किसी को इसके आयोजन में आर के सिन्हा की कम्पनी एस आई एस के नाम लिखे होने पर आपत्ति थी , तो किसी को इस कार्यक्रम में कायस्थों के साथ साथ अन्य लोगो (जिनमे एस आई एस के कर्मचारी भी थे ) के भी होने पर आपत्ति थी I कुछ लोगो के अनुसार ये चापलूसों द्वारा आर के सिन्हा को खुश करने का कार्यक्रम था तो कुछ लोगो के अनुसार ये आरके सिन्हा के पैसे के बलबूते किये गए कार्यक्रम में से एक था Iवस्तुत जितने मुह उतनी बाते I इन सब के बाद आखिर कायस्थ खबर ने ये सोचना शुरू किया की क्या ये किसी भी कार्यक्रम का विरोध है या फिर चूँकि आर के सिन्हा का नाम कार्यक्रम के जुडा है इसलिए विरोध है I कहीं ये विरोध कर आर के सिन्हा की अटेंशन पाने का तरीका तो नहीं है क्योंकि पूर्व में भी हम ऐसे कई काम देख चुके है की जिन्होंने आर के सिन्हा का विरोध किया वही बाद में उनके कृपापात्र बनते दिखाई दिएज़रूर पढ़े : 31 जुलाई को एक बार फिर कायस्थ खबर परिचर्चा और संवाद : नॉएडा में देश भर से राजनैतिक, सामाजिक और व्यापारिक कायस्थ होंगे फिर से समाज के सवालों के आईने मेंहालांकि इनसब में एक जो अच्छी बात हमें समझ आई वो ये की आज कायस्थ समाज में किसी भी कार्यक्रम की सफलता और असफलता का पैरामीटर आर के सिन्हा की उस कार्यक्रम में उपस्थिति है I जिसको लेकर कार्यक्रम आयोजको जहाँ उनको लाने की जदोजहद लगी रहती है वहीं यही लोगो उनका विरोध भी करते रहते है Iगाज़ियाबाद के ऐसे ही एक पुराने कायस्थ समाज सेवी यदाकदा आर के सिन्हा के पैसो के लिए लोगो पर उनकी चाटुकारिता करने का इल्जाम लगाते रहते है हालांकि वो खुद अपनी संस्था के लिए आर के सिन्हा का आशीर्वाद पाने के प्रयास करते दिखाई देते हैं I ऐसे ही समाजसेवी में रांची के एक स्वघोषित चिन्तक का भी नाम लिया जा सकता है जो काफी समय तक आर के सिन्हा को कटु आलोचना करते रहे थे लेकिन जैसे ही आर के इस्न्हा ने उन्हें अपने यहाँ बुला कर डिनर कराया तो भक्त हो गए थेऐसे में पुरे देश में हर जगह आर के सिन्हा के पक्ष और विपक्ष में खड़े कायस्थ समाज के लोगो की बहसों को देख कर एक ही बात कही जा सकती है की बीते कुछ समय में आर के सिन्हा निर्विवाद तोर पर कायस्थ समाज की धुरी बन गये है I आप उनकी प्रशंशा और आलोचना अपने अपने कारणों से कर सकते है लेकिन उनको इग्नोर नहीं कर सकते हैआर के सिन्हा से ही क्यूँ उम्मीद ?आखिर अचानक आर के सिन्हा ही धुरी क्यूँ बनते जा रहे है I इसका भी कारण है , देखा जाए पिछले कई सालो में कायस्थ नेताओं ने अपनी प्रासंगिकता खोयी है I क्योंकि अधिकतर नेता भले ही खुद को राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय घोषित किये हुई हो लेकिन वो आज भी जिले स्तर से बहार नहीं निकल पाए है I आज भी कायस्थ सामज को देह्व्यापी स्तर पर कोई एक नेता नहीं मिलता था जिस्को लेकर वो बाकी समाज से बात कर सके I राजनेताओं से भी उम्मीद क्षेत्र के अनुसार ही होती है I अधिकाँश कायस्थ समाज के नेताओं पर पैसे को लेकर खाने और कमाने के आरोप लगते रहे है ऐसे में अपने पैसे से लोगो की मदद , कायस्थ समाज के लिए कार्यक्रम और कायस्थ समाज के बिभिन्न कार्यक्रमों में भी पैसे से मदद करने को लेकर देश भर में कायस्थ समाज के लिए आर के सिन्हा एक उम्मीद बन गए है I आज लोगो को लगता है"जिसका कोई नहीं होना उसका आर के सिन्हा "तो फिर विरोध के आखिर कारण है क्या ?