
आओ बनाएं कर्मयोगी कायस्थाना -संकेत श्रीवास्तव
चित्रांशो सादर प्रणाम,
हमारे कायस्थ समाज में अनेकों संगठन कार्यशील हैं भाइयो ,ये सर्वविदित तथ्य है !
प्रत्येक कायस्थ आयोजन ,सभा या महासभा में समाज का बड़ा वर्ग बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा है और तन ,मन,धन न्यौछावर करने को तैयार है।
यह देखकर अपार हर्ष की अनुभूति होती है।
परन्तु आश्चर्य तब होता है,जब हमारे बड़े कायस्थ नेता , सभा के अध्यक्ष या बड़े पदाधिकारी ये कहते पाए जाते है कि समाज में एकता नही है।
हद है चित्रांश मित्रो,एक आवाज पर सब एकत्रित होकर दहाड़ रहे हैं फिर भी हम एक नही है।
सत्य है,इसका एक बड़ा कारण अनेक संगठनों एवं दलों के नित्य निर्माण की अवधारणा है जिसने समाज में विभिन्नता और विखंडता उत्त्पन्न की ।
कई दल व सत्ता प्रेमी तो व्यक्तिगत स्वार्थ और महत्वाकांक्षा के विषैले गर्भ से जन्मे है जो समाज के लिए घातक हैं।और हमारी व्यक्तिगत राय व मत को आपसी रंजिश बता कर समाज को हमेसा गुमराह करते आये है।
जिस प्रकार राष्ट्रिय राजनीति में छोटे दलों ने लोकतांत्रिक नियमों का बहाना लेकर देश को गर्त में पहुंचा दिया है
इसी प्रकार सामाजिक स्तर पर दलों की संख्या निश्चित ही दुर्भाग्यदायक है।
अतः अब समय है लोग अधिक जागरूक भी है।
अब सभी दलों को एक साथ बैठकर विलय की नीति पर अमल करना ही चाहिए और खुछ लोग दिलो जान से इन सभी कायस्थ दलो को विलय की नीति पर ला भी रहे है।
अगर मुकम्मल एकता का वजूद चाहते हैं तो और समाज सेवा का दिखावा आपका शगल है,केवल खुद को चमकाना ही आपका लक्ष्य है तब तो आप बधाई के पात्र हैं
और आपसे उम्मीद लगा बैठने के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।आपका अपना
चित्रांश संकेत श्रीवास्तव
प्रताप नगर , जयपुर
9529280456