कायस्थवाद से घबराए सभी दल , बिहार मे फ्लोट करते कायस्थ वोटो ने बदले समीकरण : आर के सिन्हा के हाथो मे कायस्थ वोटो की चाभी
2 फेज के चुनाव हो चुके है , कायस्थ समाज की उपेक्षा के बाद बदले रुख से NDA और महागठबन्धन दोनों के सुर बदल रहे है I कायस्थ खबर को इस बार एक नया ट्रेंड जो कायस्थों मे देखने मे मिल रहा है वो है कायस्थ वोटर के दिल मे कायस्थ प्रत्याशी के लिए समर्पण I बाकी बचे 3 फेज के चुनाव मे दोनों ही तरफ के प्रत्याशी अब कायस्थ समाज की और देख रहे है I हालांकि कायस्थ समाज इस बार हर कीमत पर कायस्थ प्रत्याशियो को ही वोट देने के मूड मे लग रहा है I पर जीत और हार को बदल देने की ताकत रखने वाले कायस्थ समाज का मूड देख कर अब सभी को पसीना आने लगा है लेकिन हम कायस्थ समाज के खड़े हुए प्रत्याशियो पर भी एक नजर डालने की कोशिश की आखिर कौन कितने पानी मैं है
कायस्थ समाज से भी लगभग २० से ज्यदा प्रत्याशी चुनाव के लिए खड़े है जिनमे १० प्रत्याशी महत्वपूर्ण स्तिथि मे सामने आये है या फिर ये कहे की सभी दलों की उपेक्षा के बाद मात्र १० ही कायस्थ प्रत्याशी सामने दिख रहे है I जिनमे नितिन नवीन , दिलीप सिंह , इंदु सिन्हा , विनोद श्रीवास्तव , राजीव रंजन , कुमार आशीष , विनय वर्मा, रश्मि वर्मा , आदि प्रमुख रूप से आगे दिख रहे है I
कायस्थ खबर को मिली जानकारी के अनुसार नितिन नवीन , दिलीप सिंह के जीतो का अंतर तो बिहार मे किसी भी अन्य प्रत्याशी से सबसे ज्यदा रहने की संभावना है I लेकिन इंदु सिन्हा , विनोद श्रीवास्तव और रश्मि वर्मा भी जीत की और आगे बढ़ते दिखाई दे रहे है I
दीर्घा से राजीव रंजन अभी बीजेपी के चौरसिया को टक्कर तो दे रहे हैं मगर जीत की भूमिका आगे कुछ दिनों मे कायस्थ समाज के रुख से ही तय होने की उम्मीद है I
हालांकि देखा जाए तो बीजेपी के लिए कायस्थ समाज के सर्वमान्य नेता को राज्य सभा सांसद बनाना फायदे मे दिख रहा है और आर के सिन्हा की सभाओं मे उमड़ी कायस्थ समाज की भीड़ इस बात का परिचायक भी है की कायस्थ समाज उनकी सुन भी रहा है Iकायस्थ समाज की इस सफलता को देख कर आर के सिन्हा भी कहते है की कायस्थवाद ही अब कायस्थ समाज की प्रगति की दर तय करेगा I
ये सर्व विदित है की कायस्थ हमेशा वोट करने या अपनी राय खुल कर देने मे पीछे ही रहते है पर इस बार दोनों ही परिस्थिति बदली हुई है और बदले रुख की इस बयार मे अगर हमारे ५ से ७ कायस्थ विधायक आ जाते है तो सभी पार्टियो से आगे के चुनावों मे कायस्थ उम्मीदवारों को टिकट देने पर मजबूर रहेंगी इसका हमें पूरा यकीन है