एक बार फिर बबलू श्रीवास्तव के रिहाई की मांग उठी जनप्रतिनिधि टीम ने शुरू किया नेताओं को ज्ञापन सौपने का सिलसिला
आलोक श्रीवास्तव, मिर्जापुर I हत्या के आरोप में पिछले 21 साल से जेल में सजा काट रहे ओम प्रकाश श्रीवास्तव उर्फ़ बबलू श्रीवास्तव के रिहाई के सन्दर्भ में एक प्रतिनिधि मंडल की टीम जिसमे बाराबंकी से रंजीत बहादुर श्रीवास्तव, नगर पालिका अध्यक्ष, बाराबंकी, लखनऊ से विनोद श्रीवास्तव, विश्व मोहन श्रीवास्तव, ग्रेटर नॉएडा से अवधेश श्रीवास्तव एवं नयी दिल्ली से दीपक स्मिता श्रीवास्तव बीजेपी राज्य सभा सांसद आर के सिन्हा से नॉएडा में मिले और उन्हें बबलू श्रीवास्तव को अच्छे चाल चलन के आधार पर जेल रिहा करने के सन्दर्भ में एक लिखित ज्ञापन सौपा। यह मामला अब माननीय गृह मंत्री के अधीन है। मानवीय व् अच्छे चाल चलन के आधार पर देश में बहुत से दुर्दान्त अपराधियो को छोड़ा गया है जैस फूलन देवी व् भुल्लर है। रंजीत बहादुर श्रीवास्तव ने कायस्थ समाज के सभी संघठनो से अपील की है कि वह भी इस मुहीम में शामिल हो।
रिहाई के प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 45 के अनुसार उम्रकैद का मतलब सारी उम्र कैद होती है, लेकिन सरकार मुजरिम के चाल-चलन के आधार पर 14 साल का कारावास काटने के बाद उसे माफी दे सकती है। CRPC की धारा 433 (ए) के तहत प्रावधान किया गया है कि सरकार उम्रकैद को 14 साल से कम नही कर सकती है।
जेल मैन्युअल के अनुसार जब मुजरिम 14 साल की सजा काट लेता है तो जेल प्रशासन उसके चाल चलन के आधार पर उसका केस State Review Committee के पास भेजता है। इसके बाद कमेटी अपनी अनुशंसा Lt. Governor के पास भेजती है तब बाकी की सजा माफ होती है। लेकिन यह सब सरकार का विशेषाधिकार है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को जबकि अनुच्छेद 161 में राज्यपाल को अधिकार है कि वह किसी भी सजायाफ्ता या मुजरिम की सजा को किसी भी वक्त माफ कर सकता है।