बिहार मंत्रीमण्डल का विस्तार और एक भी कायस्थ का प्रतिनिधित्व न होना दुःखद है : धीरेन्द्र श्रीवास्तव
बिहार मंत्रीमण्डल का विस्तार और एक भी कायस्थ का प्रतिनिधित्व न होना तब और दुःखद है जबकि सत्तारूढ़ प्रमुख घटक में सर्वश्री पवन वर्मा जी,राजीव रंजन जी,और श्री अजय आलोक जी जैसे व्यक्तित्व कर्मठता से उपलब्ध है।मेरी इन मित्रो से व्यक्तिगत मुलाकात के आधार पर मै यह कह सकता हूँ कि इन सभी में "सुशासन"की स्थापना में सहयोग करने के समस्त गुण विद्यमान है।इसके अतिरिक्त विधान परिषद सदस्य श्री रणवीर नन्दन की उपस्थिति को भी नकारा नही जाना चाहिये।
दूसरे घटक में भी विधायकगण श्री अरूण सिन्हा जी,एवम् श्री नितिन नवीन जी की उपस्थिति को नकारा गया।सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू युवा नेता श्री ऋतुराज सिन्हा जी को अवसर न दिया जाना रहा जिन्होने प्रत्येक चुनाव में अपने दल के लिये अपनी पूरी क्षमता झोंकी और अपनी सक्रिय उपस्थिति बनाये रखी।
लगभग अजेय माने जाने वाले कई बार के विधायक श्री दिलीप वर्मा पिछले चुनाव में इस लिये पराजित हो गये कि वे दूसरे घटक के टिकट पर लड़े।उन्हे भी अवसर नही दिया गया।
भारतीय संविधान में भी जातीय भेदभाव करने पर रोक है पर जातीय संतुलन साधने की बाजीगरी दलो द्वारा की जाती है जो उचित नही।
कही ऐसा तो नही कि "कायस्थ" की उपेक्षा केवल इसलिये होती है कि वे आदर्श शासन की स्थापना के उद्देश्य से ऑख बन्द कर दल विशेष को वोट देते हे जिससे " आखिर जायेंगे कहाँ " की मानसिकता से उपेक्षा की जाती है।
दलो को नही भूलना चाहिये कि जब जब देश में आदर्श शासन स्थापिता हुआ कायस्थ समाज का बड़ा योगदान रहा क्योकि कायस्थ समाज ने सदैव जातिवाद,क्षेत्रवाद,परिवारवाद,भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर आदर्श प्रस्तुत किया है।
माननीय मुख्यमंत्री ,बिहार शासन एवम् बिहार सरकार के स्थापितकर्ताओ से अनुरोध है कि सरकार को संतुलित करने के "कायस्थ समाज" का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का कष्ट करे।
धीरेन्द्र श्रीवास्तव
मुख्य समन्वयक "कायस्थवृन्द"