कानाफूसी : चौबे जी छब्बे बन्ने चले थे दूबे जी बन गए
एक कहावत है कि 'चौबे गये छब्बे बनने, दुबे बनकर आ गये ऐसा ही कुछ कायस्थ समाज में भी हुआ है , आप भी सुनेगे तो हँसते हँसते लोट पॉट हो जायेगे I ये कहानी है एक बड़े संगठन के तीन गुटों की और इनके एक महत्वाकाक्षी पदाधिकारी की I हुआ ये की इन साहब ने एक विवाद पर उठती ऊँगली और समाज के विरोध कार्यवाही करने की बात तो दूर उस पर जिद्दी रैवैया अपना लिया था I और कायस्थ खबर को काउन्टर करने के लिए एक लगभग बंद पड़े न्यूज़ पोर्टल को हायर किया I खुद आरोप प्रत्यारोप चले लेकिन इनके गिरोह ने इस्तीफे तो दूर बात ही ख़तम कर दी I खैर समाज इनका विरोध करता रहेगा और इनकी असलियत से सब वाकिफ हो गए
लेकिन असल खेल तो इस हफ्ते हुआ I तो भाई हुआ यो की उस न्यूज़ पोर्टल ने कायस्थ समाज के बड़े नेताओं को लेकर "सक्रिय कायस्थ सभाओं और संस्थाओं ने देश-विदेश के कायस्थजनों को दी नवरात्रि स्थापना पर शुभकामनाएं" की एक न्यूज़ बनायी जिसमे तमान संगठनो के बड़े नेताओं के नाम उनके संगठनो के साथ थे I इनके ख़ास साथी का नाम भी संगठन के बड़े पदाधिकारी के तोर पर थी I लेकिन असली कहानी तो जब शुरू हुई जब इन महाशय का नाम उस न्यूज़ पोर्टल के व्हाट्स अप्प ग्रुप के एडमिन के तोर पर दिया गया I और न्यूज़ पोर्टल के मालिक के पुत्र व इनके एक ख़ास विरोधी एक ख़ास लड़के (जिसको जनाब बिलकुल पसंद नहीं करते है ) के साथ दिया I
कायस्थ खबर को इस मामले में इनके ही किसी हितैषी ने जानकारी दी तो बस यही एक कहावत याद आई चौबे जी छब्बे बन्ने चले थे दूबे जी बन गए I अब इस पदाधिकारी की हालत पर कायस्थ समाज में लोग चटखारे लेकर बातें बना रहे है की आखिर ऐसी कौन सी मज़बूरी थी जो इतने बड़े संगठन के पदाधिकारी को एक व्हाट्स अप्प ग्रुप के तोर पर अपनी पहचान देनी पड रही है I आखिर इस्तीफे ना लेने की और कितनी कीमत इन पदाधिकारी महोदय को चुकानी पड़ेगी और इनके साथी मलाई उड़ाते रहेगे I
सवाल तो ये भी उठ रहा है की क्या ये कोई साजिश करके उनके विरोधियो ने उन्हें ऐसे जाल में फंसा दिया है या फिर वो खुद ही इस झमेले में फंस गए है I