एक पद एक संगठन पर कायस्थ वृंद का तीखा हमला , कायस्थ वृंद ‘पर ऐसे पारित प्रस्ताव का कोई भी प्रभाव न पड़ा है व ना हीं भविष्य में पड़ सकता है
कायस्थ वृंद ने एक पिछले दिनों एक संस्था के अधिवेशन में लाये एक पद एक संगठन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है I कायस्थ वृंद के व्यापार समन्वयक नवनीत श्रीवास्तव ने अपने जारी किये बयान में इस पर विस्तार से चर्चा की है I इसे एक तरह से उक्त संगठन की राष्ट्रीय बैठक में लाये प्रस्ताब के विरोध में देखा जा रहा है , जानिये कायस्थ खबर पर दिए अपने सन्देश में नवनीत श्रीवास्तव ने क्या कहा है
'कायस्थ वृंद"कोई संगठन नहीं बल्कि विचारधारा है ।हम सब 'सामूहिक नेतृत्व' की अवधारणा में विश्वास रखते हैं ।
हमें अफसोस होता है जब बौद्धिक क्षमता वाले हमारे समाज के अनेक स्थापित एवं मान्य लोग भी 'कायस्थ वृंद' को किसी संगठन की तरह समझने लगते हैं एवं वैसा ही व्यवहार करते हैं ।
गत दिनों एक कायस्थ संस्था की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ऐसा ही प्रश्न प्रस्ताव के रूप में आया कि 'एक व्यक्ति एक संगठन/विचारधारा' मे ही रहे। सुविज्ञ सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव में चर्चा करते हुए "कायस्थ वृंद' का नाम भी लिया गया जो कि नितान्तआश्चर्य का विषय है।
स्पष्ट करना उचित होगा कि' कायस्थ वृंद' कोई संगठन नहीं है बल्कि विभिन्न कायस्थ संगठनों ,संस्थाओं व सक्रिय कायस्थ साथियों का मंच है जहां विषय विशेष पर एकमत होकर कार्य करने की पद्धति विकसित की जा रही है ।
यदि कोई संगठन अथवा संस्था विशेष अपने पदाधिकारियों व सदस्यों पर 'कायस्थ वृंद' को छोड़ने का प्रस्ताव रखता है या ऐसी बातों पर बल देता है तो यह उसका अपना विषय है ।
"कायस्थ वृंद 'पर ऐसे पारित प्रस्ताव का कोई भी प्रभाव न पड़ा है व ना हीं भविष्य में पड़ सकता है ।
यह बात और है की ऐसे संस्था जो इस प्रकार के प्रस्ताव पारित करते हैं अथवा करने का प्रयास कर रहे हैं वह अवश्य ही अनपेक्षित प्रभावित होंगे। क्योंकि जिस प्रकार कायस्थ समाज की प्रकृति व स्वभाव के अनुसार कोई व्यक्ति विशेष पूरे कायस्थ समाज का नेता नहीं बन सकता, उसी प्रकार से कोई संस्था विशेष का वर्तमान परिस्थितियों में पूरे कायस्थ समाज का एकमात्र व विशिष्ट प्रतिनिधि बनना भी संभव नहीं ।
इसलिए विभिन्न प्रकार की संस्थाओं को ऐसे प्रस्तावों से जो अलगाववादी प्रवृत्ति के प्रतीत होते हो, से अपने को दूर रखना चाहिए ।
सामंजस्य ,तालमेल तथा तादात्म्य स्थापित कर सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाते हुए मृदु भाषा में सहयोग की भावना से विभिन्न संगठनों के साथ काम करने के लिए तत्पर रहना चाहिए व यथेस्ट भूमिका का निर्वाह करना चाहिये।
आशा की जानी चाहिये कि संस्थाओ व उनके नुमाइंदे ऐसे मानसिकता से ऊपर उठेगे व भविष्य में सावधानी रखेगें।
नवनीत श्रीवास्तव
समन्वयक "कायस्थ वृन्द'