कायस्थ खबर डेस्क I भगवान चित्रगुप्त को लेकर ऊतर और दक्षित भारत में कई मान्याताए है , उत्तर में जहाँ उनके पूजन को जाती विशेष तक ही रह गया है वहीं दक्षिण में चित्रा पूर्णिमा के अनुसार उनके जनम दिवस का दिन अपने कार्मिक अभिलेखों को नष्ट करने का शुभ अवसर होता है I इस विशेष अवसर पर लोग पूजा करवाते है I इस बार चित्र पूणिमा ३० अप्रैल को है
चित्रा पूर्णिमा से सम्बंधित जानकारी हमें एक वेबसाइट पर मिली है हम उससे आपके लिए यहाँ दे रहे है
“ चित्रगुप्त न्याय के भगवान धर्म के प्रतिनिधि हैं। इस उपदेवता चित्रगुप्त के स्वयं बहुत अधिक मंदिर नहीं हैं| वे अपनी अभिलेख पुस्तक में पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं| इसमें वे प्रत्येक व्यक्ति के जीवनकाल में किए जाने वाले हर अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब लिखते हैं|”
डॉ. पिल्लै
वैदिक नववर्ष की प्रथम पूर्णिमा: अपने कार्मिक अभिलेखों का शमन करें|
ैदिक नववर्ष(तमिल मास चित्रा) में आने वाली प्रथम पूर्णिमा को चित्रा पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो निर्माण और अभिव्यक्ति के लिए एक आदर्श दिन है। यह दिन पुराने कर्मों का शमन करके निर्माण व अभिव्यक्ति हेतु एक नई शुरुआत करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है| खगोलीय रूप से चित्रा पूर्णिमा तब मनाई जाती है जब सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होता है तथा चंद्रमा तुला राशि के अंतर्गत एक उज्जवल नक्षत्र चित्रा से गोचर करता है|
चित्रगुप्त: आकाशीय अभिलेखपाल
पवित्र ग्रंथ पदम पुराण के अनुसार चित्रगुप्त नामक एक दैवीय लेखाकार या मुनीम हैं जोकि न्याय और धर्म के देवता यमराज के प्रतिनिधि हैं। वे अपनी अभिलेख पुस्तक (जिसे दिव्य अभिलेख पुस्तिका के नाम से जाना जाता है|) में पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं जो आपकी व्यक्तिगत दैवीय अभिलेख पुस्तिका होती है।चित्रा पूर्णिमा दिवस भगवान चित्रगुप्त को प्रसन्न करने के लिए एक आदर्श दिन है| ग़रीब व ज़रूरतमंद लोगों को भोजन कराकर आप भगवान चित्रगुप्त के आशीर्वाद द्वारा अपने नकारात्मक कर्मों का शमन कर सकते हैं|
पौराणिक कथाओं में चित्रगुप्त का जन्मदिवस
पवित्र ग्रंथों के अनुसार एक बार न्याय और मृत्यु के देवता यमराज ने अपने काम के कारण अत्यधिक बोझ महसूस किया और उन्होंने भगवान शिव(उत्तर भारत में ब्रह्मा से प्रार्थना का उल्लेख है चूँकि दक्षिण में भगवान शिव प्रमुख देवता है इसलिए शायद वहां उनका उल्लेख है ) से प्रार्थना की कि उन्हें एक प्रतिनिधि चाहिए| तदनुसार चित्रा माह (अप्रैल मध्य से मई मध्य तक) की पूर्णिमा पर चित्रगुप्त का प्रकटीकरण हुआ था| इसलिए चित्रगुप्त के जन्मदिवस पर चित्रा पूर्णिमा उनकी ऊर्जा का उपयोग करने के लिए एक आदर्श और शुभ दिवस है। चित्रगुप्त तथा उनके ऐसे समस्त दिव्य कृत्यों में विश्वास करना बहुत ज़रूरी है जो वे इस विशेष दिवस पर आपके लिए कर सकते हैं| यह दिवस संपूर्ण वर्ष में केवल एक बार आने वाली ऐसी महत्वपूर्ण समयावधि है जिसमें चित्रगुप्त की कृपा से आपके कार्मिक अभिलेखों का शमन किया जा सकता है|
चित्रा पूर्णिमा पर चित्रगुप्त यज्ञ की शक्ति
‘आकाशीय अभिलेख’ नामक हमारी अच्छे-बुरे कर्मों की अनन्त अभिलेख पुस्तिका एक गुप्त कार्मिक बीज है जो हमें यह समझने के लिए बाध्य करती है कि हम कौन हैं। चित्रा पूर्णिमा पर चित्रगुप्त को प्रसन्न करने से हम स्वयं को बदल सकते हैं तथा पूर्व व वर्तमान जीवन में किए गए बुरे कर्मों को नष्ट कर सकते हैं।ऐसा माना जाता है कि चित्रा पूर्णिमा (चित्रगुप्त का जन्मदिवस) पर चित्रगुप्त यज्ञ में भाग लेने से उनकी सकारात्मक कृपा प्राप्त हो सकती है, बुरे कर्मों का नाश होकर शुभ कर्मों की वृद्धि हो सकती है तथा आपको शुभ कर्म करने में सहायता मिलती है|
चित्रगुप्त के आवाहन द्वारा कौन सर्वाधिक लाभ प्राप्त कर सकता है?
- चित्रगुप्त केतु ग्रह के अधिपति हैं| यदि आपका जन्म केतु द्वारा शासित नक्षत्रों(अश्विनी, मघा व मूल) में हुआ है तो आपको चित्रगुप्त के जन्मदिवस पर उन्हें प्रसन्न करने की सलाह दी जाती है|
- इसके अतिरिक्त यदि आप पर केतु ग्रह की दशा व भुक्ति (प्रमुख व गौण अवधि) चल रही है तो भी आपको उन्हें प्रसन्न करने की सलाह दी जाती है|
- यदि आपकी जन्मकुंडली में केतु ग्रह के कारण पीड़ा है तो भी आपको चित्रगुप्त के जन्मदिवस पर उनकी पूजा करने की आवश्यकता है|
साभार : https://www.astroved.com/hindi/vishesh/chitra-poornima
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