सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की साधारण सभा के निर्णय
सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था (आई. एस. ओ. 9001: 2008 प्रमाणित) की वार्षिक साधारण सभा दिनांक 10 अक्टुम्बर 2015 को सायं 5:00 बजे बी-19, 74 बंगला, भोपाल में आयोजित की गई। सभा का सभापतित्व सांसद श्री आलोक संजर ने किया, सभा के प्रस्ताव का वाचन संस्था के अधिष्ठाता श्री वेद आशीष श्रीवास्तव ने किया। संस्था के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र निगम ने प्रस्ताव पर सदस्यों के विचारों से सभा को अवगत कराया। साधारण सभा के समक्ष रखे प्रस्ताव के प्रमुख बिन्दुओं पर विचार विमर्श करने के उपरान्त सर्वसम्मती से प्रस्ताव पारित किया गया जो निम्नानुसार है:- प्रस्ताव पर चर्चा में कहा गया कि पूर्व में जब कायस्थ सभाओं के लिए नियम बने थे। तब समस्त कायस्थ सभाओं को संगठित किया जा सकता था। परन्तु इस ओर किसी सभा का ध्यान शायद नहीं गया। और वर्तमान में समाज को संगठित करने की आवश्यकता महसूस होने पर कार्य योजना एवं उपनियमों को बनाने की ओर सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था का ध्यान गया। इस हेतु उपनियमों के संशोधन के सम्बन्ध में समाज के हर वर्ग और संस्थाओं से सम्मतियाँ मँगाई गई। सम्मती प्राप्त होने के बाद एक पांडुलिपि तैयार की गई जिसमें समाज के हर वर्ग का सहयोग प्राप्त हुआ। सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था ने आवश्यक संशोधन के बाद अपनी वार्षिक साधारण सभा की बैठक में उपनियमों को स्वीकार कर लिया और संशोधित, परिवर्तित नियम - उपनियम इस लेख द्वारा प्रकाशित किये जा रहें है।
सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था ने सक्रीय कायस्थ संस्थाओं के मार्गदर्शन में कायस्थ समाज को संगठित करने और कार्य योजना को क्रियान्वित करने के लिये कुछ नियम बनाये हैं। कायस्थ समाज के वह नियम जो सर्वहितकारी है और हमारे पूर्वजों के द्वारा निर्मित है वे सर्वोपरि हैं और उनमें किसी प्रकार का संशोधन आदि नही किया है। कार्य-वहन के लिए इन नियमों को उपनियम का नाम दिया हैं। इन उप नियमों में एक विषेष नियम ये है कि कायस्थ समाज के प्रति देश के हर कोने में एक कायस्थ सभा होगी और उसके अन्तर्गत शाखा-प्रशाखाएँ होगी। यह उपनियम ही कायस्थ सभा का प्रेरणा मंत्र है। कायस्थ सभाओं के लिए उपनियमों का निर्माण, आवश्यकतानुसार संशोधन, परिवर्तन तथा परिवर्द्धन करने का एकमात्र अधिकार सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था को ही प्राप्त है और इन उपनियमों का संशोधन कराकर ही प्रकाशित किया है। भविष्य में कभी आवश्यकता अनुभव किए जाने पर पुनः संशोधन प्रारूप तैयार कर कायस्थ सभाओं में उक्त प्रारूप को भेजकर उनकी स्वीकृति मँगाई जायेगी। तत्पश्चात् ही उपनियमों को लागू किया जायेगा। वर्तमान के संशोधित और परिवर्तित नियम - उपनियम यही है जो प्रकाशित किये गये है और जो लागू रहेंगे।
सभा के सभापतित्व सांसद श्री आलोक संजर ने इस बात को रखा कि आज के युग में किसी भी वर्ग विशेष के लोगों को एक सूत्र में बांधकर संगठित करना और स्वयं को ‘‘एक ही सम्प्रदाय के हैं’’, ऐसा अनुभव करा कर आपस में इस खून के रिश्तों को मजबूत करना अति आवश्यक हो गया है । इसी आशय से कायस्थ समाज को एक सूत्र में बांधने हेतु ‘‘चलो एक कायस्थ सभा बनाए अभियान’’ प्रारम्भ करें जिसे सर्वत्र सहयोग एवं समर्थन मिलेगा। इस अभियान को मजबूत करना और इसके उद्देश्यों को सफल बनाना प्रत्येक कायस्थ को अपना परम कर्तव्य समझना चाहिये तभी इस महान उद्देश्य को सफल मूर्त रूप मिल सकेगा। कायस्थ समाज को एकता सूत्र के संकल्प हेतु सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था को निर्देषित किया की आज से संस्था अपने मुल नाम के स्थान पर केवल कायस्थ समाज का ही उल्लेख करें।एवं हर कॉलोनी में एक नवीन कायस्थ सभा का निर्माण करें
कायस्थ समाज को आर्थिक रुप से मजबूत करने के उद्देश्य से ‘‘श्री चित्रगुप्त सर्वहितार्थ संकल्प दान कोष’’ का निर्माण किया जाये। श्री चित्रगुप्त सर्वहितार्थ संकल्प दान कोष के धन संग्रह हेतु इच्छुक कायस्थ बंधु को संकल्पित कराया जाये।
कायस्थ परिवारों को एकरूपता प्रदान करने के उद्देश्य से कायस्थ एकता महाअभियान शुरू किया जाये इसके अंतर्गत प्रत्येक कायस्थ परिवार के घर, कार्यालय और वाहन आदि पर पहचान पट्टीका बना कर एकरूपता प्रदान की जाये जिससे यह प्रतीत होगा की वह घर/परिवार हमारे कायस्थ महापरिवार का सदस्य है और अधिक से अधिक क्षेत्रों मे एकरूपता दिखाई देने के साथ संगठित और एकता की अनूभूति होगी।
कायस्थ समाज के महापुरुषों एवं स्थानीय कायस्थ विभूतियों हमारे पूर्वजों की स्मृति में, उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर विषेष आयोजन करना। इस हेतु निर्णय लिया गया कि भविष्य में आयोजित समारोह में कायस्थ महापुरुषों के चित्रों के साथ स्थानीय विभूतियों और हमारे पूर्वजों के चित्र भी लगाए जाये। जिसमें प्रमुख रुप से श्री के.एन. प्रधान, श्री गौरी शंकर कौशल, श्री शीतला सहाय, श्री विचित्र कुमार सिनहा, श्री गोविन्द सांरंग, श्री गोविन्द आर्य निशात, श्री अविनाश चन्द्र संजर, श्रीमती विमला श्रीवास्तव के नामों को रखा गया। अन्य नामों को उनके परिवार की स्वीकृति प्राप्त करने के पश्चात जोडा जाये।
कायस्थ सभा के निर्माण के लिए कार्य योजना बनाई गई जिसके संचालन हेतु सभा सदस्यों ने अपने सुझाव दिये।