मैं हंस पड़ा मैं उससे विनम्र भाव से पूछा की उनको धमकाने या अपशब्द कहने से क्या वो रुक जायेंगे ?
अगर वो इसी काम के लिए हायर किये गए हैं तो क्या वो चुप हो जायेंगे ? उसने कातर भाव से कहा शायद नहीं !! पर फिर इसका समाधान क्या है ? मैंने कहा बस शांत रहो और मुस्कुराते रहो... उसने फिर कहा की ऐसे कैसे हो सकता है वो आपको सब जगह बदनाम कर देंगे, सब आपका बहिस्कार कर देंगे I मैंने फिर कहा अनुज होनी को कोई नहीं टाल सकता है लेकिन किसी भी समस्या का हल आवेशित होना नहीं, मैने उसे कायस्थ खबर के शुरू करने के दौरान लगे आरोपों के बीच हमारे संरक्षक आर के सिन्हा जी से मिली सीख की बात बताई I कायस्थ खबर के शुरूआती दिनों में आर के सिन्हा जी की खबरे लगातार छापने के दौरान कुछ लोगो ने कायस्थ खबर पर लगातार ऐसे ही अनर्गल आरोप लगाने शुरू कर दिए I और ऐसे आरोपों से आहात हो मैंने एक दिन कायस्थ खबर बंद कर देने की खबर भी लिखी , जिस पर आर के सिन्हा जी उस खबर के नीचे पोस्ट लिखा की आप सही काम कर रहे हो , अपना काम करते रहे , आलोचनाओं पर ध्यान ना दे , मुस्कुराते रहे I मेरी भी समझ ज्यदा नहीं आया खैर मैं फिर भी शांत हो गया , एक दिन ऐसे ही किसी दिन प्रसंग वश मैंने उनसे कहा की मन शांत नहीं है तब उहोने मुस्कुराने की महिमा के लिए मुझे ये प्रसंग सुनाया I जिसके बाद समस्याओं और विरोधियो को देखने का मेरा नजरिया ही बदल गया है संयोगवश वही प्रसंग मुझे कही फिर दिखा, आज मैं वही आपके लिए शेयर कर रहा हूँ महाभारत के एक प्रसंग में आता हैँ कि एक बार श्रीकृष्ण, बलराम और सात्यकि यात्रा के दौरान शाम हो जाने के कारण एक भयानक वन में रात्रि विश्राम के लिये ये निश्चय करके रुके कि दो-दो घंटे के लिए बारी-बारी से पहरा देंगे । उस जंगल में एक बहुत भयानक राक्षस रहता था, जब सात्यकि पहरा दे रहा था जो उस राक्षस ने उसे छेड़ा, भला-बुरा कहा, उनका युद्ध हुआ, वो पराजित होकर जान बचाकर बलराम जी के पास आ कर छुप गया
बलराम जी को भी राक्षस ने बहुत उकसाया, उनके साथ भी युद्ध हुआ, बलराम जी ने देखा कि राक्षस की शक्ति तो बढ़ती ही जा रही हैँ तब उन्होंने श्रीकृष्ण को जगाया ।
राक्षस ने उन्हें भी छेड़ा, अपशब्द कहे, उकसाया । तब श्रीकृष्ण ने राक्षस को कहा की तुम बहुत भले आदमी हो, तुम्हारे जैसे दोस्त के साथ रात अच्छे से कट जायेगी ।
तब राक्षस ने हंसकर पूछा, मै तुम्हारा दोस्त कैसे ?
श्रीकृष्ण बोले-भाई तुम अपना काम छोड़कर मेरा सहयोग करने आये हो, तुम सोच रहे हो मुझे कही आलस्य न आ जाय, इसलिए हंसी-मजाक करने आ गये । राक्षस ने उन्हें बहुत छेड़ने, उकसाने की कोशिश की, लेकिन वो हँसते ही रहे ।
परिणाम यह हुआ कि राक्षस की ताकत घटने लगी और देखते ही देखते एक छोटीे मक्खी जैसे हो गया, उन्होंने उसे पकड़कर अपने पीताम्बर में बांध लिया ।