विशेष रिपोर्ट : विघटन के बाद राष्ट्रीय कायस्थ विचार मंच आखिर किसका ? २४ जून को होगा दिल्ली और जमशेदपुर में कडा मुकाबला
कायस्थ खबर डेस्क I कायस्थ संगठनो के जनम लेने और उनके टूट जाने का खेल कोई नया नहीं है I अमीबा की तरह कायस्थ संगठनों का हर पदाधिकारी स्वयं में संगठन होता है I और समय आने पर अपना अलग संगठन बनाने से नहीं चुकता है I ऐसे में अगर कोई विचार मंच के नाम से संगठनों का संगठन बन्ने का खेल शुरू करे तो वो उसका लम्बे समय तक एक रहना असंभव ही रहता है I
ऐसे खेल हम वर्षो पहले राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद में देख चुके हैं जिसे कायस्थ समाचार पत्रों और संस्थाओं का महासंघ कह कर प्रचारित किया गया था I लेकिन बाद में अध्यक्षों की निरंकुशता और कोई लोकतान्त्रिक व्यवस्था ना होने के कारण वो भी दो भागो में बंटा और आज तक दोनों ही लोग अपने असली होने का दावा करते है I
पिछले साल संगठन विरोधी कार्यो केलिए राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद ने अपने एक कुछ सदस्यों को निकाल दिया था , संतान के सदस्यों पर आरोप था की उन्होंने महापरिषद को विश्वाश में लिए बिना एक मंदिर के नाम पर चंदे की अपील संस्था के नाम से शुरू कर दी जिससे लोगो ने इन पदाधिकारियों के साथ साथ संस्था पर भी सवाल उठाये
जिसके बाद विवादित पदाधिकारी वीपी श्रीवास्तव ने आनन फानन में राष्ट्रीय कायस्थ विचार मंच की स्थापना कर दी I लेकिन कहते हैं इतिहास अपने को दोहराता है और अपनी निरंकुशता और एकाधिकार वाली भावना के चलते वीपी श्रीवस्तव का ये मंच भी ज्यदा दिनों तक एक ना रह सका I आपसी विवादों और अविश्वाश के चलते संगठन में संयोजक वीपी श्रीवास्तव का ज़बरदस्त विरोध हुआ फलस्वरूप पहले इसमें से दिवाकर सिन्हा , डा अरुण वर्मा जैसे संस्थापक पदाधिकारियों को भी निकालने की घोषनाए की गयी बल्कि असंतोष के ना रुकने पर बाद में पूरी संस्था को ही भंग कर दिया गया I
जिसके बाद 5 में से 4 संस्थापक सदस्यों और अन्य पदाधिकारियों को लेकर दिवाकर सिन्हा ने राष्ट्रीय विचार मंच के नाम से अपने अलग संगठन की घोषणा कर दी और इधर दिल्ली एन सी आर में अपने 4 -5 सहयोगियों को लेकर वीपी श्रीवास्तव फिर से अपनी दूकान को सजाने के खेल में लग गये है I
तो अब राष्ट्रीय कायस्थ विचार मंच के दोनों धड़े खुद को असली बताते हुए २४ जून को अपने अपने राष्ट्रीय बैठक और प्रेस कान्फ्रेस के दावे कर रहे है I इस पुरे खेल में दिवाकर सिन्हा जहाँ यूपी , बिहार , झारखंड और छतीस गढ़ के पदाधिकारियों के साथ विजयी की स्थिथि में हैं वहीं वीपी श्रीवास्तव अपने सहयोगी गौरव श्रीवास्तव के बलबूते फिर से मैदान में आने को तैयार है
तो अब इस खेल में असली राष्ट्रीय कायस्थ विचार मंच कौन बनेगा ये २४ जून के बाद पता चलेगा या फिर पुरानी संस्था राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद की तरह ये दोनों गुट भी अपने अपने असली होने का दावा करते रहेंगे