ABKM विबाद में स्वयुम्भु संयोजक मनीष श्रीवास्तव पर बरसे राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा मुकेश श्रीवास्तव
मनीष श्रीवास्तव फ़र्ज़ी राष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के द्वारा अपने कायस्थ ब्लॉग पर कायस्थ महासभा का वैधानिक विश्लेषण शीर्षक से एक समाचार पोस्ट किया है ।
उसके संबंध में मै मनीष जी को बताना चाहता हूँ कि विधि क्या है यह तो जानलो तब किसी भी तथ्य का वैधानिक विश्लेषण करने मे सक्षम होसकते हो ।
हम सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धरा 25 के प्राविधान पोस्ट कर रहे हैं, उन्हें अच्छी तरह पढ़ लो और यदि कानून / एक्ट पढना न आता हो तो किसी कानून के जानकार की मदद् लेने में शर्म मत करना ।
अभी तक हम चुप थे , हमें लगा कि शायद कुछ दिन में तुम्हें सत्य समझ में आजायेगा , लेकिन समय निकलता गया तुम्हारे झूठ की गती भी बढ़ती ही जा रही है इस लिए अब समाज के समक्ष सत्य लाना ही होगा ।
हांलाकि हम यह भी जानते हैं जिनकी आत्मा मलिन होजाती है वे अपने दुरचरणों से कभी बाज़ नहीं आते , हमारी निगाह में आप की स्थिति भी पाकस्तान की ही तरह है । यही कारण है जो लोग अपनी गोद में बिठाने की गलती करलेते हैं जल्द ही असलियत पता चलने पर धक्का मार कर तुम्हें बाहर करना ही बेहतर समझते हैं, परेशान न होओ उदाहरण सामने है ।
I support........ से ........!
हमने अपनी पहली पोस्ट में तुम्हें खुला चैलेंज दिया है, और फिर दुहरा रहे हैं, हिम्मत है तो आदमी की तरह सच का सामना करो सोशल मीडिया पर झूठ परोसने से अब लोग भ्रमित नहीं होते ।
श्री मनीष जी,
वैसे तो आप की इस पोस्ट का ज़बाब दे ने की न कोई उपयोगिता है न ही कोई आवश्यकता न ही हमारी दृष्टि में कोई महत्व ।
फिर भी चूंकि अखिल भारतीय कायस्थ महासभा सम्पूर्ण कायस्थ समाज का उनका अपना संघठन है, इस नाते सम्पूर्ण कायस्थ समाज को महासभा के बारे सही सही बस्तु स्थिति से अवगत होना चाहिये ही, और यह कायस्थ समाज का अधिकार भी है ।।
इस लिए मेरा आप से विनम्र अनुरोध है कि -
1. प्रकरण मा. उच्चन्यायालय के विचाराधीन है, निर्णय की प्रतीक्षा कीजिये,
2. मा. न्यायालय द्वारा महासभा की गतिविधियों के संचालन पर रोक नहीं लगाईं है । अतः मा. न्यायालय के आदेशनुसार हम लोग महासभा के लिए कार्य कर रहे हैं , इस तथ्य से आप को और समाज को अवगत होना चाहिए ।।
3. आप स्वयं अवगत हों कि 1981-83 के उपरान्त डा. आशीष पारिया जी अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय कार्यसमिति ही विधिक व पंजीकृत है । अतः डा. आशीष पारिया जी की अध्यक्षता में गठित प्रबंध समिति/ राष्ट्रीय कार्यसमिति ही लीगल स्टेटस धारण करती है । मा. उच्च न्यायालय द्वारा अगली सुनवाई तक उसी स्टेटस को मेन्टेन करते रहने के लिए ही status quo का आदेश किया गया है ।
( यह एक सामान्य सी बात है कि जहाँ कोई स्टेटस है उसी को status बनाये रखने के आदेश दिए जासकते हैं , जिसके पास कोई लीगल स्टेटस ही नहीं है तो उसे status quo किस बात का ) हाँ एक और बात आपके पास आपके कथित राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की अध्यक्षता में गठित प्रबंध समिति/ राष्ट्रीय कार्य कारिणी की पंजीकृत सूची कभी की भी यदि हो तो संपूर्ण कायस्थ समाज की जानकारी के लिए सोशल मिडिया पर प्रसारित करें , अपने आप दूध का दूध पानी का पानी होजायेगा ।
4. हम बड़ी विनम्रता के साथ आप से अनुरोध करते हैं कि आप , आप के कथित राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री जी और जिन्हें आप चाहें हम खुला आमंत्रण देते हैं कि सम्पूर्ण भारत में जो स्थान, तिथि व समय आपके लिए सुविधाजनक हो निर्धारित कर सभी को और हमें भी बता दीजिये , आपके द्वारा निश्चित स्थान व समय पर अधिक से अधिक संख्या में सम्मानित कायस्थ समाज को भी आमंत्रित करलें वहां संपूर्ण कायस्थ समाज के सामने आप अपने तथ्य, विधिक साक्ष्य, सरकारी दस्तावेज़ और अपने जो भी तर्क हों रखें, हम भी अपनी तरफ से अपना पक्ष रखेंगें फिर फैसला उपस्थित कायस्थ समाज को करने दीजिये । जो भी निर्णय होगा उसे आप और आपके पक्षकार स्वीकार करें, हम वादा करते हैं, समाज जो भी निर्णय देगा हम सहर्ष स्वीकार करेंगे ।।
सही गलत, उचित अनुचित, वैधानिक अवैधानिक का निर्णय होजायेगा ।।
अगर अनुरोध स्वीकार है तो तिथि, समय और स्थान सभी की जानकारी के लिए निधार्रित कर बतावें, हां एक और बात यह संपूर्ण कार्यवाही आपके कथित राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री जी की उपस्थिति में ही उन्हीं के माध्यम से ही संचालित होगी । यह शर्त हम पर भी लागू रहेगी ।।
अन्यथा
अपनी ऊल जुलूल झूठे तथ्यों से समाज को गुमराह करने में अपनी शक्ति बर्वाद करने से बेहतर होगा सकारात्मक भाव के साथ समाज के लिए अच्छे कार्य करें ।
समाज को भ्रमित करने का तुम्हारा कोई भी गंदा प्रयास अब सफल नहीं होगा ।
डा मुकेश श्रीवास्तव
राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा