मुद्दा : राजनीती चमकाने में गर्त में जा रही है कायस्थ समाज की महिला नेत्री,अन्य महिलाओं के चरित्रहनन पर उतरी : करुन श्रीवास्तव
एक बात सिद्ध होती है कि औरत ही औरत की दुश्मन होती है आप लोग एक दूसरे पर इलज़ाम लगा कर क्या हासिल कर लेंगे बस थोड़ी सी वाहवाही क्या इससे समाज की अन्य जिम्मेदारियों की पूर्ति हो जाएगी? आप लोग इलज़ाम लगाकर सम्मानित होने का कार्य नही कर रहीं बल्किन स्वयम निर्वस्त्र हो रही हैं इसमें कोई दो राय नही की आपसी क्लेश से बाकि लोगों का भी विश्वास उठ रहा है ।इतनी उम्रदराज होकर भी मर्यादा खो रही हैं क्या आप लोग अपने समाज को व् आने वाली पीढ़ी को यही संदेश देना चाहती हैं कि नारी ही नारी की दुश्मन है ? दूसरों की छवि बिगाड़ कर खुद की छवि नही सुधारी जा सकती आप जैसी महिलाओं से ऐसी उम्मीद नही थी मुझे तो ये लगता है कि क्या आप लोगों के साथ जुड़ी महिलाऐं भी इसी स्तर की बातें करती हैं कि कब किसको बेइज़त करना है कब किसके चरित्र को निर्वस्त्र करना है क्यों द्रौपदी बनना ज़रूरी है और भी तो कई चरित्र हैं समाज में ।
राजनीती चमकाने के चक्कर में बहुत ही गर्त में जा रही है कायस्थ समाज की महिलाएं पता नही किसके सामने नंबर बनाना चाहती हैं।हालाँकि मुझे बोलना नही चाहिए था लेकिन कई महीनो की गंदगी देख कर अब उसकी दुर्गन्ध में रहा नहीं जाता ।मैं किसी भी गुट का नही हूँ तो कृपया केजरीवाल की तरह आरोप मत लगाना क्योंकि केजरी यही करता है जब उसकी मनमानी का विरोध होता है तो बीजेपी का या आरएसएस का बन्दा है कहकर पल्ला झाड़ लेता है लेकिन यह बातें विचारणीय है कि आप की नैया पार लगाने के चक्कर में दूसरे से टकराके डूबती जा रही है।
करुन श्रीवास्तव