उनके बचाव में उनके पति संजीव सिन्हा भी उतरे लेकिन पुरे समय दोनों ने ये नहीं बताया की रमण सिन्हा ने जो शाम स्वीकार किया था की आरोप उन्होंने नहीं लगाए वो सही है या गलत I इससे पहले चर्चा के शुरू में ही रमन सिन्हा और संजीव सिन्हा इस बात पर अड़ गये थे की ट्रस्ट में शामिल उनकी बेटी और दामाद को यहाँ ना बुलाया जाए I हालांकि ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने इसका विरोध किया और कहा की जब वोटिंग के समय वो उपस्थित हो सकते हैं तो डिस्प्यूट के समय क्यूँ नहीं I लेकिन कायस्थ वाणी के अरविन्द श्रीवास्तव और कायस्थ खबर के आशु भटनागर ने उनका ये अनुरोध मान लिया की बेटी और दामाद को यहाँ इस तरह झगडे में बुलाने पर पारिवारिक समस्याए हो सकती हैं इसलिए मानवीय आधार पर उन्हें ना बुलाया जाएइसके बाद संजीव सिन्हा सिन्हा और रमण सिन्हा चर्चा में सहयोग की जगह एक नयी मांग पर अड़ गये की १९ सस्द्यो में से बाहर एक नये सदस्य और उनकी पक्षकार कविता सक्सेना को जोड़ा जाए और उनको ही जज बनाया I जिसको अस्वीकार कर दिया गया I इसके बाद तो संजीव सिन्हा और रमण सिन्हा ने अनुसाशन हीनता की साड़ी हदे पार कर दी I सारी बेकार बातें होती रही लेकिन दोनों ने सवालों के जबाब नहीं दिये I दोनों एक ही सुर में कहते रहे की पिछले ३ महीने से उनके साथ अन्याय हुआ है इसलिए पहले तीन महीने का हिसाब दें सब I उनकी ऐसा हठी और असहयोगात्मक रवैया देख कर चर्चा के नियुक्त अध्यक्ष अरविन्द श्रीवास्तव ने कहा की इस सब से कोई फायदा नहीं हम सब अपना समय ख़राब कर रहे है , अत इसे बंद किया जाए इसके बाद संजीव सिन्हा , रमण सिन्हा इसे अपनी जीत मानते हुए ख़ुशी मनाने लगे I इधर इनके रवये के कारण धीरेन्द्र श्रीवास्तव भी इनके द्वारा लगाए आरोपों के ऑडियो रिकार्डिंग न्यूज़ पोर्टल के सम्पादक से मांगने लगे लेकिन २ घंटे की बहस के बाद भी ना उन्हें ऑडियो मिला और ना ही कुछ समाधान निकला आखिरकार संजीव सिन्हा ने ग्रुप में भेज अपने ऑडियो में कहा की अगर वो कह देंगे की रमण जी ने आरोप नहीं लगाए तो उन्हें डर है की फिर न्यूज़ पोर्टल से साबुत मांगे जायेंगे और फिर और सवाल इसीलिए वो ये कहना ही नहीं चाहते है I और इस तरह धीरन्द्र श्रीवास्तव पर गबन का आरोप लगाकर अब रमण सिन्हा और संजीव सिन्हा अपने को ही पीड़ित बताने के खेल में लगे है Iखैर अब ये धीरेन्द्र श्रीवास्तव को तय करना है की वो अपने उपर लगे गबन के आरोपों को किस तरह से धो पाते है या मान लेते हैं की उन्होंने रमण सिन्हा के आरोपों के अनुसार गबन किया है बहराल इस पुरे प्रकरण से एक बात और साफ़ हुई की परिवार के के कारण हुई जिद ने कायस्थ समाज को मिलने वाली एक सौगात खो दी है और भविष्य में शायद ही कोई ऐसी नयी पहल करेगा या ऐसे एक दुसरे पर विश्वास करेगा I
मीडिया के सामने सच बोलने से डरे कायस्थ वृंद के लोग : पहले ही सवाल पर जिद पर अड़ गये रमन सिन्हा , संजीव सिन्हा
कायस्थ समाज क्यूँ नहीं एक हो सकता है , इसका एक उदाहरण आज जब देखने को मिला जब कायस्थ वृंद के धीरेन्द्र श्रीवास्तव और रमण सिन्हा के आरोप प्रत्यारोप को लेकर एक छोटी सी मीटिंग करने की असफल कोशिश संयुक्त रूप से कायस्थ खबर , कायस्थ वाणी और कायस्थ की ललकार के सामने की गयी
मीडिया के सामने कायस्थ वाणी के अरविन्द श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जब पहला सवाल रमण सिन्हा से पूछा गया तो १ घंटे तक उन्होंने सारी दुनिया की बातें कर दी लेकिन ये नहीं बताया की आखिर जो आरोप उन्होंने धीरेन्द्र श्रीवास्तव पर लगाए उनका सच क्या है ?
AB SAMAY AAGAYA HE KAYASTHON KO EK JUT EK CHHATR KE NEECHE AA JANA CHHAHIYE .
would like to be added only to make any comment .