हमीरपुर पीड़ितों के घर अभी भी नहीं जल रहे चूल्हे
यह हालात छेड़छाड़ से क्षुब्ध आत्मदाह करने वाली छात्रा व पुलिस की गोली का शिकार हुए छात्र रोहित पांडे के घर के अंदर की है। दोनों परिवारों में घटना के बाद से चूल्हे तक नहीं जले है। घरों के चूल्हे ठंडे पड़े हुए है। घर का सामान अस्त व्यस्त पड़ा हुआ है। घर के लोगों को खाने-पीने तक की सुधि नहीं है। बस वह लोग घटना को याद करके रोने लगते हैं।
घरों के बच्चे भी भूख से इधर-उधर बिलबिलाते रहते है। पीड़ित के पड़ोसियों के घरों का भी यही हाल है। पड़ोसियों के यहां भी मातम छाया हुआ है। लोग घटना को याद कर अभी भी सहम सा जाते है।
25 जुलाई को बिंवार में जो हुआ उसको पीड़ित परिवार व कस्बावासी भुला नहीं पा रहे हैं। पीड़ितों के घरों के चूल्हे ठंडे पड़े हुए है। लोगों के यहां खाना नहीं बन रहा है। घरों के बच्चे भूख से बिलबिला रहे है।
गांव के कुछ लोग पीड़ितों के घरों के बच्चों को अपने घर ले जाकर खाना खिलाते है। पीड़ित परिवार घटना को बताते बताते रोने लगते है। लोगों के जहन में बस घटना ही नाच रही है। कस्बा की गलियां सूनी पड़ी हुई है। घरों में पुरुषों का अकाल सा पड़ा हुआ है। कस्बा की महिलाए भी सुबह ही घरों से निकल कर न्याय के लिए पाथा देवी मंदिर के पास आकर बैठ जाती हैं। गांव में दिन भर नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। नेताओं के पहुंचने के बाद गांव वालों को कुछ उम्मीद दिखती है। लेकिन उनके जाने के बाद जगी उम्मीद फिर से दब सी जाती है।
आत्मदाह करने वाली छात्रा व पुलिस की गोली का शिकार हुए छात्र के घरों में अभी भी चूल्हे नहीं चल रहे हैं। घरों के लोगों को खाने-पीने की सुध ही नहीं रहती है। पीड़ित परिवार के घरों के बच्चे भी सुबह से भूखे-प्यासे पूरा दिन गांव में घूमते रहते है। गांव के लोगों ने अगर बच्चों को खाना दे दिया तो खा लेते है नहीं तो कोई बात नहीं। घरों के दरवाजों में बंधे जानवरों को भी कोई ध्यान देने वाला नहीं है। गांव में नेताओं की गाड़ियां पहुंचते ही गांव के बच्चे नेताओं को घेर लेते है। उनकी तरफ टकटकी निगाहों से देखते है, और उनकी बातों को सुनते रहते है।
साभार : जागरण