सर्वप्रथम तो मैं यह स्पष्ट कर दूँ की प्रस्तुत पोस्ट किसी की आलोचना नहीं है. मै एक सामाजिक कार्यकर्ता हूँ और समाज में घट रही हर घटनाओं से हम प्रभावित होते हैं इसलिए अपनी समझ से लोगों को कुछ बातें बताना अपना कर्तव्य भी समझता हूँ.
"गलत करना, गलत बातों का समर्थन करना और गलत कार्यों को चुप-चाप देखते रहना सभी एक ही श्रेणी के अपराध है, यही मेरी विचार धारा है". मै थोडा कम समझदार हूँ. अतः संगत-पंगत के आयोजक या प्रवक्ता से अनुरोध होगा कि संगत-पंगत से कायस्थ समाज को होने वाले लाभ से परिचित करवाने की कृपा करेंगे. हमारा मानना है कि हर समाज की भाँती कायस्थ समाज भी नेता, उच्च पदाधिकारी एवं संपन्न लोगों से निकटता बढाने का प्रयास करते हैं.
ज़रूर पढ़े : कायस्थों के लिए दिल्ली में हर रविवार को होगी फ्री ओपीडी : संगत और पंगत डाक्टर विशेष में हुआ एलान नेता इसका फायदा उठाते हैं और भीड़( जनता) अपने प्रिय व्यक्ति के पास बैठकर, चाय पीकर या खाना खाकर अपने को धन्य मान लेता है. इस तरह की समाज सेवा कोई नयी नहीं है. ऐसा पहले भी होता आया है, आज भी हो रहा है औरआगे भी होता रहेगा. नाम अलग- अलग हो सकता है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा में भी एक बड़े कद-काठी के नेता (निवर्तमान राज्यसभा सदस्य)अध्यक्ष पद संभाल चुके हैं. अब उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा है.
उन्होंने हमारे कायस्थ समाज की इतनी सेवा की कि हर गली में एक संगठन खड़ा हो गया तथा हर कायस्थ एक दुसरे को शक की नजर से देखने लगा है. अब पार्टियों और सम्मेलनों का दौर शुरू हो गया है. हर बैठक में या प्रस्ताव में यह जरुर कहा जाता है कि अमुक सेवा मुफ्त है. संगत- पंगत में खाना मुफ्त, स्वास्थ सेवा मुफ्त, ए मुफ्त, बी मुफ्त, सी मुफ्त. मुफ्त के नाम पर कायस्थ आज सांस्कृतिक रूप से ज्यादा पिछड़ रहा है. दरअसल मुफ्त कुछ होता नहीं. मुफ्त में लोगों की परेशानियां ज्यादा बढ़ जाती है.
कायस्थ खबर का महासर्वे अब तक ४००० से ज्यदा लोगो ने अपनी राय : आप भी चुनिए पहली पंक्ति में आपका सर्वाधिक प्रिय कायस्थ नेता कौन है ? अभी ऊपर के पोस्ट में पढ़ा कि
डॉ अजित सक्सेना जी को कायस्थ होने पर गर्व है. यह गर्व पहले भी रहा होगा या हो सकता है कि कायस्थ होने पर गर्व का भाव उन्हें संगत-पंगत में आकर पैदा हुआ हो. पर इसे स्वागत योग्य ही कहा जायगा. हमारे समाज में ऐसे लोग भरे पड़े हैं, जिन्हें कायस्थ होने पर गर्व तो छोडिये, शर्म की भाव ज्यादा होती है. जगह पा लेने के बाद तथाकथित जातिवाद से निर्लिप्त कहलाने में ज्यादा गौरव महसूस करने लगते हैं. या हम यों कहें कि उच्च शिक्षा एवं पद प्राप्त हमारे कायस्थ भाई घमंड-संस्कार के शिकार हो जाते हैं. पोस्ट में लिखा गया कि संगत-पंगत कोई संगठन नहीं है
तो एक प्रश्न यहाँ भी पैदा होता है कि संगत-पंगत में लिए गए निर्णय या सौपें गए काम या वादे पुरे होने की मोनिटरिंग कैसे होगी और कैसे पता होगा कि जिस उद्देश्य से संगत-पंगत की गई वह कहाँ तक सफल हुआ.-
महथा ब्रज भूषण सिन्हा
( भड़ास श्रेणी मे छपने वाले विचार लेखक के है और पूर्णत: निजी हैं , एवं कायस्थ खबर डॉट कॉम इसमें उल्लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है। इस लेख को लेकर अथवा इससे असहमति के विचारों का भी कायस्थ खबर डॉट कॉम स्वागत करता है । आप लेख पर अपनी प्रतिक्रिया kayasthakhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं। या नीचे कमेन्ट बॉक्स मे दे सकते है ,ब्लॉग पोस्ट के साथ अपना संक्षिप्त परिचय और फोटो भी भेजें।) आप की राय
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