आयोजक महोदय द्वारा ” अपनी धर्म पत्नी को ही “.महिमामंडित ” करना , संकीर्ण , विचारधारा का परिचय मात्र है- ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव
सत्य परंतु कडुआ विचार :---- अखिल भारतीय कायस्थ महा सभा इस राष्ट्र की सबसे पुरानी ,पंजीकृत , जातीय संगठन , "एक वट वृक्ष " के स्वरूप में बहुत ही आदरणीय , और सम्मान वर्धक , संस्था के रुप में विद्यमान हैं , हम ही नहीँ सम्पूर्ण समाज यह जानती हैं की " बट वृक्ष की रूह नीचे उतर कर ज़मीन पकड़ने के बाद एक वृक्ष और तैयार कर देती हैं , " ठीक इसी तरह हमारी अखिल भारतीय कायस्थ महासभा भी हैं , " आज भारत में , जितनी भी संस्थायें जन्मी हैं ,उनमें 90% लगभग इसी बट वृक्ष की रूहों के रुप में हैं यह " अखिल भारतीय कायस्थ महा सभा का सौभाग्य कहा जायेगा या दुर्भाग्य , एक तरफ़ गर्व से सीना चौड़ा होगा की , परिवार बढ़ता गया , मकान बनता गया , लेकिन " समाज के लिये यह " ज़हर " बनता गया और आज हम इतने मकानों में बट चुके हैं की हम यह भी भूल गये की हमारी मूल संतति कहाँ की हैं , और हम कहाँ से आये हैं , किसके वंशज हैं , कौन हमारा उत्पादक हैं , कौन हमारा " ईस्ट " हम अपना सब भूलते चलें गये !
अगर कुछ बचा तो वह था " नफरत " दूरिया , घृणा , स्वार्थ , और सबसे जादा जो इस कायस्थ समाज को लें डूबा वह था हमारा " अहम " यानी " ईगो " !
हमारा बड़ोदरा का सम्मेलन इन्ही सब द्वेषों , भेदभाव , को ख़त्म करने के लिये एक भागीरथ प्रयास था , जो लगभग काफी कुछ सफल
भी रहा लेकिन " शरीर में फैले ज़हर का कितना भी इलाज करो " उसका असर आजीवन रहता ही है !
" बड़ोदरा सम्मेलन में मेरा दुर्भाग्य था की मै नहीँ जा सका "
परंतु जैसा सुनने में आया की " सारी अच्छाईयों के बाद भी इस संस्था के लिये " सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वालों में अग्रणी " और
" कायस्थ समाज को , अखिल भारतीय कायस्थ महा सभा , को एक नई
पहचान देने वाले " हमारे आदरणीय , स्वर्गीय एस एस लाल " साहब
की " धर्म पत्नी " व समाज की सम्मानित , लाल साहब की मृत्यु के उपरांत सारे दुखों को समाज को समर्पित करके एक नये साहस , एक नये पौरश के साथ " स्वर्गीय लाल साहब की मुहिम को अपने हाथों में लें कर हिम्मत के साथ " आगे आने वाली " हमारी लोक प्रिय नेत्री , वीरांगना
बहन " सविता जी " की अवहेलना की गयी , उनको " मंचाशीन " न करना यह " अखिल भारतीय कायस्थ महा सभा के इस सम्मेलन " के " संचालकों " द्वारा की गयी " भयानक भूल " थीं , और हमारी इन्ही " जान समझ कर की जानें वाली कमियों " का ही परिणाम ही है
जो " आज इस समाज में तमाम संगठन बनते जा रहें है " हालाँकि हमारी " आदरणीया , विराट हृदया , नेत्री , बहन सविता एस एस लाल "
ऐसा कुछ न करके ," अपना सानिध्य , अपना गौरव , अपनी अमृत वाणी , से इस " माँ " रूपी संस्था को सजाती सवारती रहेंगी "
" और मै बृजेश श्रीवास्तव , जिला अध्यक्ष , फैजाबाद , उप्र "बड़ोदरा सम्मेलन के आयोजक मंडल द्वारा की गयी इस बड़ी भूल की
निंदा करता हूँ " मै आदरणीया , सुस्नेहि , से निवेदन भी करता हूँ की " बड़ोदरा आयोजकों द्वारा किये गये इस " सामाजिक अपमान "
को " अपने गौरव शाली , विराट हृदय , और अपने सानिध्य सामाजिक चिंतकों " के भविष्य को ध्यान में रख " क्षमा " करके " माँ गंगा जैसी
क्षमा शील बन " ए बी के एम " को पवित्र और एकता प्रदान करती रहेंगी!
मित्रों परिवार वाद का भी बोलबाला रहा इस सम्मेलन में ऐसा सुना गया ! " आयोजक महोदय द्वारा " अपनी धर्म पत्नी श्रीमती मेघनाजी
को ही ".महिमामंडित " करना , संकीर्ण , विचारधारा का परिचय मात्र है और एक निंदनीय , स्वार्थपरता की श्रेणी में आता है !ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव (लेखक अभाकाम से जुड़े है )( भड़ास श्रेणी मे छपने वाले विचार लेखक के है और पूर्णत: निजी हैं , एवं कायस्थ खबर डॉट कॉम इसमें उल्लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है। इस लेख को लेकर अथवा इससे असहमति के विचारों का भी कायस्थ खबर डॉट कॉम स्वागत करता है । आप लेख पर अपनी प्रतिक्रिया kayasthakhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं। या नीचे कमेन्ट बॉक्स मे दे सकते है ,ब्लॉग पोस्ट के साथ अपना संक्षिप्त परिचय और फोटो भी भेजें।)