यह नियति है कि प्रतिभा पर, या प्रतिभा से अर्जित उपलब्धि पर, पहले शंका ही जताई जाती है -आलोक श्रीवास्तव
जो झुँड में नहीं चलते. जिनका कोई गॉड फ़ादर नहीं होता. उनका अपना स्वाभिमान होता है. लेकिन यह भी सच है कि उनकी प्रतिभा और उपलब्धियाँ, हमेशा शंकाओं के घेरे में रहती हैं ! क्योंकि उनके पास 'हितैषी-प्रचारक' नहीं होते. ऐसे लोग ईर्ष्यालु प्रतिद्वंद्वी अवश्य पैदा कर लेते हैं !
यह नियति है कि प्रतिभा पर, या प्रतिभा से अर्जित उपलब्धि पर, पहले शंका ही जताई जाती है, फिर बहुत धीरे धीरे उस पर विश्वास किया जाता है ! यह 'सात हिंदुस्तानी' से 'सरकार-3' का कठिन सफ़र है, जो हर मनुष्य को नायक बनते तक, और उसके बाद भी... झेलना पड़ता है !
आलोक श्रीवास्तव (ख्यात कवि व टीवी पत्रकार)