शर्मनाक : आपसी लड़ाई में कायस्थ भूले भगवान् चित्रगुप्त प्राकट्य दिवस
कायस्थ समाज में किस कदर आपसी प्रतिद्वंदिता है इसका एक उदाहरण कल भगवान् चित्रगुप्त के प्राकट्य दिवस को लेकर समाज की उदासीनता से दिखा I गौरतलब है की पिछले साल गोरखपुर से संचालित कायस्थ विकास परिषद् और उसके तत्कालीन रास्ट्रीय सचिव पंकज ने भैया ने पहली बार सर्व समाज के सामने प्राकट्य दिवस को लेकर बड़ा आन्दोलन किया था I
और तमाम विवादों और सवालों के बाद भी इसे देश के कई हिस्सों में बिभिन्न संगठनो ने आयोजित किया I लेकिन साल आते आते परिस्थितिया बदल चुकी थी I पंकज भैया कायस्थ विकास परिषद् से निष्काषित होकर कायस्थ वाहनी के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख हो चुके है I इसलिए साल भार बाद ये दो संगठन अपने अपने हिसाब से इस कार्यक्रम को करने के दावे तो करते दिखे लेकिन बाकी संगठनो और समाज को भगवान् चित्रगुप्त के प्राकट्य दिवस से जोड़ पाने में असफल रहे जो इनके क्रेडिबिलिटी पर भी सवाल उठाता है I बड़ी बात ये भी है की देश भर के ३५०० से ज्यदा संगठन भी सिर्फ निमंत्र्ण की राह देखते रहे जो इनके होने पर ही सवाल उठाता है I दिल्ली एनसीआर के किसी भी प्रमुख नेता ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया I
कायस्थ समाज से अब तक मिली जानकारी के अनुसार मुश्किल से १० जगह भी कार्यक्रम नहीं आयोजित हुए I दरअसल आपसी क्रेडिट लेने की होड़ में ये दोनों ही संगठन भूल गये की कुछ बातों के लिए कायस्थ समाज को सभी संगठनो को ना सिर्फ साथ लेना होगा बल्कि उनमे विशवास भी जाग्रत करना होगा
खैर अब पछताय होता क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत I अब समय आ गया है जब कायस्थ समाज को ये सोचना होगा की कम से कम भगवान् चित्रगुप्त के पूजा के लिए तो आपसी लड़ाई छोड़ कर साथ आये I क्योंकि आपस में लड़ने के लिए भी अस्तित्व का बचा होना आवश्यक है I और उसके लिए एकाधिकार की प्रवत्ति का त्याग और समाज हित में आगे आना ही एक मात्र समाधान है