
आम कायस्थों ने बढाया मदद का हाथ
कौन कहता है कि कायस्थ कायस्थ की मदद नही करते है?
ये बात और है कि बडे कायस्थ ध्यान नही देते परन्तु आम कायस्थ आम कायस्थ की सहायता के लिये तत्पर दिखते है।कम से कम ताजा प्रकरण तो यही बताता है।
भोपाल से कायस्थखबर के लिए चित्रांश करन सक्सेना की रिपोर्ट के अनुसार बी०ए० प्रथम वर्ष की एक निर्धन परन्तु मेधावी छात्रा को सेमेस्टर शुल्क जमा करने के लिये एक हजार पाच सौ रुपये की आवश्यकता थी।
मैने फेसबुक एवं व्हाटसेप पर इस सम्बन्ध मे अपील की जिसपर किसी भी कायस्थ नेता अथवा पूंजीपति कायस्थ अथवा संगठन/पेज इत्यादि ने तवज्जो नही दी।
मै भी निराश व वह छात्रा निराश। क्या कायस्थ किसी कायस्थ की वाकई मदद नही करते है।
मुझे खुशी है कि मेरी ये अवधारणा गलत साबित हुयी।दो आम कायस्थों इलाहाबाद के धीरेन्द्र श्रीवास्तव जी और लुधियाना के बी०के० श्रीवास्तव जी ने डेढ-डेढ हजार की मदद की।
उस छात्रा की मदद. हो गयी।दोनो महानुभावों को शेष धनराशि बराबर वापस करने की बात पर दोनों का कहना है कि शेष धनराशि भविष्य हेतु उस बालिका के फीस के रूप मे प्रयोग कर लिया जाये।
दोनो आम कायस्थ मित्रों को धन्यवाद।
अगर सक्षम लोग आगे हाथ बढाये तो हमारे समाज के प्रतिभाशाली परन्तु निर्धन छात्र /छात्राओ की शिक्छा कम से कम फीस के अभाव मे बाधित न होगी।
बहरहाल आम कायस्थों ने बढाया आम कायस्थों के लिये मदद का हाथ।