अधिकतम 7 ट्रस्टी ही बन सकते है की सूचना भरी मीटिंग मे देने वाले पर जब भरोसा कर उपस्थित जन ने आवश्यक कार्यवाही करने का अधिकार दिया तो परिणाम क्या हुआ? 7 की जगह 19 ट्रस्टी जिनमे चार सगे,दो खास नातेदार अर्थात 6 एक ही परिवार के. कुल पॉच पदाधिकारी जिनमे दो एक ही परिवार के. जब धीरेन्द्र जी ने गिरीडीह व लखनऊ में सबके सामने कहा कि ट्रस्ट केवल महिलाओ द्वारा स्थापित व संचालित होगा तो पुरूष क्यो सम्मिलित किये गये? किसने ट्रस्ट का बाइलाज चुपके-चुपके बनवाया ? एक ट्रस्टी जो एडवोकेट भी है के द्वारा प्रस्तुत किया गया बाइलाज क्यो नही पंजीकृत कराया गया ? तीन सायनिंग अथार्टी जिनमे परिवार के सदस्य के अतिरिक्त किसी के अवकाश पर जाने पर उसका प्रभार लेने का प्रावधान अर्थात प्राय: एक ही परिवार के दो सदस्यो अर्थात पति-पत्नी का सायनिंग अथार्टी बन जाना. बात-बात पर जेल भेजने की धमकी देना.झूठे आरोप लगाना.क्या इसका विरोध व इसके विरूद्ध कार्यवाही करना "महिला सशक्तिकरण" का विरोध व महिलाओ का अपमान करना है.यदि हॉ.तो धीरेन्द्र जी ने ऐसा कर दिया है. क्या शंकालु ,ईर्ष्यालु और बात-बात में आरोप लगाने वाले सामाजिक दायित्वो के निर्वहन के लिये उपयुक्त होते है.प्रारम्भ मे सभी सज्जन दीखते है असलियत तो कुछ समय के बाद पता चलता है.अगर धीरेन्द्र जी ने ऐहतियात बरती हो तो इसमें बुराई क्या ? ट्रस्ट में कुल rs.83000/ एकत्र हुये जितनी धीरेन्द्र जी की मासिक आय होगी. उसमें rs.30000/-खर्चे बताये गये .शेष rs.53000/-में घपला व गबन कर दिया महिला अपमान की दुहाई देने वालो के अनुसार धीरेन्द्र जी ने.उस पर माफी न मॉगने पर विधिक कार्यवाही की चेतावनी देने पर महिला अपमान की बात लेकर ऐसे दौडे कुछ लोग जैसे कौआ कान ले गये की तर्ज पर दौड़ते कुछ बुद्धिजीवी.हालॉकि कतिपय संगठनो ने कुछ कहा कि नही कहा क्योकि समाचार छापा भी झूठ बोलने वाले समूह ने जिसकी उप सम्पादिका वही महोदया है जो अपने कृत्यो को महिला सम्मान हेतु जार-जार कर सहानुभूति पाने की कोशिश कर रही है व सच्चाई पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही हैं.पति महोदय स्वयं रिमूव करते है एडमिन के पद से और वे आरोप लगाती है कि धीरेन्द्र जी ने हटा दिया. पति कहता है कि मेरे परिवार के विषय में सोशल मीडिया पर चर्चा न करें और स्वयं ही विभिन्न पोर्टलो में प्रकाशन करवा कर अपने आई०डी० से चर्चा करता है.क्या ये एकता एवम विकास के लिये प्रयास करने वाले को हतोत्साहित करने का घिनौनी चाल नही है?क्या ऐसा नही लगता है कि स्वार्थी और मक्कार कायस्थ गुट बनाकर चाले चल रहे है? आखिर एक वर्ष के भीतर "धीरेन्द्र" जी व "कायस्थवृन्द" की जो लोकप्रियता बढी है ,वह दशको से पैर जमाये कतिपय मठाधीशो को बर्दाश्त कैसे होगा ? चरित्र हनन के ऐसे प्रयास नाकाबिले बर्दाश्त होना चाहिये. आप सभी इस प्रकरण मे रूचि लेने वाले साथियो से अनुरोध भी है ट्रस्ट के शेष 13 सदस्यो से भी तो पूछे कि यही सच्चाई है या फिर कुछ और ? आखिर आप बुद्धीजीवी समाज के जो है. दीपक श्रीवास्तव समन्वयक,"कायस्थवृन्द "अब फैसला समाज को करना है की गलत क्या है सही क्या है , कायस्थ खबर कायस्थ विकास परिषद् के वैध राजीव सिन्हा का आफिशयल ब्यान की भी प्रतीक्षा कर रहा है वो भी चाहे तो कायस्थ खबर को 9654531723 पर काल करके अपना व्यू दे सकते हैं
महिला अपमान के प्रपंच पर दीपक श्रीवास्तव का सवाल -रमण सिन्हा द्वारा गबन के गलत आरोप पर विधिक कार्यवाही महिला अपमान कैसे हो गया , जानिये क्या है सच ?
कायस्थ वृंद में रमण सिन्हा vs धीरेन्द्र श्रीवास्तव विवाद में एक न्यूज़ पोर्टल द्वारा कई संगठनो के अध्यक्षों के बयान लेकर धीरेन्द श्रीवास्तव पर महिला शक्ति को बदनाम करने और उन पर लगे आरोपो को साफ़ करने को कहा I उक्त न्यूज़ पोर्टल के अनुसार कायस्थ विकास परिषद् के अध्यक्ष वैध राजीव सिन्हा वैध सिन्हा ने कहा कि रमन सिन्हा के द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब क्यों नही दे रहें है धीरेन्द्र श्रीवास्तव ? जहां हम एक ओर महिला सषक्तिकरण और कायस्थ एकता की बात कर रहें है वहीं धीरेन्द्र श्रीवास्तव के द्वारा एक कायस्थ परिवार की महिला को न्यायालय ले जाने की धमकी की जितनी निन्दा की जाए वह कम है।
(हालांकि कायस्थ खबर वैध राजीव सिन्हा के इस बयान की पुष्टि नहीं करता है क्योंकि ये सिर्फ उस न्यूज़ पोर्टल के आधार पर कहा जा रहा है )
अब इस कड़ी में इलाहाबाद की स्नेह संस्था(NGO) और कायस्थ वृंद के समन्वयक के दीपक श्रीवास्तव ने धीरेन्द्र श्रीवास्तव के पक्ष में सोशल मीडिया पर अपना ब्यान दिया है I उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा की अगर गबन के झूठे आरोपों के जबाब ने धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने कानूनी कार्यवाही करने की बात की को गलत क्या है ?
दीपक लिखते हैं