तन्खैया प्रकृति के लोग व मात्र फेसबुकिया/व्हाट्सेपी कथित संगठनो के कर्णधार है शीघ्र ही "राईट टाइम" होंगे. भगवान श्री चित्रगुप्त का आशीर्वाद हम सबके ऊपर बना रहे. धीरेन्द्र श्रीवास्तव ( भड़ास श्रेणी मे छपने वाले विचार लेखक के है और पूर्णत: निजी हैं , एवं कायस्थ खबर डॉट कॉम इसमें उल्लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है। इस लेख को लेकर अथवा इससे असहमति के विचारों का भी कायस्थ खबर डॉट कॉम स्वागत करता है । आप लेख पर अपनी प्रतिक्रिया kayasthakhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं। या नीचे कमेन्ट बॉक्स मे दे सकते है ,ब्लॉग पोस्ट के साथ अपना संक्षिप्त परिचय और फोटो भी भेजें।)
तेवर अनेक पर उद्देश्य एक.संगठन अनेक पर मंच एक , परिणाम तो आना ही था : धीरेन्द्र श्रीवास्तव
कुछ कर गुजरने की तमन्ना उस पर वाक् एवम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता.परिणाम तो आना ही था.
विभिन्न संस्थाओ के प्रतिनिधियो ने जी खोलकर भागेदारी की "कायस्थवृन्द" की चतुर्थ राष्ट्रीय बैठक (09/10 जनवरी ,2016) में.
तेवर अनेक पर उद्देश्य एक.संगठन अनेक पर मंच एक.विचार अनेक पर विचारधारा एक.सोच अनेक पर लक्ष्य एक.यही तो "कायस्थवृन्द" है और यही "जय चित्रॉश आन्दोलन".
12 अप्रैल 2015 को राष्ट्रीय संयोजक डा०अरविन्द्र श्रीवास्तव जी,12 जुलाई 2015 को मेरे,24/25 अक्तूबर 2015 को समन्वयक श्री त्रिपुरारी प्रसाद बक्शी जी,के आयोजकत्व से उत्रोत्तर विकसित होते जा रहे "सामूहिक नेतृत्व " की विशिष्ट अवधारणा "कायस्थवृन्द" का स्वरूप सतर्क एवम जागरूक किशोर सरीखा दिखा जो 14/15 मई 2015 को कायस्थ सिंघम सुरेन्द्र कुलश्रेष्ठ जी के आयोजकत्व मे होने वाली पंचम राष्ट्रीय बैठक के बाद जोशीले व होनहार युवा का आकार लेगा ,ऐसा मेरी परिकल्पना है.
"कायस्थ " का राष्ट्र के प्रति योगदान से "कायस्थ" का जय होना ही तो "जय चित्रॉश" है व स्वसमाज की कुरीतियो से स्वयम के द्वारा ही संघर्ष कर समाप्त करना ही "आन्दोलन".कहना अतिशयोक्ति न होगा कि आम कायस्थ के हित व समस्याओ के निराकरण हेतु कृत संकल्पित "जय चित्रॉश आन्दोलन" को "कायस्थवृन्द" सरीखा सामूहिक नेतृत्व प्राप्त होने से जहॉ एक ओर "आम कायस्थ" मे आशा का संचार हुआ है वही दूसरी तरफ नेतृत्वकर्ताओ के सही दिशा में कार्य करने की बेहतर सम्भावनायें बनी है.