

इलाहबाद में कायस्थ की निर्मम हत्या पर क्यूँ मौन हैं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष पद की लड़ाई में उलझे रविनंदन सहाय और सुबोध कान्त सहाय
कायस्थ खबर डेस्क I इलाहाबद में कायस्थ अधिवक्ता की निर्मम हत्या हुए २ दिन हो गए है I आम से लेकर ख़ास तक हर कायस्थ आक्रोशित है , आंदोलित है मगर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के दोनों धडो के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा करने वाले रविनंदन सहाय और सुबोधकांत सहाय तक शायद इस बड़ी घटना की जानकारी नहीं पहुंची है Iदोनों में से किसी भी नेता ने अभी तक इस घटना को लेकर कोई बयान नहीं दिया जिसके बाद समाज में इस बात पर सवाल उठने लगे है की अगर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष कायस्थ की हत्या पर भी उसके हक़ की लड़ाई के लिए आगे नहीं आ सकते है तो ऐसे नेताओं का क्या फायदा ?देखा जाए तो सुबोध कान्त सहाय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है और आज के समय में कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी ऐसे में उनके बयान से पीड़ित कायस्थ परिवार को काफी मदद मिलती लेकिन शायद सुबोध कान्त सहाय को अपनी रांची की राजनीती की ज्यदा फ़िक्र है या फिर कर्नाटक में कांग्रेस की लड़ाई में वो बिजी है जिसके चलते उनको यूपी में कायस्थों के क्या हो रहा है उससे कोई मतलब नहीं या फिर उन तक कोई जानकारी ही नहीं पहुंची है , दोनों ही स्थितियों में एक बड़ा सवाल उन पर खड़ा होता है साथ ही उनके नेतृत्व पर भीऐसे ही रविनंदन सहाय भी के एन सहाय जैसे कद्दावर कायस्थ नेता के सपूत हैं और लगातार कायस्थों के संपर्क में भी है लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के तोर उनकी भी ज़िम्मेदारी थी की वो इस मसले पर पीड़ित की लड़ाई के लिए आगे आते I
ऐसे में कायस्थ समाज किस जातीय संगठन को अपना माने और क्यूँ ? क्या जातीय संगठन सिर्फ होली , दिवाली मिलन समारोह करने के लिए है या फिर उनसे कोई कायस्थ हित की भी उम्मीद की जा सकती है
