माँ जो पूज्यनीया गुरु प्रथम,
बहन बचपन का साथी।
प्रेयसी सुख का भान कराती,
पत्नी सुख-दुख की साझी।नारी के बिना ज्ञान अधूरा,
मानव का संसार न पूरा।
जन्मदायिनी, शोकनाशिनी,
कुछ शोखी कुछ सादगी।जग ने काँटे खूब बिछाए,
आँचल तार तार कर डाले।
नारी कोमल हृदय विशाल,
क्षमाशीलता की मिसाल।
नारी ने सीखा फूलों से खिलना
मुस्कुराना और महकना,नारी का सम्मान जहाँ,
सुख की बारिश सदा वहाँ।सत्यमेव कथ्यन्ते--
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते । देवता तत्र रमन्ते।।"विश्व महिला दिवस" पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
!!जय श्री चित्रगुप्त भगवान!!डॉ ज्योति श्रीवास्तवा
देहरादून!!

कविता : नारी का सम्मान जहाँ, सुख की बारिश सदा वहाँ – डॉ ज्योति श्रीवास्तव
नारी है अभिव्यक्ति का नाम
नारी इच्छाशक्ति का नाम।
नारी कोे कम मत समझो,
ये सबल रूप संयम का नाम।
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