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कायस्थ वृंद : सामूहिक नेतृत्व का एक साल , कितने दूर कितने पास ?

१२ मार्च २०१७  , आज  सामूहिक नेतृत्व की जिस अवधारणा को मिर्जापुर में डा अरविन्द  के घर पर इसके  प्रमुख सदस्यों के साथ धीरेन्द्र श्रीवास्तव और डा अरविन्द ने शुरू किया था उसको १ साल हो गया है I समाजवाद  की समतामूलक , समावेशी कार्यशैली को आधार मान कर इसकी परिकल्पना की गयी और फिर शुरू हुआ कायस्थ समाज के सभी ...

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नव वर्ष (संवत्सर २०७३) की हार्दिक शुभकामनाये ,समय पिछले वर्ष के अवलोकन और आगे की राह पर चलने का है – आशु भटनागर

दोस्तों आज से नवसंवत्सर २०७३ शुरू हो रहा है I राजा विक्रमादित्य द्वारा शुरू किये गये इस हिन्दू पंचांग के तहत चैत्र मॉस के प्रथम दिन से ही नये साल का प्रारंभ माना जाता है I भारतीय संस्कृति में प्रकर्ति को पूजने की परम्परा रही है इसलिए ऋतू चक्रों के बदलाव के इस दौर में हम पहले नौ दिन को ...

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देश में कागजी संस्थाएं बहुत सी काम करती हैं लेकिन हमारी महासभा अकेली ऐसी है जो न केवल अपनी प्राचीनता 125 वर्ष में अद्वितीय है – कैलाश सारंग

तेरा वैभव अमर रहे माँ! हम दिन चार रहें न रहें...पिछले कुछ दिनों से मन और मस्तिष्क की सक्रियता अधिक रही, शरीर की कम। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, जो हम सबकी मातृ-संस्था है, पूरे स्वरूप के साथ मन में छाई रही। कभी भी छाई हुई है उसकी संपूर्ण यात्रा मानों सजीव हो उठी, उस कालखंड की भी जब मैं नहीं ...

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कायस्थ बन्धुओं को राजनैतिक रूप से सशक्त करने हेतु परिचर्चा के माध्यम से की अद्यतन स्थिती की जानकारी देने का कष्ट करें- दीपक श्रीवास्तव

कायस्थ वृन्द की चतुर्थ बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि कायस्थ बन्धुओं को राजनैतिक रूप से सशक्त करने हेतु आवश्यक उपाय किये जायेगें तथा इस हेतु एक राजनैतिक प्रकोष्ठ गठित कर पदाधिकारियों को उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2017 पर ध्यान केन्द्रित कर तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे। उक्त विषयक तैयारी की समीक्षा अब जरूरी है ...

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कायस्थ खबर अपने पाठको की भावनाओं का सम्मान करता है और उनकी बात मान कर अपने को विवाद से अलग करता है

पिछले कुछ दिनों से व्यक्तिगत आरोपों के खेल में शांत बैठे कायस्थ खबर ने जब विरोधियो के दुष्प्रचार पर सीधा जबाब दिया तो कायस्थ खबर को पिछले १ साल से पढ़ते और पसंद करते आ रहे लोगो ने हमें शांत रहने को कहा I हमारे प्रबुद्ध लोगो ने हमें व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों ही स्तर पर विरोधियो के स्तर पर ...

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कायस्थ समाज में एक दूसरे को नीचा दिखने की तो जैसे होड़ लग गयी है? – निशांत सक्सेना

कायस्थ समाज में एक दूसरे को नीचा दिखने की तो जैसे होड़ लग गयी है? सभी उन लोगों से एक सवाल क्या हमारे ही समाज के किसी व्यक्ति को नीचा दिखाने से समाज का क्या भला कर रहे हैं हम? मैं खुद तो उम्र में बहुत छोटा हूँ अभी तो ज्यादा अनुभव तो नहीं है लेकिन इतना जरूर पता है ...

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सामायिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है – कायस्थ समाज के लिए पत्रकारिता की जानकारी

बहुत सारे बड़े पत्रकारों ने पत्रकारिता को लेकर अनेक बातें की I बहुत लोगो के अनुसार आदमी पत्रकार बन्ने के बाद विज्ञापन  या नौकरी में पैसे की अपेक्षा नहीं रखनी चाह्यी क्योंकि पत्रकारिता मिशन है उनके अनुसार I तो हमने विकिपीडिया से कुछ कंटेंट लिया है आशा है आपको ये जानकारी पसंद आयेगी सम्पादक कायस्थ खबर  पत्रकारिता (अंग्रेजी : journalism) आधुनिक ...

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मित्रों बहुत दुख की बात है जो आज हम संगठित नहीं हो पा रहें हैं क्यों – कविता सक्सेना

मित्रों बहुत दुख की बात है जो आज हम संगठित नहीं हो पा रहें हैं क्यों ? क्योंकि हम मर्यादा बूलते जा रहे हैं? बड़ा दुःख होता है कि हम बड़े छोटे का लिहाज़ भूल चुके हैं। बड़ी शर्म आती है कि जब दूसरे जाति के लोग हमारा उपहासात्मक शब्दों में कहते हैं कि कायस्थ समाज कभी संगठित नहीं होता। ...

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संस्मरण : तमाम संघर्षों, विवादों से गुजर कर एक व्यक्तित्व निखरता है, तब बनता है एक महानायक…… धीरेन्द्र श्रीवास्तव

दो दिन पहले सदी के महानायक और कायस्थ रत्न अमिताभ बच्चन ने बफोर्स घोटाले में अपने उपर लगे गलत  आरोपों से बरी होने के दौरान झेले दर्द की पीड़ा बयान करते हुए  अपने ब्लॉग में लिखा, निर्दोष होने के बाबजूद इस मामले से निकलने में लगे २५ साल, आगे लिखा आरोप लगा काफी आसान, वास्तविकता की जांच की जेहमत नहीं ...

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ईमानदार समाजसेवी न्यूज़ पोर्टल्स के दौर में हम व्यवसायिक और भ्रष्ट न्यूज़ पोर्टल हैं , लेकिन आपको भी समाज को ये बताना होगा की आप कहाँ से पैसा ला रहे है ?

पिछले कई दिनों  से  एक  बड़ी बहस उठी  की  व्यवसायिक न्यूज़  पोर्टल  यानी  कायस्थ खबर ने कुछ  इमानदार  और समाज सेवी  न्यूज़ पोर्टल  से TRP में  बाज़ी मार  ली  है I स्वस्थ  प्रतिस्पर्धा  में  इसको  बढावा दिया जाता है और  बाकी लोग भी आगे बढ़ने के लिए अपनी प्राडक्ट की गुणवत्ता सुधारते है पर  खैर यहाँ खेल में  पीछे  रहने ...

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