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कायस्थों की ‘संगत और पंगत’ का हुआ जोरदार आगाज, श्री सिन्हा के समर्पण को सबने सराहा।

रोहित श्रीवास्तव। कहते हैं एक अच्छा विचार एक अच्छे काम की शुरुआत करने मे बड़ा कारगर और मददगार साबित होता है और जिसका ‘आगाज’ शानदार हो, तो उसके अंजाम की परिकल्पना करना आपके लिए और भी आसान हो जाता है। बहुत दिनो से चर्चा मे रहे कायस्थों के महामिलन ‘संगत और पंगत’ के मासिक मिलन का जोरदार आगाज आज दिल्ली मे हो ही गया।
गौरतलब है एसआईएस ग्रुप के मुखिया एवं कायस्थ शिरोमणि श्री आर के सिन्हा की अगुवाई मे शुरू हुई ‘संगत और पंगत’ की पृष्ठभूमि जब तैयार हुई जब स्व: श्री लाल बहादुर शास्त्री की पुत्रवधू श्रीमति नीरा शास्त्री ने 19 जून को दिल्ली मे पटना मे होने वाले कायस्थ समागम की तैयारियो को लेकर हो रही  मीटिंग मे सभी के समक्ष महीने मे एक दिन ‘कायस्थ महापरिवार’ के ‘आपसी-मिलन’ का प्रस्ताव रखा जिसे श्री सिन्हा ने खुशी-खुशी स्वीकारते हुए ऐलान किया था कि हर महीने के आखिरी रविवार मे कायस्थ संगत और पंगत का आयोजन उनके हुमायूँ रोड स्थित दिल्ली निवास पर किया जाएगा।
कार्यक्रम की शुरुआत मे श्री सिन्हा ने संगत और पंगत मे आए सभी चित्रांशों/ चित्रांशियों का स्वागत किया। उन्होने उम्मीद जताई कि भविष्य मे होने वाली संगत और पंगत के मिलनों मे कायस्थ महिलाओ, नवयुवक, नवयुतियों की भागीदारी बढ़ेगी। एक बार फिर उन्होने संगत और पंगत की मूल अवधारणा को लोगो के बीच साझा किया। उन्होने कहा संगत और पंगत के रास्ते से ‘पंथ’ का निर्माण हो जाएगा। श्री सिन्हा ने कहा आज देश के हर गली, मोहल्ले, शहर मे आपको अनेकों कायस्थ संगठन मिल जाएंगे जिसमे से अधिकतर साल मे एक बार जागते हैं या तो ‘कलाम-दवात’ पूजा पर या फिर यम-द्वितीया पर। देश के प्रथम राष्ट्रपति और एकेबीएम के अध्यक्ष रहे डॉ राजेन्द्र प्रसाद को याद करते हुए उन्होने एक किस्सा सुनाया, जिसमे उन्होने बताया की राजेंद्र बाबू अपनी तनख्वाह का 70% दान मे दिया करते थे। उन्होने कहा हमे समाज की सेवा को ही अपना धर्म बनाना चाहिए।
श्री सिन्हा ने कहा अगर एक सशक्त कायस्थ एक अशक्त कायस्थ का हाथ पकड़ ले तो (कायस्थ) समाज बहुत आगे चला जाएगा। सेवा और समर्पण का भाव ही समाज को संगठित करेगा, नेतागिरी से कुछ नहीं मिलेगा। अंत मे अपने संदेश मे उन्होने कहा कि हमे एक-दूसरे की टांग खिंचाई करने की प्रवृति से बचना होगा। 
उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम मे आए सभी चित्रांशों ने बारी-बारी अपना परिचय दिया। जिसमे एसी भटनागर, आर एन सक्सेना, योगेंद्र श्रीवास्तव, राजस्व अधिकारी डॉ अनूप श्रीवास्तव, डॉ अतुल वर्मा, डॉ रेणु वर्मा, नीति श्रीवास्तव,  रत्ना सिन्हा, माधवी देवा, आराध्या श्रीवास्तव, आर के विकास, रोहित श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, आर डी श्रीवास्तव, सुरेन्द्र कुलश्रेष्ठ, आशु भटनागर, मयंक श्रीवास्तव , विवेक चंद्रा एडवोकेट, नवीन चंद्रा, अशोक श्रीवास्तव (गाज़ियाबाद ) विवेक श्रीवास्तव,  अनुरंजन श्रीवास्तव,  मनोज श्रीवास्तव, नितिन श्रीवास्तव, अनूप कुमार सिन्हा, वी पी श्रीवास्तव, राजीव वर्मा, मोहन सहाय, अनिल सक्सेना, दिनेश भटनागर, राकेश श्रीवास्तव, राजेश निगम, हरीश श्रीवास्तव, संजीव भटनागर, बीना श्रीवास्तव, पवन सक्सेना, सुधीर सक्सेना, मनीष श्रीवास्तव, डॉ हर्ष कुलश्रेष्ठ, विनोद श्रीवास्तव, सुरेश  श्रीवास्तव, कुलदीप श्रीवास्तव, अभिषेक खरे एवं अन्य शामिल हुए। उम्मीद से बढ़ कर लोगो ने इस संगत और पंगत मे भाग लिया। 
आपको बता दे श्री सिन्हा के अलावा श्रीमति नीरा शास्त्री, श्री आर एन सक्सेना, श्री ए सी भटनागर, श्री मोहन सहाय एवं अन्य मंचासीन थे जिनके सामने देशभर से आए चित्रांशों ने अपनी बात रखी। जिसमे कायस्थ एकता, दहेज की समस्या, चित्रगुप्त भगवान के मंदिरो के रख-रखाव के प्रबंध के विषय मुख्य रहे।
 
