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जन्मदिन पर विशेष : शास्त्री जी के जीवन से प्रेरणादायक प्रसंग

आज पूर्व प्रधानमंत्री स्व  लालबहादुर शास्त्री  जी की ११० वी जयंती है I शास्त्री जी के आदर्श कायस्थ समाज के लिए हमेशा ही प्रेरणादायक है ऐसी कुछ बातें हम अपने पाठको के लिए ला रहे है जिन्हे आप सब लोग सराह्येंगे दुकान में शास्त्री जी  पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री कपड़े की एक दुकान में साडि़यां खरीदने गए। दुकान का मालिक शास्त्री जी को देख बेहद प्रसन्न हुआ। उसने उनके आने को अपना सौभाग्य माना और उनका स्वागत-सत्कार किया। शास्त्री जी ने उससे कहा कि वे जल्दी में हैं और उन्हें चार-पांच साडि़यां चाहिए। दुकान का मैनेजर शास्त्री जी को एक से बढ़ कर एक साडि़यां दिखाने लगा। सभी कीमती साडि़यां थीं। शास्त्री जी बोले- भाई, मुझे इतनी महंगी साडि़यां नहीं चाहिए। कम कीमत वाली दिखाओ। इस पर मैनेजर ने कहा- सर आप इन्हें अपना ही समझिए, दाम की तो कोई बात ही नहीं है। यह तो हम सबका सौभाग्य है कि आप पधारे। शास्त्री जी उसका आशय समझ गए। उन्होंने कहा- मैं तो दाम देकर ही लूंगा। मैं जो तुम से कह रहा हूं उस पर ध्यान दो और मुझे कम कीमत की साडि़यां ही दिखाओ और उनकी कीमत बताते जाओ। तब मैनेजर ने शास्त्री जी को थोड़ी सस्ती साडि़यां दिखानी शुरू कीं। शास्त्री जी ने कहा-ये भी मेरे लिए महंगी ही हैं। और कम कीमत की दिखाओ। मैनेजर को एकदम सस्ती साड़ी दिखाने में संकोच हो रहा था। शास्त्री जी इसे भांप गए। उन्होंने कहा- दुकान में जो सबसे सस्ती साडि़यां हों, वो दिखाओ। मुझे वही चाहिए। आखिरकार मैनेजर ने उनके मनमुताबिक साडि़यां निकालीं। शास्त्री जी ने उनमें से कुछ चुन लीं और उनकी कीमत अदा कर चले गए। उनके जाने के बाद बड़ी देर तक दुकान के कर्मचारी और वहां मौजूद कुछ ग्राहक शास्त्री जी की सादगी की चर्चा करते रहे। वे उनके प्रति श्रद्धा से भर उठे थे। रोचक तथ्य   श्री लाल बहादुर शास्त्री जी जिन्होंने अपने प्रधानमंत्री रहते समय लाहौर पे ऐसा कब्ज़ा जमाया था की पुरे विश्व ने जोर लगा लिया लेकिन लाहौर देने से इनकार कर दिया था। आख़िरकार उनकी एक बड़ी साजिस के तहत हत्या कर दी गयी। जिसका आज तक पता नहीं लगाया जा सका है। 1. जब इंदिरा शास्त्री जी के घर (प्रधान मंत्री आवास ) पर पहुची तो कहा कि यह तो चपरासी का घर लग रहा है, इतनी सादगी थी हमारे शास्त्री जी में... 2. जब 1965 मे पाकिस्तान से युद्ध हुआ था तो शास्त्री जी ने भारतीय सेना का मनोबल इतना बड़ा दिया था की भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को गाजर मूली की तरह काटती चली गयी थी और पाकिस्तान का बहुत बड़ा हिस्सा जीत लिया था। 3. जब भारत पाकिस्तान का युद्ध चल रहा था तो अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने के लिए कहा था की भारत युद्ध खत्म कर दे नहीं तो अमेरिका भारत को खाने के लिए गेहू देना बंद कर देगा तो इसके जवाब मे शास्त्री जी ने कहा था की हम स्वाभिमान से भूखे रहना पसंद करेंगे किसी के सामने भीख मांगने की जगह। और शास्त्री जी देशवासियों से निवेदन किया कीजब तक अनाज की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक सब लोग सोमवार का व्रत रखना चालू कर दे और खाना कम खाया करे। 4. जब शास्त्री जी तास्कंद समझोते के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी के कहा की अब तो इस पुरानी फटी धोती की जगह नई धोती खरीद लीजिये तो शास्त्री जी ने कहा इस देश मे अभी भी ऐसे बहुत से किसान है जो फटी हुई धोती पहनते है इसलिए मै अच्छे कपडे कैसे पहन सकता हु क्योकि मै उन गरीबो का ही नेता हूँ अमीरों का नहीं और फिर शास्त्री जी उनकी फटी पुरानीधोती को अपने हाथ से सिलकर तस्केंत समझोते के लिए गए। 5. जब पाकिस्तान से युद्ध चल रहा था तो शास्त्री जी ने देशवासियों से कहा की युद्ध मे बहुत रूपये खर्च हो सकते है इसलिए सभी लोग अपने फालतू के खर्च कम कर दे और जितना हो सके सेना को धन राशि देकर सहयोग करें। और खर्च कम करने वालीबात शास्त्री जी ने उनके खुद के दैनिक जीवन मे भी उतारी। उन्होने उनके घर के सारे काम करने वाले नौकरो को हटा दिया था और वो खुद ही उनके कपड़े धोते थे, और खुद ही उनके घर की साफ सफाई और झाड़ू पोंछा करते थे। 6. शास्त्री जी कद में दिखने मे जरूर छोटे थे पर वो सच मे बहुत बहादुर और स्वाभिमानी थे। 7. जब शास्त्री जी की मृत्यु हुई तो कुछ नीच लोगों ने उन पर इल्ज़ाम लगाया की शास्त्री जी भ्रस्टाचारी थे पर जांच होने के बाद पता चला की शास्त्री जी केबैंक के खाते मे मात्र 365/- रूपये थे । इससे पता चलता है की शास्त्री जी कितने ईमानदार थे। 8. शास्त्री जी अभी तक के एक मात्र ऐसे प्रधान मंत्री रहे हैं जिनहोने देश के बजट मे से 25 प्रतिशत सेना के ऊपरखर्च करने का फैसला लिया था। शास्त्री जी हमेशा कहते थे की देश का जवान और देश का किसान देश के सबसे महत्वपूर्ण इंसान हैं इसलिए इन्हे कोई भी तकलीफ नहीं होना चाहिए और फिर शास्त्री जी ने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया। 9.जब शास्त्रीजि तस्केंत गए थे तो उन्हे जहर देकर मार दिया गया था और देश मे झूठी खबर फैला दी गयी थी की शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई। और सरकार ने इस बात पर आज तक पर्दा डाल रखा है। 10 शास्त्री जी जातिवाद के खिलाफ थे इसलिए उन्होने उनके नाम के आगे श्रीवास्तव लिखना बंद कर दिया था। हम धन्य हैं की हमारी भूमि पर ऐसे स्वाभिमानी और देश भक्त इंसान ने जन्म लिया। यह बहुत गौरव की बात है की हमे शास्त्री जी जैसे प्रधान मंत्री मिले। जय जवान जय किसान ! शास्त्री जी ज़िंदाबाद ! इंकलाब ज़िंदाबाद

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