पूर्व में कहा गया था की यह फैज़ाबाद कार्यक्रम में हुए निर्णयो की समीक्षा के लिए आयोजित की गयी जिसमे राजनितिक मंथन होगा पर ऐसा हुआ नही ।2017 उत्तर प्रदेश चुनाव के समीकरण पर कोई चर्चा नही हुईसभी कायस्थो को जोड़ने की बात कही गयी थी पर वहा लोग पिकनिक बनाने क्यों पहुचे ।ऐसा लगता है की मीडिया को भी अँधेरे में रखा गया क्योंकि वहा मीडिया अनुसपस्थित रही ।जब यह कायस्थ कार्यक्रम था तो इसमें गैर कायस्थ लोग कैसे आये क्या यह कायस्थ सेना का राजनितिक सम्मेलन थादेखा जाये तो पूरा कार्यक्रम गफलत भरा था और इसका कोई एजेंडा भी निर्धारित नही था इसलिए इतनी अववस्थाये हुई ।।इतने भयंकर गर्मी में लोग गर्मी से बेहाल दिखे और एजेंडा तय न होने के कारन सभी निराश थे।कुछ लोगो द्वारा अशब्द कहना गलत व् दुखद रहायुवा पत्रकार को व्यक्तिगत अशब्द कहना किसी मायने में सही नही था जबकि वह पल पल का निस्पक्ष कवरेज कर रहा थाएक मीडिया समूह को किसी ने सबक सिखाने व् उसके संवाददाता को अशब्द कहना भी ठीक व् उचित नही था मीडिया ने बिना स्वार्थ निस्पक्ष कवरेज किया जिसके लिए उन्हें धन्यवाद ।आलोक श्रीवास्तव

गफलत से भरा रहा कायस्थ बृंद या संगत पंगत या कायस्थ सम्मलेन आगरा के बाद उपजे कुछ तीखे सवाल – आलोक श्रीवास्तव
श्री आर के सिन्हा जी ने लिखा था की मेंढकों को तौलना और कायस्थो को जोड़ना दोनों मुश्किल नही असंभव है ।आगरा कायस्थ बृंद सम्मलेन समाप्ति तक संगत पंगत,कायस्थ सम्मलेन और कायस्थ सेना बन गया जो पूर्ण रूप से गफलत से भरा रहा ।
कुछ सवाल उठ रहे है जैसे