दो दिन पहले सदी के महानायक और कायस्थ रत्न अमिताभ बच्चन ने बफोर्स घोटाले में अपने उपर लगे गलत आरोपों से बरी होने के दौरान झेले दर्द की पीड़ा बयान करते हुए अपने ब्लॉग में लिखा, निर्दोष होने के बाबजूद इस मामले से निकलने में लगे २५ साल, आगे लिखा आरोप लगा काफी आसान, वास्तविकता की जांच की जेहमत नहीं उठाते लोग I कायस्थ खबर की हमेशा ही कोशिश रही है की ऐसी बातें हमेशा बाहर निकल कर आये I उनकी इसी पीड़ा को इलाहबाद के धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने अपने कुछ विचार और संस्मरण लिखे है ,
सम्पादक - कायस्थखबर
अग्निपथ - अग्नि पथ - अग्नि पथ
पिता की इन पंक्तियों की सार्थकता को पुत्र ने पूर्ण रूप से जीवंत किया ...
तमाम संघर्षों, विवादों से गुजर कर एक व्यक्तित्व निखरता है, तब बनता है एक महानायक......
प्रभंजन, मेघ, दामिनी ने न क्या तोड़ा न क्या फोड़ा,
धरा के और नभ के बीच कुछ साबित नहीं छोड़ा,
मगर निर्माण में आशा दृढ़ता से कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?
अमिताभ जी की अंतर्राष्ट्रीय छवि कुछ इस प्रकार की है कि कुछ सम्मानित व्यक्तियों द्वारा भारत के प्रथम नागरिक पद के लिये सर्वाधिक उपयुक्त कहा गया | जैसा कि उनके प्रति विभिन्न राजनेताओं व दलों द्वारा दिये जाने वाले सम्मान से पता लगता है कि उनका राष्ट्रपति बनना सर्वथा उपयुक्त है ।
पीत पत्रकारिता,भर्माने वाली छद्मी राजनीति के परिणाम स्वरूप जो दर्द अमिताभ जी ने झेले हैं उसकी भरपाई तो किसी हालत मे नही हो सकती है। बेदाग सिद्ध करने वाले अन्तिम परिणाम आने पर अमित जी का सबसे बडा दुःख उस अवसर पर उनके बाबूजी स्व.डॉ हरिवंश राय बच्चन के साथ न रहने का रहा।
ऐसे में जबकि हम अमित जी के हृदय के दर्द को, जो प्राय: सामने आ जाता है को महसूस करते हुये इस देशरत्न के साथ हुए नाइंसाफी को न रोक पाने को शर्मिंदा है।
अवसरवादिता हमारे राजनीतिक परिवेश की प्रमुख विशेषता रही है। व्यवस्था में ऐसा लोच है कि शातिर आसानी से देश को अरबों खरबों का चूना लगाकर देश से बाहर निकल जाते है एवं सभ्य व्यवहार वाले पचीसों वर्ष तक अपमानित व बेइज्जती के हालात से जूझते रहते है।
हमारी जागृति इतनी उच्चस्तरीय है कि हम प्रस्तुत करने वाले तथ्यों का सम्यक विश्लेषण न कर गलत चर्चाओं पर भरोसा कर बिना वास्तविकता जाने कार्यवाही करने लगते है कि सही आदमी चोर और चोर आदमी सही दिखने लगता है।
विश्वविख्यात अभिनेता श्री अमिताभ बच्चन के साथ भी ऐसा ही हुआ था। उनको होने वाले दुखों को हम बखूबी समझ सकते है। अपने संसदीय समय मे व्यक्तिगत स्तर से भी इलाहाबाद का विकास सहयोग करने वाले बच्चन जी सार्वजनिक जीवन मे होने वाले आक्रमणो से इतना दुःखी थे कि त्यागपत्र देने के उपरांत सर्वश्री विजय चन्द श्रीवास्तव , अनिल कुमार श्रीवास्तव ,राकेश श्रीवास्तव,शीतला प्रसाद श्रीवास्तव एवं मेरे (धीरेन्द्र) इत्यादि द्वारा चलाये गये "जन जगाओ-अमिताभ लाओ"अभियान को मिलने वाली अपार सफलता के बावजूद मिलने गये एक प्रतिनिधि मंडल से उन्होने विनम्रतापूर्वक राजनीति मे पुनः आने से इंकार किया|
बोफोर्स के इस दाग को मिटाने का एक ही रास्ता है। उन्हे भारत का राष्ट्रपति बनाकर देश भ्रम व गलतफहमियां फैलाने वालो (चाहे वे जीवित हो या मृत) को सन्देश दे सकता है कि सोना आखिर सोना ही होता है भले ही उस पर कितना धूल क्यो न डाल दिया जाये। कभी न कभी धूल हटती है और समाज को उसकी कीमत अदा ही करनी पडती
दुनिया के अंदर दुनिया है, दुनिया अंदर दुनिया
फिर दुनिया के अंदर दुनिया |
तू कितनी दुनिया के अंदर, भान तुझे इंसाना....
ज्ञान के प्रकाश में, सत्य की राह पर ,
धर्म की ध्वजा लिए, कर्म का संकल्प लो |
जीवन के संग्राम में, इच्छाओं का दाह कर,
दृढ़ता का ढाल लिए कर्म का संकल्प लो |
धीरेन्द्र श्रीवास्तव (लेखक इलाहबाद से हैं और कायस्थ वृन्द के मुख्य समन्वयक है )
( चौपाल श्रेणी मे छपने वाले विचार लेखक के है और पूर्णत: निजी हैं , एवं कायस्थ खबर डॉट कॉम इसमें उल्लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है। इस लेख को लेकर अथवा इससे असहमति के विचारों का भी कायस्थ खबर डॉट कॉम स्वागत करता है । आप लेख पर अपनी प्रतिक्रिया kayasthakhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं। या नीचे कमेन्ट बॉक्स मे दे सकते है ,ब्लॉग पोस्ट के साथ अपना संक्षिप्त परिचय और फोटो भी भेजें।)
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