सर्वानंद सर्वज्ञानी जी खबर लाये है : हमारे भाईयों ने पांच गाँव क्यों पूरा कायस्थ समाज को ही स्मार्ट बना डाला है –
अजी सम्पादक जी महाराज,
जब से सर्वानंद सर्वज्ञानी के कान में यह बात आई है कि कायस्थ एक परिवार है, ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. अब दुनिया का कोई व्यक्ति हमसे, यानी इतने बड़े परिवार से टक्कर नहीं ले सकता.
यह बात जब हम 10-12 वर्ष के थे, तो पता नहीं था. नहीं तो पांच भाई वाले दुसरे जाति के परिवार, हमारे खेत में खड़े आठ विशाल आम के पेड़ से फल नहीं तोड़ पाते?
दूसरी ख़ुशी यह है कि इतने बड़े परिवार में हम जैसे अकेले लोगों के लिए अब न खाना पकाने की चिंता और न ही कमाने की चिंता होगी. इतने बड़े परिवार में चूल्हे तो कई जलेंगे, कहीं न कहीं तो..............
तीसरी ख़ुशी- हर दिन लजीज पार्टियों में ही दिन कटेंगे ?
एक खबर पढ़कर शॉक लगा कि दिल्ली में एक हमारे बड़े भाई ने बहुत बड़ी पार्टी दे दी और हमें कानो-कान खबर भी नहीं मिली. लेकिन यह क्या लोग पार्टी की जानकारी पार्टी ख़त्म होने के बाद दे रहे हैं. अब आप ही बताएं –झटके नहीं लगेंगे क्या?
आगे कुछ लिखने के पहले. “ HAPPY BIRTH DAY TO AAHAN JIO HAJAARON SAAL”
हाँ, तो अब आगे- थोड़ी ख़ुशी और राहत यह जानकार मिली कि उस पार्टी में हमारे कुछ ही भाई शामिल हो पाए. भाई राहुल कुदेशिया जी और भाई अजित जी. आप दोनों इसके गुनाहगार हैं. पार्टी ख़त्म होने के बाद ग्रुप में समाचार पोस्ट कर हम कायस्थ बंधुओं को ललचाने के जुर्म में क्यों नहीं आपको कालापानी? अरे नहीं-नहीं गोल्डन पानी का इंतजाम तो करना ही होगा वर्ना ..............
एक कहावत है न कि “मेरा एक आँख फूटे तो पडोसी के दोनों आँख” अगर हम ही पीछे हैं तो सभी दिल्लीवासी को भी पीछे ही रहना था. भले दूसरा खा ले, लेकिन अपना.......................
हाँ एक पत्रकार भाई भी वहां पहुंचे थे. दस-पांच कायस्थ भाई का नाम छाप कर पूरा खबरवे गड-बड कर दिए.
अभी-अभी खबर लगी कि 361 जातियों का समूह ने मंत्रोचार के साथ वैश्य का नाम अंगीकार कर लिया है. पांच गाँव को स्मार्ट विलेज बनाया जायगा. 153 करोड़ का प्रोजेक्ट वैश्यों के नाम होगा. हम तो 361 जातियों में कायस्थ जाति को ढूंढ रहे थे पर मिला ही नहीं ?
जब से यह खबर आने लगी है तभी से हमने गंभीरता धारण कर लिया है. एकाग्र होकर सोच रहा हूँ. साँसे अनुलोम-विलोम की तरह चल रही है. आँखे बंद होने का नाम ही नहीं ले रही. और दिमाग मोदी जी के “make in india” के शेर में दिख रहे कल-पुर्जे की तरह चल रही है.
अब जरा सोचिए. हमारे कितने कायस्थ भाई लगातार कैबिनेट स्तर के मंत्री रहे, कायस्थ समाज के लिए एक झोंपड़ी बनाने तक के लिए कुछ नहीं दिया? कायस्थ समाज को दुत्कारते-फटकारते रहे. और अब जब सत्ता चली गई तो समाज के गोल-गोल चक्कर लगाते घूम रहे हैं. और जो अभी सत्ता का स्वाद ले रहे हैं, वे अपने को कायस्थ कहने से ही बच रहे हैं.
आखिर हम ठहरे धर्म निरपेक्ष, जाति निरपेक्ष, गुट निरपेक्ष, समाज निरपेक्ष, समानता के ज्ञानी- सर्वानंद सर्वज्ञानी. हमारे भाईयों ने पांच गाँव क्यों पूरा कायस्थ समाज को ही स्मार्ट बना डाला है.
सहस्त्र नमन कायस्थ भाईयों.
मैं हूँ आपका ही फैन – सर्वानंद सर्वज्ञानी. पहचाना क्या?