राजस्व अधिकारी श्री अनूप श्रीवास्तव ने कहा कि हमे समाज से दहेज की व्यवस्था को खत्म करना होगा। समाज को तोड़ने का काम बंद कर जोड़ने के काम की शुरुआत करनी होगी। श्री ए सी भटनागर ने कहा हमे एक-एक आदमी (चित्रांश) का हाथ पकड़ना होगा। श्रीमति नीरा शास्त्री ने कहा हमने श्री आर के सिन्हा को अपना ‘लीडर’ मान लिया है अब हमे उनके पीछे ही चलना चाहिए।
 आगरा से आए कार्यस्थ सेना के सुरेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि एक-एक कायस्थ सवा-लाख के बराबर होता है। उन्होने कहा हमे बिना संगठन देखे अपने चित्रांश बंधुओ की मदद करनी चाहिए।
इंदौर से आए राजेश निगम ने कहा कि कायस्थों की कोई धर्मशाला नहीं है। 10,000 sq फिट मे एक चित्रगुप्त मंदिर और कायस्थों के लिए नि: शुल्क धर्मशाला बनाने की योजना है। 
बस्ती से आए श्री विनोद श्रीवास्तव ने कहा एक सरकारी कर्मचारी (चित्रांश) समाज के लिए आराम से कार्य कर सकता है, गाज़ियाबाद से आए श्री हरीश श्रीवास्तव ने कहा आज हमारे चित्रगुप्त मंदिरो की हालत दयनीय है। हमे चित्रांश भाई-बहनों मे चित्रगुप्त भगवान के प्रति आस्था जागृत करनी होगी ताकि वह अपने कुलदेवता के मंदिर जरूर जाए। कई चित्रांशों ने पुन: कायस्थ एकता रथ यात्रा निकालने का भी प्रस्ताव रखा।
सभी ने एक स्वर मे श्री सिन्हा के कायस्थ समाज के प्रति उनके सेवा भाव और समर्पण को खुले मन से सराहा और उनकी संगत और पंगत की मुहिम को एक अच्छा और सही दिशा मे लिया गया एक सार्थक और सकरात्मक कदम बताया। 
हालांकि समय के अभाव मे सभी को बोलने का मौका नहीं मिल पाया पर कह सकते हैं संगत और पंगत ने कायस्थों की एकता (पंथ) के पथ मे एक ‘बड़ा वाला कदम’ लिया है जोकि आने वाले समय मे कायस्थ एकजुटता की दूरी को कायस्थ शिरोमणि श्री रवीन्द्र किशोर सिन्हा के कुशल और सफल नेत्रत्व मे पूरी कर सकता है।  

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