८ दिन बाद भी गेस्ट आफ आनर विवाद में शामिल पति पत्नी का इस्तीफ़ा नहीं – ABKM पारिया गुट में के पद के मोह पर उठे सवाल
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पारिया गुट के बड़ोदा सम्मलेन के ८ दिन बाद भी गेस्ट आफ आनर विवाद में शामिल पति पत्नी का इस्तीफ़ा नहीं हो पाया है I इसे ABKM पारिया गुट के राष्ट्रीय महामंत्री की जिद कहा जाए या ABKM पारिया गुट में योग्य लोगो की कमी कि सीधे लाभ के आरोपी रहे लोग भी पद पर अब तक जमे हुए है I
८ दिन से कायस्थ समाज इस विवाद में शामिल लोगो के इस्तीफे मांग रहा है लेकिन जिस तरह की बातें इस मामले में राष्ट्रीय महामंत्री कह रहे है इससे कायस्थ समाज में बस एक ही सवाल है की क्या वाकई हमारे समाज के नेताओं में पद इतने महत्वपूर्ण है की उन्हें छोड़ने में इतना समय लग रहा है जबकि लोग हमारे समाज के महान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्री लाल बहादुर शास्त्री के उदाहरण देते नहीं थके की कैसे उन्होंने मात्र एक रेल दुर्घटना के होने पर अपना इस्तीफ़ा भारत सरकार को भेज दिया था I
लेकिन शायद इसे बक्त का बदलाब कहे या कायस्थ समाज और संगठनो में नैत्तिकता की कमी की अब हमारे लोग स्वत तो दूर की बात है लोगो के सवाल उठाने पर भी इस्तीफ़ा ना देने पर अड़े हुए है I कई लोग तो दबी जुबान में ये भी कहने लगे है की कायस्थ संगठनो में राजनैतिक दलों की भाँती अब पद योग्यता पर नहीं पर गुटबाजी और पैसे के बल लिए जाते है इसी लिए ऐसी बातों को लेकर कोई इस्तीफ़ा नहीं होता वही ak श्रीवास्तव गुट के राष्ट्रीय सचिव /प्रवक्ता मनीष श्रीवास्तव ने abkm के नाम पर अवैध सम्मलेन और नियुक्तियों की बात कही है
पारिया गुट के बागी mbb सिन्हा ने भी गंभीर आरोप लगाए हुए कहा है कि वर्तमान परिस्थिति में संगठन आदर्शवादियों के हाँथ में नहीं, तिकड़म बाजों के हाँथ आ गई जहाँ समाज तो पीछे चला गया और तथाकथित सामाजिक रहनुमाओं के चहरे चमक उठे. अब महासभा चिटफण्ड कम्पनी की तरह चल रही है लो और भागो. धन को दुगुना करने के लोभ में पैसा लगाते लोग और बड़े ओहदे तथा कायस्थ रत्न पाकर आत्ममुग्ध लोग I
लोग यहाँ पदों का इस्तेमाल राजनैतिक प्रभाव बढाने के लिए करने के लिए आते है तो क्यूँ ऐसी बातो को सोचे I ऐसे में यक्ष प्रशन ये भी खड़ा हो गया है की क्या वाकई अब कोई संगठन सच में कायस्थ समाज का प्रतिनिधित्व करता भी है या सिर्फ ये सब अब हवाई दावे है I
क्योंकि आज के दौर में कोई भी कायस्थ संगठन इस स्थिति में नहीं की वो कायस्थ समाज को अन्य समाज की तरह किसी मुद्दे पर एक कर सके या उनको लेकर राजनैतिक परिद्र्शय में कोई सौदेबाजी भी कर सके I ऐसे में इस्तीफे के बहाने ही सही संगठनो की कायस्थ समाज के प्रति प्रतिबधता पर सवाल खड़े हो रहे है और लोग अब दुबारा से इनकी तरफ से उदासीन होने लगे है