अन्याय सहना, अपमान सहना कायस्थ समाज की नियति बन गया है ? – आशु भटनागर
दिल दुखी है , मायूस है कायस्थ नेताओं के वयवहार से उनके नकारेपन से , हमीरपुर की घटना पर उनकी चुप्पी से , अन्याय सहना ,अपमान सहना कायस्थ समाज की नियति बन गयी है ? आपको आज मेरी बातें कड़वी और बुरी लग सकती है मगर आज ये आवाज़ नहीं दिल से बद्दुआ ज्यदा है - आशु भटनागर
२८ जुलाई को जब बिहार मैं कायस्थ एकता , शक्ति के बड़े बड़े दावे किये जा रहे थे , अपने आप को कायस्थों के बड़े नेता साबित किया जाने की होड़ मची थी उसी समय देश के बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से एक कायस्थ लड़की को दबंग जाती के लडको द्वरा छेड़े जाने के बाद आत्महत्या किये जाने की खबर आ रही थी I इस आत्महत्या (इसे हत्या ही कहा जाना चाह्यी )से बहुत लोग दुखी हुए , मगर कायस्थों के देशव्यापी नेता बने एक भी नेता ने वहां हो रहे महाकुम्भो मैं इसकी आलोचना तो छोडिये चर्चा तक करनी उचित नहीं समझी Iपूरी खबर पढ़े : यूपी मे कायस्थ सुरक्षित नहीं ,लड़की ने खुद को जलायायाद रखये उस समय वहां देश मैं कायस्थों के सबसे तेज़ तर्रार कहे जाने वाले नेता शत्रुघ्न सिन्हा , सुबोधकांत सहाय , संजय निरुपम , पवन कुमार वर्मा जैसे कई नाम वहां मौजूद थे और वो वहां दावा कर रहे थे की अबकी बार कायस्थ जबाब देगा I मगर किसी ने एक बार उत्तर प्रदेश मैं बिहार के ही इस कायस्थ की बेटी के साथ हुए इस काण्ड की निंदा नहीं की Iमुझे कहने मैं आज कोई गुरेज नहीं की इन नेताओं को कायस्थों के सिर्फ वोट चाहए उनके सुख दुःख से कोई मतलब नहीं क्योंकि कायस्थों के मामले मैं इनका चुप रहना कोई नया नहीं है I बीते दिनों लखनऊ मैं जब एक कायस्थ लड़की को मार दिया गया था तब भी इनको इनके बंद कमरों मैं कुछ पता नहीं लगा था Iशाटगन कहे जाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा तो लालू नितीश से पारिवारिक रिश्तो की बात स्वीकार कर चुके है तो उनसे तो कोई उम्मीद ही करनी बेकार है I हाँ शत्रुघ्न सिन्हा जी आप राष्ट्रपति से एक आतंकवादी की फांसी पर याचिका साइन कर सकते हो मगर आपके बिहाफ पर वो 40 लोग आपके समाज की एक लड़की के लिए कुछ नहीं करने आयेंगे Iअब बात करते है कायस्थ समाज की ४००० संस्थाओं (जिनमे ABKM जैसी ताकतवर संस्था तक शामिल है ) के स्वयम्भू रास्ट्रीय नेताओं की जो की कायस्थों की सेवा और सेवक होने के दावे कर रहे होते है I किसी भी ऐसे नेता ने एक बार भी अभी तक नहीं कहा की वो कायस्थ समाज के साथ हुई इस घटना पर कुछ करने जा रहा है I किसी और समाज मैं ऐसा कुछ होता तो गली स्तर तक संगठन इसके खिलाफ दिल्ली आकर जंतर मन्त्र पर धरना दे देते I मगर यहाँ सोशल मीडिया (फेसबुक , व्हाट्सअप्प ) के ये तथाकथित शेर (रास्ट्रीय अध्यक्ष, संयोजक) अपनी अपनी खुमारियो मैं डूबे रहे मगर कोई आवाज़ कोई प्रतिकार इनकी तरफ से ज़मीन पर तो छोडिये उस सोशल मीडिया तक पर नहीं दिखा जिस पर ये दावा करते दीखते हैहाँ समाज के कुछ नए बच्चे ज़रूर इसका प्रतिकार कर रहे है मगर राजनीती की बिसात पर फैले इस दुश्चक्र मे कायस्थ अपने इन रीद्विहीन नेताओं के बल पर समाज मैं कब तक ऐसे अन्याय सहेगा इसका दूर दूर तक कोई समाधान नहीं दीखता I क्योंकि ये नेता समाज की शक्ति के नाम पर नाच गाने के कार्यक्रम कर सकते है , अपने कामो के कसीदे पढ़ सकते है मगर ज़रूरत के समय किसी कायस्थ के लिए खड़े होना इनके लिए संभव नहीं है I ऐसा लगता है अन्याय सहना ,अपमान सहना कायस्थ समाज की नियति बन गयी है