देखा जाए तो आज की तारीख में आर के सिन्हा का विरोध दो तरह के लोग करते दिखाई दे रहे है पहले जो आर के सिन्हा के अलावा किसी और नेता के साथ जुड़े है और आर के सिन्हा के पक्ष मे उमड़ते जन सैलाब को अपने नेता की छवि को कमजोर होता देख ऐसा विरोध करते है Iदुसरे वो हैं जो किसी कारणों वश आर के सिन्हा तक नहीं पहुँच पा रहे है वो उसके लिए आर के सिन्हा के इर्दगिर्द लोगो को ही इसके लिए ज़िम्मेदार मानते है I ऐसा कई बार होता है जब ऐसे लोग आर के सिन्हा पर चाटुकारों से घिरे होने का आरोप लगाते है ये लोग खुद आर के सिन्हा के साथ जुड़ना चाहते है लेकिन अनेक कारणों से आर के सिन्हा तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब नहीं रहते हैतो फिर समाधान क्या है ?देखा जाये तो प्रतिस्पर्धी नेताओं से जुड़े लोगो का तो आर के सिन्हा कुछ नहीं कर सकते है I लेकिन जो लोग उनसे जुड़ने के लिए उन पर चाटुकारों से घिरे होने के आरोप लगाते है उनके लिए आर के सिन्हा को ज़रूर प्रयास करने चाहए I उन्हें देखना होगा आखिर क्यूँ कुछ ही लोगो से समाज का एक बड़ा हिस्सा उनसे दूर हो रहा है I आर के सिन्हा से अगर इतने लोग जुड़ना चाह रहे है तो इसका एक मतलब ये भी है की समाज का एक बड़ा हिस्सा उनसे जुड़ने के लिए लालायित है और ऐसे में आर के सिन्हा को ही उनसे जुड़ने के लिए नए प्रभावशाली तरीको से जुड़ना होगा Iसोशल मीडिया के सीधे संवाद के दौर में संगत पंगत एक अच्छा प्रयोग है लेकिन इसमें अब साथ जुड़ने वाले लोगो की संख्या बढ़ानी होगी I ताकि एलीट क्लास का आरोप लगाने वाले लोगो को भी इसमें जोड़ा जा सके I साथ ही जुड़ने वाले लोगो जबाबदेही भी तय करनी होगी ताकि आने वाले समय में संगत पंगत एक आन्दोलन बन जाए जिसमे लोग स्वत आगे आकार इसे करना शुरू करे

क्या आर के सिन्हा अब कायस्थ समाज की धुरी बन चुके है – आशु भटनागर
कल नॉएडा में संगत पंगत से जुड़े कुछ लोगो ने मिलकर एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया I जिसे संगत पंगत के नाम से ही आयोजित किया गया और ख़ुशी की बात ये रही की इस शिविर में २२० के करीव लोगो ने रक्त दान भी किया I आर के सिन्हा इसके मुख्य अथिति बने और उन्होंने इस कार्यक्रम का शुभारम्भ भी किया Iलेकिन जैसे जैसे इस कार्यक्रम की खबरे सोशल मीडिया पर फ़्लैश होनी शुरू हुई वैसे वैसे ही कार्यक्रम को लेकर बिभिन्न संस्थाओं के लोगो , फ्रीलांस पत्रकारों और स्वय्म्सेवियो के द्वारा बिभिन्न रूपों में इसकी आलोचना शुरू हो गयी I
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