संविधान निर्माता दिवस पर लखनऊ कायस्थ समाज ने डा राजेन्द्र प्रसाद को किया नमन
कायस्थ वृन्द, जय चित्रांश आंदोलन, कायस्थ फाउंडेशन ट्रस्ट एवं विवेकानन्द समता फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान मे संविधान निर्माता, संविधान सभा के स्थावयी अध्यक्ष, स्वतंत्रता के महान प्रहरी, भारत रत्न से सम्मा,नित, जनप्रिय प्रथम राष्ट्रपति का 131 वाँ जन्म दिन 03 दिसम्बर 2015 को झूले लाल पार्क मनाया गया। सर्वप्रथम चित्रान्श प्रभु चित्रगुप्त जी की पूजा-अर्चना की गई। उसके पश्चात श्री हरिओम श्रीवास्तव जी ने डा. राजेन्द्र प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण किया।कार्यक्रम मे हरिओम श्रीवास्तव, संजीव सिन्हा, पंकज श्रीवास्तव, अरविंद श्रीवास्तव, पुनीत सक्सेना, अशोक श्रीवास्तव आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि डा. राजेन्द्र प्रसाद अपने समय के अतुलनीय विद्यार्थी थे जिनकी उत्तर पुस्तिका पर अंकित "examinee is better than the examiners" आज भी विश्व रिकार्ड के रूप अक्षुण्ण है। आजादी की लड़ाई के समय से ही उनके सहयोगी उन्हें राजेन बाबू के नाम से पुकारते थे. अत्यंत विनम्र, घमंड से दूर, बिना किसी भेदभाव सभी के बीच घुलमिल कर रहने वाले राजेन बाबू राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी एक मनीषी का जीवन यापन करते थे। ऐसे सादगी पसंद निश्छल मनीषी राजेन्द्र प्रसाद जी के भारतीय संविधान निर्माण में उनके योगदान को वोट बैंक की राजनीति के कारण राजनीतिज्ञों व राजनैतिक दलों द्वारा पिछले 65 वर्षों से क्रमबद्ध तरीकों से इतिहास के पन्नों से गायब किया जा रहा है। संविधान निर्माण के लिए गठित प्रारूप कमेटी ने 21 फरवरी 1948 को संविधान का प्रारूप संविधान सभा के सभापति डा. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप दिया। उक्त प्रारूप पर 4 नवम्बर 1948 को संविधान सभा में चर्चा प्रारम्भ हुई जो एक वर्ष तक जारी रही। सदस्यों ने किसी-किसी पहलू पर विशिष्ट टिप्पणियां कीं और कुछ संशोधनों के सुझाव भी दिये, जिनमें से कुछ को संविधान में शामिल कर लिया गया। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने संविधान के अन्तिम प्रारूप को पारित कर दिया। 24 जनवरी 1950 को केन्द्रिय असेम्बली/संविधान सभा के अन्तिम सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें सचिव एच.वी.आर. अयंगर ने घोषणा की कि राजेन्द्र प्रसाद सर्वसम्मति से भारत के पहले राष्ट्रपति चुने गये हैं। फिर सभी 284 सदस्यों ने संविधान की सुलेखित (कैलिग्राफिक) प्रति पर हस्ताक्षर किये। पहले हस्ताक्षरकर्ता प्रधनमन्त्री नेहरू थे और अन्तिम हस्ताक्षर संविधान सभा के अध्यक्ष की हैसियत से राजेन्द्र प्रसाद ने किये। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हो गया। इससे स्पसष्ट है कि डा. राजेन्द्र प्रसाद के गहन अध्ययन व मंजूरी/स्वीकृति के बाद ही किसी अर्टिकल को संविधान मे शामिल किया जाता था।
सभी वक्ताओं ने सरकार से अनुरोध किया कि डा. राजेन्द्रि प्रसाद के जन्म दिवस 03 दिसम्बर को ''संविधान निर्माता डा. राजेन्द्रि प्रसाद दिवस'' एवं सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए।इस अवसर पर कायस्थ वृन्द महिला प्रकोष्ठ की एडमिन एवं समन्वयक श्रीमती रमन सिन्हा, श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव, श्रीमती प्रमिला श्रीवास्तव, श्रीमती सुकेशनी श्रीवास्तव, श्रीमती नीरज श्रीवास्तव सहित अनेक गणमान्य महिलायें उपस्थित रहीं।