दिलचस्प है कि यह मंदिर जिस पटना मे स्थित है वहाँ 7 लाख से अधिक ‘चित्रांश’ निवास करते हैं इसके बावजूद मंदिए मे भगतो की वो चहल-पहल नहीं दिखती जो होनी चाहिए। यह सत्य है कि धर्मराज चित्रगुप्त भगवान कायस्थों के कुल देवता हैं,, पर यह भी बताना आवश्यक है कि वह केवल ‘कायस्थों’ के नहीं अपितु सम्पूर्ण मानव जाती के भगवान है जो सभी का कल्याण करते है।कई चित्रांश बंधुओ के अलावा अन्य जातियों के लोगो ने चित्रगुप्त भगवान की कृपा को अपनी निजी ज़िंदगी मे महसूस भी किया है उसमे स्वयं मंदिर समिति के अध्यक्ष और एसआईएस ग्रुप के मुखिया श्री चित्रांश श्री रवीन्द्र किशोर सिन्हा भी हैं। जो अपने जीवन की सफलता और ऊंचाईओ को चित्रगुप्त भगवान की कृपा ही बताते हैं। मंदिर निर्माण से लेकर उसकी भव्यता के पीछे भी श्री सिन्हा जी ही हैं जिन्होने मानो अपना सारा जीवन चित्रगुप्त भगवान की भक्ति मे तन-मन-धन से समर्पण कर दिया है। अब आप, हम और सभी चित्रांशों का कर्तव्य है कि हम सभी अपना समय निकाल कर पटना के आदि चित्रगुप्त मंदिर साल मे एक बार जरूर जाए और अपने मित्रो, सगे-सम्बन्धियो को यहाँ जाने के लिए प्रेरित करे और भगवान चित्रगुप्त की महिमा को औरों से बांटे।

“मन की मुराद पूरी करता है पटना का आदि चित्रगुप्त मंदिर”
रोहित श्रीवास्तव।। बिहार के पटना साहिब मे धर्मराज चित्रगुप्त का प्राचीन ‘आदि चित्रगुप्त मंदिर’ है। ऐसा माना जाता है कि 2200 वर्ष पूर्व राजा टोडरमल द्वारा जीर्णोंधार तथा राजा मुद्रा राक्षस द्वारा इसको स्थापित किया गया था। उल्लेखनीय है कि इस मंदिर मे भगवान चित्रगुप्त की सबसे कीमती प्रतिमा स्थापित है।