आगामी के०पी० ट्स्ट के चुनाव समझिये वोटकटवा उम्मीदवारों का खेल – अभय निरखी
किसी भी चुनाव में कुछ प्रत्याशी केवल वोट काटने के लिये खडे होते है ।
जबसे ई०वी०एम० मे नोटा आया है तब से यह एक स्थाई वोट कटवा आ गया चुनाव मे, वोटकटवा प्रत्यासीयो को समझना बडा मुश्किल होता है । यहाँ तक कि उसके घनघोर समर्थक भी सालो तक नही समझ पाते है कि जिसके लिये वह रात दिन मेहनत किये वह वोट कटवा था ( मै भी एक से ज्यादा बार वोट कटवा के लिये काम कर चुका हूँ । )
बडे बडे पवित्र उद्देश्य लेकर यह आते है मैदान मे, पूरा सिस्टम चेंज कर देने का दावा करते मिलेगे ।
पैसा खर्च नही करेगे कई बडे वाले मक्कार रसीद छपवा कर चंदा माँगने का काम भी कर लेते है ।
बडे भोले से दिखने वाले होते है यह लोग
प्रचार का दायरा सीमित होता है, विशेष क्षेत्रो मे होता है ।
अक्सर समाज के सीधे सादे परन्तु सम्मानीय लोगो को अपनी लच्छेदार बातो मे फँसा कर अपने साथ कर लेते है । दो चार अच्छे लोगो को साथ देखकर वोटर भ्रमित हो ही जाता है ।
आम वोटर जिसको इन राजनैतिक दांव पेच का ज्ञान होता नही सो आ जाता है बहकाने मे ।
अब आप को समझाता हूँ उदाहरण से
मानिये किसी चुनाव मे अनमोल और रोहित नाम के दो प्रत्यासियो मे सीधी टक्कर होने की संभावना है ।
अनमोल को आशंका है कि रोहित भारी भी पड सकता है । चूकि अनमोल थोडा मंजे हुए राजनितिज्ञ है, बाप दादाओ के समय से चुनावी राजनिति मे हिस्सा ले रहे है इसलिये अपने दरबारीयो मे से किसी ऐसे चेहरे को तलाशता है जिसका चेहरा लेकिन दिल दिमाग मक्कार टाइप का होता है, बिना कुछ किये ही सब कुछ पा लेना चाहता हो, मक्खनबाजी वाली बाते करके एक अनपढ को भी उसके ज्ञानी होने का भ्रम पैदा कर सकता हो । दरबारीयो मे ऐसे लोग आसानी से मिल जाते है सो अनमोल को भी मिल ही गया । जिसका नाम हिमांशु है नितांत अकेले मे अनमोल और हिमांशु मे पूरी प्लानिंग तय हो जाती है , फिर तय वक्त पर हिमांशु बहुतो के सामने एक बहुत बडी कल्याणकारी योजना लेकर प्रकट हो जाते है । अनमोल सबके सामने ही तल्ख लहजो मे योजना सुनने से भी इंंकार कर देते है । गर्मागरम साल जवाबहोता है थोडी देर बाद अनमोल चुप हो जाते हिमांशु तमाम सच्चे भूठे आरोप लगाकर बोलते रहते, कोई अन्य दरबारी अगर हिमांशु का विरोध करने की कोशिश करता भी है तो अनमोल उस दरबारी को ही शांत करा देते है ।
अंत मे हिमांशु सभा से चले जाते है । हिमांशु के जाते ही अनमोल भी मूड आफ हो जाना जैसा दिखाकर चले जाते है । सभा समाप्त हो गयी ।
खेल की भूमिका तैयार हो गयी । पूरे क्षेत्र की जनता और वोटरो मे बात फैला दी जाती है कि भाई ने काम तो हिम्मत का किया वर्ना किस की हिम्मत है जो अनमोल के मुँह सामने इतनी बाते कर सके । खबर रोहित के खेमे मे पहुचती है, रोहित के दरबारी हिमाँशु पर डोरे डालने की कोशिश करने लगते है । मेल मिलाप वार्ताओ का दौर होता है कई बडे बडे आश्वासन देता हिमाँशु रोहित को इसी बहाने रोहित के दरबरीयो की महत्वाकाँक्षाओ को पहिचानने की कोशिश करता है ।
अब समझिये असली खेल
दोनो के दरबार मे ऐसे लोग भी है जो अपने वर्तमान आकाओ से खुश नही है मगर या तो परस्थियोवश या सही मौके की तलाश मे बैठे होते है ।
हिमाँशु के बगावती तेवर देखकर हिमाशु के करीब आते है ।
अनमोल के दरबार मे काम करते हुऐ हिमाँशु जानता है कहाँ कहाँ अनमोल का पक्का वोटर है कौन कौन मठाधीस है, सबको सम्पर्क करता है जिनके मन मे जरा भी असंतोष होता है और यह लगता है कि यह वोट रोहित के खेमे मे जा सकता तुरन्त उसको पकड लेता है ।
मगर रोहित के कैम्प मे इसका उल्टा खेल खेलता है । वोटर जो रोहित के कैम्प से निकल कर अनमोल के कैम्प मे जा सकता है उसको नही छूता है बल्कि उसकी खबर अनमोल को देता है ताकि अनमोल उसको पकडे । रोहित के कैम्प का वह वोटर जो अनमोल से नाराज होकर रोहित के साथ है उसको सम्पर्क करता है बिछुडे भाई की तरह और अपना बनाने की हर संभव कोशिश करता है । रोहित के ऐसे वोटर जो रोहित को छोडना चाहते है मगर अनमोल के साथ नही जाना चाहते क्योकि उसको लगता है कि दोनो मे कोई अंतर नही है उनके सामने नये तरह की राजनिति, साफ सुधरी व्यवस्था की कल्पना करवा कर स्वयं को विकल्प के रूप मे पेश करता है।
रोहित कैम्प के साथ जारी बातचीत के बीच चुनाव नजदीक आ जाते है इसी बीच एक दिन हिमांशु घोषणा कर देता है कि वह साफ सुधरी राजनिति समाज को नयी दिशा देने केलिये वह स्वयं चुनाव लडेगा ।