
युवा केवल घर में ही बोलने का काम न करे बल्कि बाहर भी अपने अधिकारो को प्राप्त करने का प्रयास करे – धीरेन्द्र श्रीवास्तव
कायस्थ खबर इन्टरनेट डेस्क I एशिया के ख्यातिलब्ध न्यास "के०पी०ट्रस्ट" के आम न्यासियो द्वारा निर्वाचित कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व उपाध्यक्ष कायस्थवृन्द के धीरेन्द्र श्रीवास्तव कायस्थ खबर को भेजे अपने पत्र में ने युवा कायस्थो का आहवान करते हुये कहा है कि ध्यान देते रहना अपने विशालकाय परिवार का कोई भी सदस्य अपने को अकेला व बेबस न समझने पाये।"इच्छाशक्ति" विकसित करिये।धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने लोकतन्त्र का महत्व बताते हुये कहा कि अपने विशालकाय परिवार पर संकट व समस्याये आती ही रहेंगी पर हमें ध्यान रखना होगा कि हम विश्व के बड़े लोकतन्त्र के नागरिक है। अपनी बातो को मर्यादित और शालीन तरीके से भी रखने से समाधान जरूर मिलेगा।
पूर्व उपाध्यक्ष "के०पी०ट्रस्ट"ने यह भी कहा कि लोकतत्र में अगर हम अपनी बात कह ही नही पायें तो हमें ईश्वर भी सहयोग व अधिकार नही देंगे।
धीरेन्द्र ने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कायस्थ नेताओ की भूमिका की चर्चा करते हुये कहा कि हमारे समाज के राजनेताओ में इतना अधिक संकोच व भय होता है कि वे अपने राजनीतिक दल की सभाओ में अपने समाज के विकास के लिये चर्चा/मॉग भी नही करते जबकि उन्ही के सामने उसी मंच पर अन्य नेता अपनी जाति के हितो के लिये न केवल जोरदार मॉग करते है बल्कि इन मॉगो को पूरा न होने पर अपने दल को भी नुकसान होने की चेतावनी तक दे देते है।
उन्होंने ने आगे कहा कि ये और बात है कि हमारे समाज के राजनेताओ का स्वजातीय मंचो पर गर्जन तर्जन देखते बनता है।परिणाम स्वरूप न वे कोई मंजिल पाते है न ही अपने समाज के अधिकार दिला पाते है। इसे लेकर कायस्थवृन्द के संस्थापक ने चिन्ता व्यक्त की इसे दूर करना होगा और ये हमारे युवा ही कर सकते है।उन्होंने युवाओ का आहवान करते हुये यह भी कहा कि युवा केवल घर में ही बोलने का काम न करे बल्कि बाहर भी अपने अधिकारो को प्राप्त करने का प्रयास करे क्योंकि युवा प्रयासो से ही अपने समाज के विकास व मजबूती की सम्भावनायें है।
धीरेन्द्र ने बिना परिश्रम व प्रयास के बड़ी मन्जिल पाने की आकांक्षा रखने वालो पर कड़ा प्रहार करते हुये कहा कि कभी कभी अन्जाने में ही किसी सक्रिय कायस्थ को पूरी तरह से जाने एवम् किये गये प्रयासो को पूरी तरह से समझे बिने किये गये आलोचना,निन्दा अथवा/एवम विरोध उचित नही।ऐसे कार्यो से सकारात्मक प्रयासो की गति धीमी हो जाती है जो कायस्थ समाज के लिये हितकर नही।चिन्ताजनक तथ्य है कि नाम व धन कमाने की लालसा से सामाजिक पदासीन, भगवान श्री चित्रगुप्त व कायस्थ समाज के विषय में अपूर्ण/अल्प ज्ञान रखने वाले,दूसरी रेखा मिटाकर अपने को आगे ब़ढ़ाने की चाहत रखने वाले, दूसरो की तरक्की से ईष्या में जलने वाले,धरातल पर किसी भी प्रकार का सामाजिक योगदान न करने वाले और बिशेष तौर पर फेक आईडी बनाकर कायस्थ समाज को बरगलाने का प्रयास करने वाले लोग ही इस प्रकार के प्रयास करते रहते है
उन्होने गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुये युवा कायस्थो से विशालकाय परिवार की बेहतरी के लिये ऐसे तत्वो की पहचान कर इन पर अपना नियन्त्रण स्थापित करने का युवाओ से अनुरोध किया।