ऐसे में इस बड़ी बहस में आप भी भाग ले सकते है और कायस्थ पाठशाला के चुनाव और राजनीती पर अपने बेबाक विचार नीचे कमेन्ट बाक्स में दे सकते हैएशिया का सबसे बड़ा ट्रस्ट के0पी0ट्रस्ट के प्रेसिडेंट कुछ चम्मचों से घिरे रहते है जिसके कारण सही कार्य नहीं कर पाते है इसका कड़ुआ अनूभव पूर्व प्रेसिडेंट मा0श्री टी0पी0 सिंह पिछले माह 7 मार्च,2018को एक सभा में क हा मै बहुत से कार्य नहीं कर पाया मैं खुद चम्मचों से घिरा था हटने पर समझ में आया । इसी तरह आज भी ट्रस्ट की हालत है चम्मचोंके कारण अच्छा कार्य नहीं हो पा रहा है । जिसके कारण कोई भलाई का कार्य ट्रस्ट के प्रेसिडेंट नहीं कर पा रहे है ।
पवन श्रीवास्तव लिखते है ट्रस्ट के संबंध में वार्ता करना बिल्कुल वैसा है जैसे "सांपों की लड़ाई में जीभो का लपालप" होना कुछ नहीं जिन्हें लाभ लेना है अपने बच्चों को नौकरी अपने रहने के लिए जमीन तथा अन्य तरह के लाभ उन्हें ही मिलेगा जो होगा चाटुकार उसे ही मिलेगा पुरस्कार ना कोई सिद्धांत न कोई स्थायित्व जो दे हमें लाभ हम उसी के हो लिए इतिहास गवाह है
इस पर शरद चंद्रा सवाल उठाते है मित्र जरा सोचिए ईमानदारी की कसम खाने वाले चुनाव में लाखों रूपये कयो खर्चा करते है। नौकरी पेशा वाला लड नही. सकता केवल बेरोजगार ही लड सकता है। समझ नही आता ईमानदार बेरोजगार चुनाव लडने पर इतना पैसा लाता कहाँ से है।
बड़ी बहस : एशिया का सबसे बड़ा ट्रस्ट के0पी0ट्रस्ट के प्रेसिडेंट कुछ चम्मचों से घिरे रहते है -रविन्द्र श्रीवास्तव के आरोप
कायस्थ खबर डेस्क I कायस्थ पाठशाला के चुनाव २०१८ में होने वाले है , इलाहाबाद की राजनीती एक बार फिर से इसको लेकर गर्म हो गयी है सोशल मीडिया पर इसको लेकर आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए है I कमोवेश इस बार भी मुख्य मुकाबला इलाहबाद के दो लोगो के बीच ही होगा जिसमे वर्तमान अध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह और पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वकील तेज प्रताप सिंह के नाम अभी तक आगे है I हालांकि डॉ के पी सिंह , अजय श्रीवास्तव , डा सुशिल श्रीवास्तव और डा विवेक श्रीवास्तव जैसे नाम भी लगातार चर्चाओं में आ रहे है लेकिन सही स्थिति अगले ३ महीनो में ही स्पष्ट हो पायेगी
फिर भी सोशल मीडिया पर मची हलचल को कायस्थ खबर आपके सामने ला रहा है जिसमे रविन्द्र श्रीवास्तव ने इस बहस को एक पोस्ट लिख कर जन्म दिया है पढ़िये आप भी