
आमने -सामने :समाज सेवा का जो बीड़ा उठाया है, उसे नि:स्वार्थ भाव से करता रहूँगा- आलोक श्री से बोले आर के सिन्हा
लम्बे अरसे से कायस्थ समाज दिशाविहीन है और नेतृत्य के लिये संघर्ष कर रहा है ऐसे में सवाल उठ रहा है की क्या सर्वसहमति से कायस्थ रत्न श्री आर के सिन्हा जी को राष्ट्रिय नेता मान लिया जाये ?
श्री आर के सिन्हा जी का योगदान सरहानीय है और वह लगातार कायस्थ सामाज के बेहतरी के लिये प्रयासरत है ।उनके पास समाज के विकास के लिए विज़न भी है और उसे पूर्ण करने का इरादा भी बस उन्हें टीम नही मिल रही है ।।
श्री आर के सिन्हा पर सवाल उठाना व् आलोचना करना आज प्रचलन बन गया है हद्द तब हो गयी जब उनके लाखो खर्च करने के वावजूद लोग 80 रुपये की चाय के लीये उनके एक बड़े आयोजन पर सवाल खड़ा कर उनका अपमान किया ।यह शर्मनाक कार्य था ।
सवाल उठाना व् आलोचना करना आसान है पर श्री सिन्हा जी के कार्यो व् योगदानो को नजर अंदाज करना आसान नही है वह निस्सार्थ भाव समाज के उत्थान के लिए काम कर रहे है ।।आप सभी मेरे और परम् आदरणीय श्री आर के सिन्हा जी के वार्तालाप को पढ़िये यह उनके समाज के प्रति भावुकता व् समर्पण के साथ समाज में लोगो के कुण्डित विचारो को उजागिर कर रहा है[7/9/2015, 21:54] Alok Srii: परम श्रद्धेय सिन्हा जीसादर प्रणामसर मैं अपना विचार आपके बीच प्रस्तुत कर रहा हूँ और आप का उसपर सलाह चाहिए ।मैं यह चाहता हूँ की एक कायस्थ फेडरेशन आपके नेतृत्व में बने और इसमें पुरे भारत के संघ और संघठनो को शामिल किया जाये और इन संघ और संघठनो के पदाधिकारियो को कोर कमिटी में लिया जाये ।इस फेडरेशन के अंतर्गत सभी जिलो और तहसीलो स्तर तक के कायस्थो को जोड़ा जाये वह भी एक टीम बना कर।इस फेडरेशन के संरक्षक और अध्यक्ष आप रहे ।
अभी तक कायस्थ फेडरेशन नही है ।अब आप अपना अमूल्य सलाह दे ।आलोक श्रीवास्तव[7/9/2015, 22:41] R K Sinha: आलोक जी, आपका विचार सराहनीय है । परन्तु , बहुत सोच समझकर ही मैंने अपने लिए सेवा का मार्ग चुना है । इसके दो मुख्य कारण हैं:- पहला यह कि यह मेरी रुचि का विषय है । किसी ज़रूरतमंद की सेवा करके मुझे आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है ।दूसरी वजह यह है कि अभी समाज विखंडित अवस्था में है और नेत्रित्व की बात करने का ख़ामियाज़ा घोर विवादों से घिर जाना है । मैं विवादों में क्यों पड़ूँ , जबकि सेवा का मार्ग विवाद रहित और आन्नददायक है ।
मैं पिछले कई वर्षों से ख़राब स्वास्थ्य के कारण निष्क्रिय सा हो गया था । मेरी दोनों किडनियॉ फ़ेल हो गई थीं । डाक्टरों ने जवाब दे दिया था । परिवारजनों ने भी आशाएँ छोड़ दी थीं । पर आदि चित्रगुप्त के चमत्कारिक प्रताप से मेरा किडनी प्रत्यारोपण हुआ और एक नई ज़िन्दगी मिली । मैंने आपरेशन थिएटर में घुसने के पूर्व ही यह संकल्प कर लिया था कि यदि नई ज़िन्दगी मिली तो वह अक्षम और ज़रूरतमंद कायस्थ परिवार के सदस्यों के लिए ही होगी ।
सिंगापुर के अस्पताल में लगभग छह महीने रहकर जब मैं भारत वापस आया तो सर्वप्रथम अपने व्यवसाय के दिन प्रतिदिन के पचड़ों से मुक्त हुआ ओर सेवा के कार्य में लग गया । परमानन्द की अनुभूति हो रही है मुझे ! एकबार कविवर नीरज से सुना था, " गर तूने कभी किसी दुखियारे के आँसू पोंछे होंगे, उस वक़्त यक़ीनन तू खुदा के क़रीब होगा ।" यह रोज़ मैं महसूस कर रहा हूँ ! क्यों मुझसे मेरा आत्मिक आनन्द छीनना चाहते है?
[7/9/2015, 23:57] Alok Srii: आपका विचार उत्तम है और समाज सेवा से बड़ा कोई कार्य नही है।आप सदैव सभी के लिए निश्छल और निस्वार्थ भाव से मदद के लिए तैयार रहते है यही चीज आपको दूसरे से अलग करती है।कायस्थ समागम से एक उम्मीद की किरण जागी है।वह उम्मीद आपके नेतृत्व के कारण ही जागृत हुई है।
आप एक मार्गदर्शक और बगवां की भूमिका में यह कायस्थ फेडरेशन की बात रखे तो सभी कायस्थ सहमत हो जायेंगे।वैसे आपने जो निर्णय लिया है वह सर्वथा उचित है और सामाजिक हित में है ,मैं इस निर्णय का सम्मान करता हूँ।ईश्वर से यह प्रार्थना है की आपको दीर्घायु करे जिससे आपका आशीर्वाद सदैव हम सभी पर बना रहे ।त्रुटि और भूल के लिए क्षमा करे।[7/10/2015, 00:11] Alok Srii: परम श्रद्धेय सिन्हा जीमैं आपके बातो से पूरी तरह सहमत हूँ की आज कायस्थ समाज विखंडित है और ऐसे में इसमें पड़ना विवादों को गले लगाना है।मैं मूल्यांकन करने में भूल कर दिया की कायस्थ समाज की क्या वर्तमान स्थिति है।आज कायस्थ समाज में वास्तव में इगो फाइट हो रही है और कोई खुद को लीडर मान चूका है।ऐसे में बीच में पड़ना उचित नही है।मैं खुद के भूल में सुधार करूँगा ।इस सन्दर्भ में आपका अमूल्य सलाह और विचार पा कर में अभिभूत हूँ।मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ की क्या मैं आप का मार्गदर्शन ऐसे ही प्राप्त कर सकता हूँ ?
[7/10/2015, 00:25]R K Sinha : मै सदा समाज सेवा में लगा रहूँगा । सभी स्वयंभू कायस्थ नेताओं से मेरा प्रेम भाव बना रहेगा। किसी की टाँग खिंचाई का काम कभी भी नहीं करूँगा । जहाँ भी बिना किसी संगठन के बैनर तले सर्वदलीय कायस्थ समागम होंगें, वहॉ जाऊँगा और समाज के सामने जो समस्याएँ हैं, उसपर अपने विचार भी रखूँगा । समाज सेवा का जो बीड़ा उठाया है, उसे नि:स्वार्थ भाव से करता रहूँगा ।श्री आर के सिन्हा एक रोल मॉडल है उनके अंदर एक अच्छा इंसान हैआलोक श्रीवास्तव ने ये बातचीत जुलाई २०१५ में की थी जो उन्होंने आर के सिन्हा को लेकर लोगो के अफवाहों को लेकर अब रिलीज किया है I
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